शिवराज सिंह चैहान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर बैठने वाले पांचवें भाजपा नेता हैं। उनके पहले वीरेन्द्र कुमार सकलेचा, एसएल पटवा, उमा भारती और बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री बने थे। सकलेचा और पटवा का कार्यकाल राष्ट्रपति लागू करने के कारण एकाएक समाप्त हो गया था। 1980 में केन्द्र मे इन्दिरा सरकार की वापसी के बाद मध्यप्रदेश की सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। उस समय वीरेन्द्र कुमार सखलेचा वहां के मुख्यमंत्री थे। 1992 में बाबरी मस्जिद के ध्वंस के बाद मध्यप्रदेश की सरकार को बर्खास्त कर वहां एक बार फिर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। उस समय श्री पटवा वहां के मुख्यमंत्री थे।
उमा भारती और बाबूलाल गौर को पार्टी के आदेश पर मुख्यमंत्री के पद से हटना पड़ा था। बाबूलाल के हटने के बाद शिवराज सिंह चैहान प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। उस समय वे एक सांसद थे। उन्हें उस समय तक प्रशासन का किसी भी प्रकार का अनुभव प्राप्त नहीं था। अनेक लोगों को लगा कि वे मुख्यमंत्री के रूप में विफल हो जाएंगे। भाजपा के बाहर के विरोधी ही उनके बारे में ऐसा नहीं सोच रहे थे, बल्कि पार्टी के अंदर के अनेक लोगों का भी यही मानना था। लेकिन उन्होंने सबको गलत साबित कर दिया। सरकार चलाते हुए उन्हें किसी प्रकार की समस्या नहीं हुई और पार्टी के अंदर से भी उनको किसी प्रकार की कोई गंभीर चुनौती कभी नहीं मिली। भाजपा के अंदर प्रदेश मे अनेक गुट बन गए हैं, लेकिन किसी गुट की ओर से उनको चुनौती नहीं मिलती। कम से कम खुले रूप में उनको चुनौती देने वाला कोई नहीं है।
इसके दो कारण थे। पहला कारण था उनको मिल रहा आरएसएस का समर्थन। मोहन भागवत का साथ भी उनको लगातार मिलता रहा। दूसरा कारण था उनका लोगों के बीच में काफी लोकप्रिय होना। उनकी लोकप्रियता का कारण था उनके द्वारा अनेक लोकप्रिय कार्यक्रमों को शुरू करना और उन्हें सफलता पूर्वक संचालित करना।
उन्होने मध्यप्रदेश के कर्मचारियों पर संघ की गतिविधियो मे खुली भागीदारी पर लगी रोक को हटा दिया। इसके कारण संघ उससे और भी खुश हो गया। अनेक लोकप्रिय कार्यक्रमों का नामकरण उन्होंने इस तरह किया, जिससे हिंदूवादियों को प्रसन्नता हुई। जैसे गरीबो ंके लिए बनाई योजना का नाम उन्होंने अन्त्योदय रखा, तो लड़कियों को फायदा पहुंचाने वाली एक योजना का नाम उन्होंने कन्यादान योजना रखा। उनहोंने लाड़ली लक्ष्मी नाम की एक योजना भी चला दी। उन्हे तीर्थयात्रियो के लिए भी योजनाएं चला दीं। अनेक योजनाओं के द्वारा उन्होंने प्रदेश के विकास की गति भी बढ़ा दी। किसानों को बहुत लाभ पहुंचाया। कृषि विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इस तरह से उन्होने भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश में बहुत ही सशक्त बना दिया है। (संवाद)
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चौहान ने मध्यप्रदेश में भाजपा शासन को मजबूत किया
विकास कार्यक्रमों ने रंग दिखाया
एल एस हरदेनिया - 2014-12-02 12:03
भोपालः पिछले 29 नवंबर को शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में दसवें साल में प्रवेश किया। यह अपने आपमे एक रिकार्ड है। अभी तक किसी गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने लगातार इतने दिनों तक प्रदेश की सत्ता मध्य प्रदेश में नहीं संभाली है। सिर्फ कांग्रेसी मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को ही लगातार 10 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। 10 साल की बात ही क्या कहना, अब तक वहां सिर्फ दो मुख्यमंत्री ही पूरे 5 साल के कार्यकाल तक अपने पद पर रह सके थे। उस तरह के पहले मुख्यमंत्री थे डाक्टर के एल काट्जू। 1956 में पंडित रवि शुक्ल की एकाएक मौत के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था। नवनिर्मित मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे रवि शंकर शुक्ल और अपने शपथ ग्रहण के मात्र दो महीने के बाद ही वह दुनिया छोड़ गए। दूसरे मुख्यमंत्री जिन्होंने पूरा कार्यकाल मुख्यमंत्री के पद पर व्यतीत किया, अर्जुन सिंह थे। इन दोनों के अलावा दिग्विजय सिंह से पहले किसी भी मुख्यमंत्री ने अपने पद पर विधानसभा का पूरा कार्यकाल व्यतीत नहीं किया था। यानी शिवराज सिंह चौहान अपने पद पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में किसी विधानसभा कार्यकाल को पूरा करने वाले पांचवें मुख्यमंत्री हैं और एकमात्र गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री।