यहां आम आदमी पार्टी का भारतीय जनता पार्टी से सीधा संघर्ष है, हालांकि कुछ सीटों पर कांग्रेस भी मुकाबले को तिकोना बनाने में लगी हुई है। आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव जीवन और मरण का सवाल है।
भारतीय जनता पार्टी के लिए भी यह काफी महत्वपूर्ण चुनाव है। इस चुनाव को नरेन्द्र मोदी की 8 महीने की सरकार के लिए जनमत के तौर पर भी देखा जा रहा है। दिल्ली भाजपा का गढ़ रही है। इसके बावजूद प्रदेश की सत्ताा से यह पिछले 16 सालों से बाहर है। पिछले 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन बहुमत नहीं मिला। बहुमत नहीं जुटा पाने के कारण इसे विपक्ष में बैठना पड़ा था। सरकार केजरीवाल की बनी थी, लेकिन इसने 49 दिनों तक सरकार चलाकर गद्दी छोड़ दी।
पिछले मई लोकसभा चुनाव के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी दिल्ली प्रदेश की सत्ता पर कब्जा करने की तैयारी कर रही है। यदि पिछले जून या जुलाई महीने में ही इसने वहां चुनाव करवाया होता, तो फिर उसे सत्ता में आने में कोई परेशानी नहीं होती, क्योंकि तब मोदी लहर चल रही थी। लेकिन भाजपा ने मौके का लाभ नहीं उठाया और चुनाव करवाने में दरी कर दी। अब यह चुनाव उसके लिए कठिन साबित हो रहा है।
भारतीय जनता पार्टी के लिए दिल्ली का यह चुनाव पिछले लोकसभा चुनाव के बाद हुए राज्यों के सभी विधानसभा चुनावों से कठिन साबित हो रहे हैं। यह बिल्कुल अलग किस्म का चुनाव होगा। महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर व झारखंड में कांग्रेस सत्ता में थी, और वहां उसके खिलाफ माहौल था। उस माहौल का लाभ भारतीय जनता पार्टी ने उठाया, पर दिल्ली की स्थिति अलग है।
दिल्ली भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेतागण बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है। सच कहा जाय तो दिल्ली प्रदेश में भाजपा का कोई ढंग का नेता ही नहीं है। इसलिए किरण बेदी को उसे लाना पड़ा है। पार्टी को मोदी मैजिक का भरोसा है और इसके साथ किरण बेदी की लोकप्रियता का भी वह लाभ उठाना चाहती है।
पिछले विधानसभा चुनाव में मुकाबला तिकोना था। कांग्रेस भी तब मुकाबले में थी, लेकिन इस बार संघर्ष सीधा हो गया है और कांग्रेस हाशिए पर खिसक गई है। उस समय कांग्रेस केन्द्र और दिल्ली प्रदेश दोनों जगह सत्ता में थी, लेकिन आज वह अब सत्ता में नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी मुकाबले को मोदी बनाम केजरीवाल बनाना चाह रही है। इसके साथ उसने किरण बेदी को भी केजरीवाल के सामने खड़ा कर दिया है। आम आदमी पार्टी के लिए अब एक नई चुनौती सामने आ गई है।
चुनाव अभियान की बात करें, तो आम आदमी पार्टी इस समय सबसे आगे चल रही है। उसने बहुत पहले से अपना अभियान शुरू कर दिया था और अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी समय से पहले ही कर दी थी।
भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने भी यह स्वीकार किया था कि आम आदमी पार्टी चुनाव अभियान में आगे है। आम आदमी पार्टी सस्ती बिजली, मुफ्त पानी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन को मुद्दा बनाकर अभियान चला रही है, तो भारतीय जनता पार्टी का चुनाव अभियान नकारात्मकता पर आधारित है। केजरीवाल और उनकी पार्टी को निशाना बनाना उसके अभियान के केन्द्रीय बिन्दु है।
कांग्रेस दिल्ली में सिकुड़ रही है। नरेन्द्र मोदी के लिए यह अच्छी खबर नहीं है। यदि त्रिकोणात्मक मुकाबला हो, तो इसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को ही होगा, क्योंकि अपने विरोधी मतों के दो खेमों में बंटने के कारण उसके ज्यादा उम्मीदवार चुनाव जीत पाएंगे। पर भाजपा के दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पा रहा है। (संवाद)
दिल्ली चुनाव : भाजपा और आप में कड़ी टक्कर
कल्याणी शंकर - 2015-01-16 11:42
आगामी 7 फरवरी को दिल्ली विधानसभा का होने वाला चुनाव कई मायने में महत्वपूर्ण है। दिल्ली एक केन्द्र शासित प्रदेश है और इसे अभी पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला है।