दोनों गुट का अपना अपना तर्क है। आने वाले महीनों में स्थानीय निकायों के चुनाव होने हैं। अगले साल विधानसभा के भी चुनाव होंगे। रमेश चेनिथाला गुट का मानना है कि मणि के वित्त मंत्री पद पर बने रहने से यूडीएफ की छवि बहुत खराब हो रही है और इसके कारण लोग कांग्रेस को लेकर भी सशंकित हो रहे हैं। जाहिर है, यदि वे अपने पद पर बने रहे तो चुनाव जीतना कठिन ही नहीं, असंभव भी हो जाएगा।
चांडी गुट के नेताओं को भी लगता है कि मणि के सरकार में बने रहने से पार्टी और यूडीएफ को चुनावी नुकसान होगा, लेकिन मणि को सरकार से दबाव देकर निकालने के नतीजों के प्रति भी वे सजग हैं। उनका मानना है कि यदि मणि को सरकार से जबर्दस्ती बाहर किया गया, तो उनकी पार्टी सरकार से बाहर हो जाएगी और अपना समर्थन भी खींच लेगी।
उनकी पार्टी द्वारा चांडी सरकार को दिया जाने वाला समर्थन वापस होने का मतलब है कि सरकार का पतन हो जाना। और चांडी गुट नहीं चाहता है कि सरकार अपने तय समय के पहले ही गिर जाय। इसलिए इस गुट का मानना है कि सबसे ज्यादा अच्छा यही रहेगा कि मणि खुद इस्तीफा दे दें।
लेकिन वित्त मंत्री के एम मणि ने अपने पद से इस्तीफा देने से साफ इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि वे ईमानदार है और उनकी ईमानदारी पर प्रदेश के लोगों को कोई शक नहीं है। उनका आरोप है कि उनके खिलाफ साजिश की गई है और उसी साजिश के तहत उनपर घूसखोरी का आरोप लगाया गया है।
गौर तलब है कि बार मालिकों के संघ के कार्यकारी अध्यक्ष बीजू रमेश ने आरोप लगाया है कि सरकार की नीतियों को अपने पक्ष में करने के लिए उन्होंने वित्त मंत्री को 5 करोड़ रुपये की रिश्वत दी। बारों के लाइसेंस रिन्यू नहीं होने के कारण उन्हें बंदी का सामना करना पड़ रहा था। लाइसेंस रिन्यू करने को लेकर विवाद चल रहा था और मामला अदालत तक पहुंचा हुआ था। बारों के फिर से खुलने के लिए सरकार का अनुकूल फैसला जरूरी था। आरोप है कि फैसेले को अनुरूप बनाने के लिए ही रिश्वत दी गई।
रिश्वत लेने वालो में मुख्य व्यक्ति के रूप में वित्त मंत्री के एम मणि का नाम लिया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि अन्य मंत्रियों को भी घूस दिए गए। उनमें कांग्रेसी मंत्री भी शामिल हैं। बार लाॅबी धमकी दे रही है कि घूस लेने वाले अन्य मंत्रियों क नाम भी सार्वजनिक कर दिए जाएंगे।
आरोप के बाद मणि पर इस्तीफा के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है। वे इस्तीफा देने से इनकार कर रहे हैं और उधर बार लाॅबी द्वारा नये नये खुलासे किए जा रहे हैं। एक खुलासा यूडीएफ की एक अन्य घटक केरल कांग्रेस (बी) के नेता से संबंधित है। उनका बीजू रमेश के साथ हुई बातचीत का आॅडियो टेप सामने आया है, जिसमें यूडीएफ नेता कहते हैं कि बार लाॅबी सीबीआई जांच की मांग पर अड़ी रहे।
एक दूसरा टेप केरल कांग्रेस (मणि) के ही एक नेता की बातचीत की है, जिसमें नेताजी कहते हैं कि खुले तौर पर तो वे अपने नेता मणि का समर्थन करते रहेंगे, लेकिन गुप्त रूप से वे उनके साथ हैं।
इन दोनों नेताओं का टेप सामने आने के बाद राजनीति में भूचाल आ गया है। मणि के समर्थक केरल कांग्रेस(बी) और उसके नेता को यूडीएफ से बाहर निकालने की मांग कर रहे हैं।
मणि की पार्टी के अंदर भी कलह तेज हो गई है। उनकी पार्टी के एक नेता का टेप सामने आने के बाद स्थिति बहुत ही अप्रिय हो गई है। मणि के इस्तीफे की मांग तो नहीं हो रही है, लेकिन उसकी संभावना को ध्यान में रखते हुए राजनीति की जा रही है। मणि का एक बेटा लोकसभा सांसद हैं। कहा जा रहा है कि यदि मणि ने इस्तीफा दिया भी, तो उनका बेटा उनकी जगह पार्टी और सरकार में ले सकता है। इस संभावना को लेकर पार्टी के अंदर काफी खलबली है। (संवाद)
भारत: केरल
मणि के समर्थन के मसले पर कांग्रेस में मतभेद
केरल कांग्रेस (मणि) के अंदर भी भारी कलह
पी श्रीकुमारन - 2015-01-28 11:26
तिरुअनंतपुरमः वित्तमंत्री के एम मणि को उनके पद से हटाए जाने को लेकर कांग्रेस के अंदर भारी मतभेद पैदा हो गया है। रमेश चेनिथाला का गुट मणि को पद से हटाए जाने की वकालत कर रहा है, तो मुख्यमंत्री चांडी का गुट मणि को अपने पद से बर्खास्त किए जाने के खिलाफ है।