यूडीएफ के एक विधायक ने अपनी ही सरकार के एक मंत्री के तीन कर्मचारियों के ऊपर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगा दिया। वे विधायक हैं केरल कांग्रेस (बी) के के बी गणेश कुमार। जिस मंत्री के कर्मचारियों पर आरोप लगाए गए हैं, वे हैं वी के कुंजु। श्री कुंजु इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के विधायक हैं और लीग यूडीएफ में कांग्रेस के बाद दूसरा सबसे बड़ा घटक दल है।
यह मामला इसलिए भी संवेदनशील हो गया, क्योंकि आरोप विधानसभा के स़त्र के दौरान लगाया गया। ऐसा बहुत ही कम होता है कि सत्तारूढ़ मोर्चे का कोई विधायक अपनी ही सरकार के मंत्री पर इस तरह का आरोप लगाए। यह सच है कि मंत्री पर सीधे आरोप नहीं लगाए गए हैं, लेकिन मंत्री के तीन कर्मचारियों को भ्रष्ट कहना मंत्री की ईमानदारी पर भी सवाल उठाना है।
उस आरोप के बाद मुस्लिम लीग के नेता तिलमिला गए हैं। उन्होंने गणेश कुमार पर सवाल खड़े कर डाले है और कह रहे हैं कि इस तरह का आरोप उन्होंने इसलिए लगाया है, क्योंकि उन्हें मंत्रिमंडल में दुबारा शामिल नहीं किया गया। मुस्लिम लीग ने मुख्यमंत्री पर दबाव डालकर गणेश को यूडीएफ के विधायक दल की बैठक में आने पर रोक लगवा दी है।
उससे भी ज्यादा खतरनाक घटना निगरानी और भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो द्वारा वित्त मंत्री के एम मणि के खिलाफ दायर किया गया एफआईआर है। श्री मणि केरल कांग्रेस (मणि) के अध्यक्ष हैं। उन पर बार एसोसिएशन ने घूस लेने का आरोप लगाया है। आरोप के अनुसार बारों की बंदी के मसले पर अनुकूल नीति अपनाने के लिए मणि ने घूस लिए। अभी तक तो आरोप ही लग रहे थे और प्रारंभिक जांच चल रही थी, पर अब तो एफआईआर भी दायर हो गया है।
एफआईआर दायर होने के बाद वित्त मंत्री मणि की मुश्किलें बढ़ गई है। अब जांच एजेंसी उनसे पूछताछ कर सकती है और उनकी गिरफ्तारी की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। एफआईआर के बाद मणि और उनके समर्थक भड़क गए हैं। वे पहले से ही मुख्यमंत्री चांडी पर आरोप लगा रहे थे कि एक साजिश के तहत उन पर घूस लेने के आरोप लगाए गए।
उनका कहना है कि मणि द्वारा मुख्यमंत्री बनने की संभावना व्यक्त करने के बाद यह साजिश रची गई और उनके ऊपर घूस लेने का आरोप लगा दिया गया। गौरतलब है कि मणि के लेफ्ट फ्रंट में शामिल होने की अटकलबाजी शुरू हो गई थी और यह भी कहा जा रहा था कि लेफ्ट के समर्थन से मणि प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं।
एफआईआर दर्ज होने क बाद मणि और उनके समर्थक कुछ ज्यादा ही भड़क गए हैं। उन्हें गृहमंत्री रमेश चेनिंथाला शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। वे बता रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत इस तरह का एफआईआर जरूरी हो गया था। वे उन्हें यह भी कह रहे हैं कि एफआईआर का मतलब यह नहीं है कि वे अपराधी हो गए हैं।
इसमें कोई दो मत नहीं कि सरकार अपने वित्तमंत्री को बचाने की कोशिश करेगी, लेकिन दो कारणों से मणि की मुश्किलें कम होती नहीं दिखाई पड़ रही। एक कारण तो हाई कोर्ट की नजर में इस मुकदमे का होना है। कोर्ट इसका मानिटरिंग नहीं कर रही, लेकिन उसकी इस पर नजर है औरे उसने निगरानी निदेशक को आदेश दिया हैं इस मुकदमे से संबंधित किसी भी मसले पर वह सरकार से आदेश या सलाह न लें। इसका मतलब यह होता है कि इस मुकदमे में कोर्ट ने निगरानी विभाग को गृहमंत्रालय के नियंत्रण से बाहर कर दिया है।
मणि की मुश्किलें कम न होने का दूसरा कारण निगरानी निदेशक विन्सेन पाल ने अपना रुख इस मामले पर कड़ा कर दिया। मामले की जांच कर निगरानी अधिकारी को सरकारी वकील ने बुलाकर इस मुकदमे से संबंधित जानकारी मांगी और कहा कि जांच ऐसी नहीं होनी चाहिए, जिसके कारण सरकार को खतरा पैदा हो। उस बैठक के बाद उस विजिलेंस अधिकारी ने निगरानी निदेशक से बात की, जिसमें निदेशक ने उन्हें निर्भीक होकर जांच करने के लिए कहा और किसी की भी परवाह नहीं करने की हिदायत दी। जांच कर रहे विजिलेंस अधिकारी को विजिलेंस निदेशक ने आदेश दिया है कि पूरी तरह कानून के दायरे में जांच काम को आगे बढ़ाया जाय।
मणि की समस्या बढ़ने के साथ साथ सरकार की भी समस्या बढ़ सकती है। सरकार क अस्तित्व के ऊपर मंडरा रहा खतरा लगातार गहराता जा रहा है और यूडीएफ के नेता उस खतरे को टालने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। (सवाद)
भारत
केरल के सत्तारूढ़ मोर्चे में दरार
गिर भी सकती है सरकार
पी श्रीकुमारन - 2014-12-18 11:23
तिरूअनंतपुरमः पिछले कुछ दिनों के अंदर दो ऐसी घटनाएं घटित हुई हैं, जिनसें केरल की यूडीएफ सरकार के अस्तित्व पर ही खतरा पैदा हो गया है। जब इस सरकार का गठन हुआ था, तो भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ने की बात की जा रही थी, लेकिन अब भ्रष्टाचार के कारण ही इस सरकार के पतन का माहौल बनता जा रहा है।