मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए यह साल सबसे बेहतरीन सालों में एक था। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के लिए यह एक बहुत ही बुरा साल था। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दो सीटों को छोड़कर अन्य सभी सीटों पर जीत हासिल कर ली। 2013 के अंतिम महीने में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को भारी सफलता हासिल हुई थी।
लोकसभा चुनाव के बाद नगर निकायों के चुनाव हुए और उसमें भी भाजपा ने भारी सफलता हासिल की। उसने सारे नगर निगमों में विजय हासिल की और अधिकांश नगरपालिकाओं और नगर पंचायतों में अपनी जीत का झंडा बुलंद कर डाला।
कांग्रेस ने 2013 के विधानसभा चुनावों मंे बहुत भारी मात खाई थी। उसके बाद लोकसभा चुनाव में उसके पास बेहतर करने का मौका था, लेकिन उसे सिर्फ दो सीटों पर ही जीत प्राप्त हुई। वह जीत भी पार्टी की नहीं थी, बल्कि कमलनाथ और ज्योतिरादित्या की निजी जीत ही थी।
स्थानीय निकायों के चुनावों मंे अरुण यादव अकेले पड़ गए थे। मध्यप्रदेश के दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, ज्योतिरादित्या सिंधिया कुछ अन्य नेताओं ने भी साथ नहीं दिया। विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश कांग्रेस में भारी फेरबदल किए गए थे। कांतिलाल भूरिया विधानसभा चुनाव के समय प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उनका हटा दिया गया। उनकी जगह अरुण यादव को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। अरुण यादव सुभाष यादव के बेटे हैं, जो कभी कांग्रेस के बड़े नेताओं में एक हुआ करते थे। ओबीसी नेता समझकर अरुण यादव को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी, लेकिन उनके नेतृत्व में भी कांग्रेस कुछ हासिल नहीं कर सकी।
अब कांग्रेस का बहुत बुरा हाल है। उसकी स्थिति दयनीय हो गई है। वह बिल्कुल जमीन पर आ गई है और अपने पैरो पर फिर से खड़ा होना उसके लिए बहुत ही कठिन है। दूसरी तरफ व्यापम व कुछ अन्य घोटालों के कारण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की छवि कुछ खराब जरूर हुई, लेकिन 2014 का साल मुख्यमंत्री के लिए एक बेहतरीन साल रहा।
व्यापम घोटाले ने मुख्यमंत्री की छवि ही नहीं, बल्कि पार्टी के कुछ अन्य नेताओं की छवि को भी खराब किया। संघ के कुछ नेताओं पर भी इसके छींटे पड़े। उस घोटाले में सैकड़ों लोग दोषी पाए गए। उनमें से सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण लक्ष्मीकांत शर्मा हैं। वे शिवराज सिंह चैहान सरकार मे एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्री हुआ करते थे। वे मुख्यमंत्री के खासमखास भी माने जाते थे। उन्हें इस घोटाले के लिए जिम्मेदार मानते हुए गिरफ्तार किया गया। उनके अलावे कुछ अन्य बड़े भाजपा नेताओं को भी इस घोटाले में गिरफ्तार किया गया और वे जेल में हैं।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्र ने उस समय सभी को चैंका दिया, जब उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान और उनकी पत्नी के व्यापम घोटाले में शामिल होने के उनके पास पुख्ता सबूत हैं। उन्होंने दाव किया कि मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह के पैतृक शहर के 19 लोगों को परिवहन कांस्टेबल के रूप में नियुक्ति मिली है और उनकी नियुक्तियां व्यापम से ही हुई हैं। गौरतलब हो कि साधना सिंह का पैतृक शहर गोंडिया है, जो महाराष्ट्र में है।
कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के अलावा केन्द्रीय मंत्री उमा भारती और मध्यप्रदेश के एक शक्तिशाली मंत्री विजयवर्गीय पर भी घोटाले में शामिल होने के आरोप लगाए। सुरेश सोनी और संघ के पूर्व प्रमुख सुदर्शन पर भी आरोप लगे।
मध्यप्रदेश सरकार के एक मंत्री नरोत्तम मिश्र ने तो के के मिश्र पर मानहानि का मुकदमा भी दायार कर रखा है। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से यह मुकदमा दायर किया है। गोविंदाचार्य ने तो शिवराज सिंह चैहान पर ही आरोप लगा दिया कि वे संघ के नेताओं की छवि बिगाड़ने में लगे हुए हैं।
लेकिन इन सबके बावजूद राजनैतिक रूप से न तो भाजपा को कोई नुकसान हुआ और न ही कांग्रेस इसका कोई राजनैतिक लाभ उठा पाई। 2015 में भी कांग्रेस भाजपा के लिए कोई चुनौती नहीं है। लिहाजा कांग्रेस को अपने को इस लायक बनाना पड़ेगा कि वह भाजपा के लिए कोई चुनौती बन सके। (संवाद)
मध्य प्रदेश में भाजपा की बल्ले बल्ले
कांग्रेस के लिए 2015 बहुत ही चुनौतीपूर्ण होगा
एल एस हरदेनिया - 2015-01-07 12:37
भोपालः 2014 ऐसा साल था, जिसे भाजपा भूलना नहीं चाहेगी और जिसे कांग्रेस याद नहीं करना चाहेगी। भारतीय जनता पार्टी के लिए यह साल अभूतपूर्व सफलता का साल था और कांग्रेस के लिए यह जबर्दस्त विफलता का वर्ष था।