इसके संकेत बांग्लादेश के मीडिया को लगतार मिल रहे हैं। ढाका आधारित एक वेबसाइट को दिए एक इंटरव्यू में ढाका में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीणा सिकरी ने गंगा और तिस्ता जल बंटवारे के लिए तैयार प्रस्तावों से संबंधित कुछ जानकारियां उपलब्ध कराईं।
गंगा जल बंटवारे को उन्होंने एक सही उदाहरण बताते हुए कहा कि दोनों देशों ने गंगा जल से संबंधित अपनी अपनी जानकारियों को एक दूसरे के साथ साझा किया है। ये जानकारियां पिछले 40 साल में एकत्र की गई थीं। लेकिन तिस्ता नदी के बारे में इस तरह का आदान प्रदान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि गंगा जल से संबंधित जो रवैया दोनों देशों ने अपनाया है, वही तिस्ता जल के संबंध मंे भी अपनाया जाना चाहिए।
बांग्लादेश को लगता है कि उस पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है, लेकिन उसे यह भी मालूम होना चाहिए कि पानी की उपलब्धता क्या है। इस बात की भी सही जानकारी होनी चाहिए कि बार बार बाढ़ क्यों आ जाती है। एक सम्मेलन के सिलसिले में वे ढाका में थीं। उन्होंने बताया कि दोनों देशों को संयुक्त रूप से जल सर्वेक्षण करना चाहिए और वैज्ञानिक दृष्टि अपनाते हुए सारे मामले सही रवैया अपनाना चाहिए। यदि दोनों पक्ष अपनी अपनी बातों पर अड़े रहे, तो किसी भी तरह का समझौता नहीं हो सकता है।
तिस्ता जल का मामला बांग्लादेश के लिए काफी महत्वपूर्ण है। भारत के लिए वह उतना महत्वपूर्ण नहीं है। इस साल बांग्लादेश में चुनाव हुए थे। उस समय तक तिस्ता जल बंटवारे पर समझौता होना सत्तारूढ़ अवामी लीग के लिए बहुत जरूरी था। पर वह संभव नहीं हो पाया था। उसके कारण लीग को परेशानी हो रही थी।
तिस्ता जल बंटवारे को लेकर दोनों देशों के बीच समझौता होने ही वाला था कि ममता बनर्जी ने बीच में ही अड़ंगा डाल दिया। भारत के तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बांग्लादेश की अपनी यात्रा मे उस पर दस्तखत करने थे, लेकिन ममता बनर्जी ने उस पर अपनी सहमति देने से मना कर दिया। उस समय ममता बनर्जी की पार्टी केन्द्र सरकार में शामिल थी, इसलिए मनमोहन सिंह के पास समझौता करने से पीछे हटने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। उसके अलावे कांग्रेस सरकार की नीति थी कि यदि किसी अंतरराष्ट्रीय समझौते से किसी राज्य पर असर पड़ता हो, तो उस राज्य की सरकार की भी सहमति ली जानी चाहिए।
समझौता न हो पाने से बांग्लादेश की सरकार को बहुत बड़ा झटका लगा था। ममता बनर्जी का कहना था कि उस समझौते पर राय देने के पहले उन्हें यह पता लगाना होगा कि उसके बाद पश्चिम बंगाल को कितना पानी मिलेगा। उनकी शिकायत थी कि गंगा जल समझौते में उनके राज्य को कम पानी मिला था।
उनकी उस आपत्ति के बाद एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। उस समिति ने जल बंटवारे सं संबंधित मसलों की जांच की थी और उसके बाद अपनी रिपोर्ट भी मुख्यमंत्री को दे दी, पर वह रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।
भारत में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद बांग्लादेश की उम्मीदें बढ़ गई हैं। श्री मोदी ने तिस्ता जब बंटवारे पर अपनी राय के लिए कुछ समय की मांग की थी। सूत्रों के अनुसार मोदी का कहना है कि वे बांग्लादेश खाली हाथ नहीं जाएंगे। (संवाद)
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तिस्ता जल समझौते पर दस्तखत हो सकते हैं
ढाका को जल्द मिल सकती है शुभ खबर
आशीष बिश्वास - 2014-11-20 11:09
भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध लगातार अच्छे हो रहे हैं और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद के बीच बातचीत सफल हो रही है। इस माहौल में तीस्ता नदी के जब बंटवारे पर दोनों देशों के बीच जल्द ही कोई समझौता हो सकता है।