ओबामा पिछले 4 साल मे दूसरी बार भारत आ रहे हैं। उनकी यात्रा ने भारत में अनेक किस्म की उत्सुकताएं और उम्मीदें पैदा की हैं। भारत ही नहीं, अमेरिका में भी इस यात्रा को बहुत ही उम्मीद के साथ देखा जा रहा है। भारत और अमेरिका के उद्यमी दोनों देशों के बीच संबंध को और भी गहरा होता देखना चाहते हैं।
कहने को तो ओबामा की यह यात्रा किसी खास मौके पर उनकी उपस्थिति के लिए हो रही है, लेकिन मात्र यह उतना तक ही सीमित नहीं रहने वाली है। अमेरिका इस यात्रा के लिए कितना गंभीर है, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि खुद अमेरिकी विदेश मंत्री ओबामा के पहले भारत आ चुके हैं। वे भारत आकर दोनों देशों के बीच बेहतर सहयोग और उनकी वार्ताओं का माहौल बनाने के लिए आए थे।
भारत से अपने रिश्ते को लेकर अमेरिका कितना उत्सुक है, इसका पता इससे भी लगता है कि नरेन्द्र मोदी के भारत के प्रधानमंत्री बनने के 100 दिनो के अंदर ही अमेरिका के विदेश मंत्री, व्यापार मंत्री व रक्षा मंत्री समेत अनेक बड़े बड़े पदाधिकारी भारत आ धमके।ं प्रधानमंत्री मोदी ने भी अमेरिका की यात्रा पिछले सितंबर महीने में की। अमेरिकी विदेश मंत्री केरी वाइब्रेंट गुजरात में हिस्सा ले रहे थे और उससे बहुत ही प्रभावित देखे जा रहे थे।
भारत में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है,जो इस यात्रा को संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं। इसका कारण यह है कि पिछले कुछ समय से दोनों देशों के रिश्तों मे कुछ खटास आई है। 2008 में जब भारत और अमेरिका के बीच परमाणु करार पर दस्तखत हुए थे, तो दोनों देशांे के बीच रिश्ते बहुत अच्छे थे, लेकिन उसके बाद रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे। अमेरिका को भारत से शिकायत है कि उस करार पर दस्तखत करने के बाद भारत उसे आगे बढ़ाने का कोई प्रयास नहीं कर रहा।
ईरान से संबंधित भारत की जो नीति है, उससे भी अमेरिका खुश नहीं है। परमाणु व्यापार को बढ़ावा देने के लिए जो कानून भारत में बने, वे भी अमेरिका को रास नहीं आ रहे हैं। देवयानी खोब्रागढ़े प्रकरण के कारण भी दोनों देशों के रिश्ते में तनाव आ गए थे।
लोगों को तब बहुत आश्चर्य हुआ, जब नरेन्द्र मोदी की सितंबर में हुई अमेरिकी यात्रा बहुत सफल रही। मोदी ने ओबामा को 26 जनवरी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनने के लिए आमंत्रित किया और उन्होंने उसे स्वीकार भी कर लिया। कांग्रेस में दिए जाने वाले भाषण के अपने समय को भी इसके लिए ओबामा ने समय से पहले ही तय कर दिया।
जब दोनो नेता भारत में मिलेंगे, जो जाहिर है, उस मुलाकात से उम्मीदें तो बढेंगी ही।
सवाल उठता है कि दोनों की एक दूसरे से क्या क्या उम्मीदें हैं? अमेरिकी विदेश मंत्री ने चार मुख्य मुद्दों का उल्लेख किया है। पहला मुद्दा है जलवायु परिवर्तन। दूसरा मुद्दा रक्षा को लेकर है। तीसरा मुद्दा परमाणु कार्यक्रमों से संबंध रखता है, तो चैथा मुद्दा आर्थिक मामलों से संबंधित है। भारत अमेरिका से अपने देश में शिक्षा में निवेश चाहेगा। वह स्मार्ट सिटी में भी निवेश चाहेगा। इसके अलाव टेक्नालाॅजी के ट्रांस्फर में भी उसकी दिलचस्पी होगी। अमेरिका ने अजमेर, इलाहाबाद और विशाखापतनम को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए पहले ही चुन लिया है। (संवाद)
बराक ओबामा की भारत यात्रा
गणतंत्र दिवस की मेहमानी से ज्यादा
कल्याणी शंकर - 2015-01-23 11:51
नई दिल्लीः अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का स्वागत करने के लिए तैयार है। वे 26 दिसंबर को होने वाले देश के मुख्य समारोह मे मुख्य अतिथि बनकर आ रहे हैं। यह इतिहास का पहला मौका होगा, जब अमेरिका का कोई राष्ट्रपति हमारे गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि होगा। ओबाम दंपत्ति 26 जनवरी के परेड का अवलोकन करेंगे।