इटानगर में कल शाम सीमा सड़क विकास बोर्ड की एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए श्री पल्लम राजू ने सीमा क्षेत्रों तक बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता पर जोर दिया ।

सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेपऊटीनेंट जनरल एम सी बधानी ने बैठक में बताया कि भारतीय वायु सेना की सामान ऊपर उठाने की क्षमता काफी कम है, जिसकी वजह से अरुणाचल प्रदेश में अधिकांश सड़कों के निर्माण में देरी हो रही है और यह निर्माण कार्य वर्ष 2013 भी पार कर सकता है । पिछले वर्ष बीआरओ को 3500 टन की आवश्यकता थी और वास्तव में सिर्फ 400 टन ही उठाया गया था ।

लेफ्टीनेंट जनरल बधानी ने बताया कि पूर्वोत्तर मे बीआरओ की हैलीकॉप्टर की आवश्यकता को आंशिक रूप से पूरा करने के लिए पवन हंस ने एक प्रारंभिक प्रस्ताव दिया है लेकिन उनके पायलट उस वजन को लटकाकर ले जाने के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं, जिसे लैंडिंग स्थल नहीं रहने के कारण दुर्गभ स्थानों पर हवाई मार्ग से ऊपर से गिराने की आवश्यकता है । उन्होंने यह भी कहा कि बी आर ओ की 75 प्रतिशत से अधिक सड़क निर्माण परियोजनाएं काफी ऊंचे स्थानों पर हैं । बी आर ओ सिर्फ अरुणाचल प्रदेश में कुल 5061 किलोमीटर लम्बी सड़क का 2764 किलोमीटर सड़क बना रहा है । लेपिऊटनेंट बधानी ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि देश में किसी भी सेना बल के मुकाबले बी आर ओ में मृत्यु दर सबसे अधिक है ।

इससे पहले कल श्री पल्लम राजू ने अरुणाचल प्रदेश के चांगलाँग जिले में जयरामपुर में द्वितीय विश्वयुद्ध के समाधि स्थल में एक युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया। यह कब्रिास्तान सहयोगी बलों द्वारा बनाए गए स्टीलवेल सड़क पर स्थित है, जो असम में लेडो से जुड़ती है, म्यांमार से होकर गुजरती है और चीन तक जाती है । ऐसा माना जाता है कि अमरीकी, चीनी और ताईवानी सैनिकों की लगभग 1000 कब्रों हैं, जिसमें से दो कब्रों फरवरी, 1999 में सड़क पुनर्निर्माण योजना के दौरान मिली थी । श्री पल्लम राजू ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री दोरजी खांडू के साथ नामपॉग, चांगलांग में तीन दिवसीय पंगसाउ दर्रा शीत उत्सव का भी उद्घाटन किया । #