भारतीय जनता पार्टी पहले यहां के चुनाव को आसान मान कर चल रही थी, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में उसने न केवल यहां की सातों लोकसभा सीटों पर जीती थी, बल्कि 70 में से 60 विधानसभा सीटों पर इसके उम्मीदवारों को बढ़ हासिल हुई थी। इसके कारण उसके नेताओं को लग रहा था कि पार्टी भले कुछ कम सीटें पाए, लेकिन उसकी सरकार यहां बन ही जाएगी।
पर आम आदमी पार्टी की ओर से उसे कड़ी चुनौती मिल रही है। भारतीय जनता पार्टी ने उस चुनौती का सामना करने के लिए किरण बेदी को बाहर से लाकर अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार बना दिया, लेकिन उसकी यह रणनीति काम नहीं कर रही है।
किरण बेदी के कारण भारतीय जनता पार्टी का चुनाव अभिया नही अपनी लीक पर से उतर गया है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि दिल्ली प्रदेश के भाजपा नेता और कार्यकत्र्ता किरण बेदी को अपने नेता के रूप में स्वीकार करने में अपने को असमर्थ पा रहे हैं। किरण बेदी भी अपने आपको भाजपा नेताओं और कार्यकत्र्ताओं के साथ जोड़ने में विफल हो रही है। इसका कारण यह है कि भाजपा में उनका आगमन बहुत देर से हुआ है।
दूसरा कारण किरण बेदी का केजरीवाल की चुनौती के सामने कमजोर पड़ जाना है। आम आदमी पार्टी ने किरण बेदी को केजरीवाल से टीवी बहस की चुनौती दे डाली थी, जिसे सुश्री बेदी ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इसका दिल्ली के लोगों पर भाजपा के लिहाज से खराब असर हुआ है। सुश्री बेदी की छवि एक कमजोर मुख्यमंत्री उम्मीदवार की बनी है।
भारतीय जनता पार्टी में दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर अफरातफरी का कैसा माहौल है, इसका पता इसीसे लगता है कि यह खबर लिखे जाने तक भाजपा ने अपना चुनाव घोषणा पत्र तक तैयार नहीं किया था। माना जा रहा है कि शायद इस बार भाजपा किसी चुनावी घोषणा पत्र के ही चुनाव लड़े।
मोदी सरकार आने के बाद दिल्ली में पहले की तरह ही राष्ट्रपति शासन चल रहा है। केन्द्र शासित प्रदेश होने के कारण एक तरह से यहां केन्द्र की ही सरकार है। इसलिए चुनावी घोषणा पत्र में वायदे करने पर भाजपा नेताओ से सवाल किया जा सकता है कि जो वायदे वह कर रही है, उसे उसने अभी दिल्ली में लागू क्यों नहीं किया है, जबकि दिल्ली में अभी उसकी ही सरकार है।
बिजली के मसले पर आम आदमी पार्टी के नेता भाजपा को घेर रहे हैं। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में 2.013 विघानसभा चुनाव के पहले बिजली 30 फीसदी सस्ता करने का वायदा किया था। उससे पूछा जा रहा है कि मोदी की सरकार बनने के बाद उसने दिल्ली में बिजली की दर 30 फीसदी क्यों कम नहीं की। इस सवाल का जवाब भाजपा के पास नहीं है।
टीवी चैनलो द्वारा जारी किए जाने वाले सर्वे कितना सच हैं और कितना गलत, इसके बारे में दावे से कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन इसके कारण भी भाजपा के नेता नर्वस दिखाई पड़ रहे हैं, क्योंकि अधिकांश सर्वे में अरविंद केजरीवाल को किरण बेदी पर भारी पड़ता दिखाया जा रहा है। चुनाव अभियान शुरू होने के पहले पार्टी के रूप में भाजपा को आप पर भारी दिखाया जा रहा था, लेकिन अब आम आदमी पार्टी को ज्यादातर सर्वे भाजपा से भारी दिखा रहे हैं।
भाजपा के लिए यह चुनाव जीतना काफी मायने रखता है। यही कारण है कि अमित शाह इसे काफी गंभीरता से ले रहे हैं और इस बार वार रूम दिल्ली प्रदेश भाजपा का कार्यालय नहीं है, बल्कि भाजपा का राष्ट्रीय कार्यालय ही वार रूम में तब्दील हो गया है। (संवाद)
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जाड़े के मौसम में भी भाजपा नेताओं के छूट रहे हैं पसीने
आम आदमी पार्टी को शिकस्त देना आसान नहीं
उपेन्द्र प्रसाद - 2015-01-29 11:29
नई दिल्लीः दिल्ली में कड़ाके की सर्दी है, लेकिन इस मौसम में चुनावी गर्मी का माहौल अब अपने चरम पर पहुंच गया है। यह चुनाव मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी के बीच में सिमट कर रह गया है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की सभाओं मे भी इस बार भीड़ जुट रही है, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार आमतौर पर मायूसी का सामना कर रहे हैं। वैसे कांग्रेस के पास इस चुनाव में खोने के लिए कुछ भी नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश की 70 लोकसभा सीटों में से किसी पर भी बढ़त हासिल नहीं हुई है।