कांग्रेस के अंदर असंतोष ने विस्फोटक रूप ले लिया है। टिकट वितरण में हुए भेदभाव के खिलाफ कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं ने अपने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। उनमें से एक नेता हैं मानक अग्रवाल, जो पिछले एक दशक से प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता बने हुए हें। दूसरे नेता पूर्व मंत्री गोविंद सिंह हैं और तीसरे नेता प्रेमचंद गुड्डु हैं। ये तीनों प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष थे। मीडिया में माना जाता रहा है कि ये तीनों नेता दिग्विजय सिंह के बहुत करीबी रहे हैं। ये तीनों नेता आरोप लगा रहे हैं कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरूण यादव ने उनको दरकिनार कर रखा है।

दिग्विजय सिह पिछले 16 नवंबर को भोपाल में ही थे। उन्होंने असंतोष को कोई बड़ा मसला मानने से इनकार कर दिया और कहा कि शहरी निकायों के चुनावों में टिकट वितरण का काम एक टीम ने किया है और उस टीम में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के अलावा मध्यप्रदेश के प्रभारी महासचिव मोहन प्रकाश, प्रभारी सचिव राकेश कालिया और संजय निरूपम व संयोजक सज्जन सिंह वर्मा भी थे।

असंतोष के सवाल पर टिप्पणी करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि इसका हल कांग्रेस महासचिव मोहन प्रकाश निकालेंगे। उनहोंने कहा कि इस्तीफे के मसले का हल भी निकल जाएगा और प्रदेश अध्यक्ष इसको हल करने मे ईमानदारी से काम करेंगे।

इस बीच महिला कांग्रेस की अध्यक्ष शोभा ओझा ने मानक अग्रवाल को ब्लैकमेलर करार दिया है। पूर्व स्पीकर श्रीनिवास तिवारी भी टिकट बंटवारे से संतुष्ट नहीं हैं। भोपाल में चारों तरह से शिकायतें आ रही हैं और नेताओं केा लोगों से कटे होने के आरोप लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस के अधिकांश गुटों के नेता टिकट वितरण की प्रक्रिया से अपने को अलग होने की बातें कर रहे हैं। इन नेताओं में कमलनाथ और सिंधिया के अलाव दिग्विजय सिंह भी शामिल हैं।

प्रदेश नेतृत्व पर सूची में बदलाव के लिए भारी दबाव पड रहा था, लेकिन उसने उन दबावों के सामने झुकने से साफ इनकार कर दिया और सूची में किसी तरह की फेरबदल नहीं की गई। कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व साफ संदेश देना चाह रहा है कि दबाव की राजनीति का गंदा खेल सफल नहीं हो पाएगा। कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता के के मिश्र ने कहा कि सूची बनाने में पूरी पारदर्शिता बरती गई और इसे 32 केन्द्रीय और 1200 प्रदेश पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर बनाया गया।

भारतीय जनता पार्टी में स्थिति उतनी गंभीर नहीं है। लेकिन यह भी नहीं कहा जा सकता कि भाजपा में सबकुछ सामान्य है। भाजपा नेताओं के इस्तीफे की खबरें भोपाल आ रही हैं। पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ असंतुष्टों के चुनाव लड़ने के इरादों की खबरें भी आ रही हैं।

सबसे गंभीर समस्या होशंगाबाद में खड़ी हो गई है। वहां विधानसभा अध्यक्ष के सगे भाई गिरिजा शंकर शर्मा ने विरोध मे झंडा बुलंद कर दिय है। गिरिजा शकर भाजपा के विधायक रह चुके हैं। वे भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ एक निर्दलीय का साथ दे रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष को पार्टी कार्यालय में बुलाकर कहा कि वे अपने भाई को समझाएं। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भाजपा के कार्यालय में जाने का राजनैतिक हलकों में आलोचना की जा रही हे, क्यांेकि विधानसभा अध्यक्ष से उम्मीद की जाती है कि पद पर रहते हुए वे पार्टी के कार्यकलापों से अपने को दूर रखेंगे।

इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने विरोध करने वाले अपने तीन नेताओं को निकाल भी दिया है। वे नेता हैं देवास शरद पचुनकर, गुना के पूर्व विधायक राजेन्द्र सलूजा और शिवपुर के पूर्व नगरपालिका उपाध्यक्ष दौलतराम गुप्ता। (संवाद)