हाल तक अमर सिंह राष्ट्रीय स्तर पर समाजवादी पार्टी का चेहरा थे। संसद के अंदर और संसद के बाहर सपा की ओर से वही अन्य नेताओं के साथ मिलकर अपनी पार्टी की राजनीति तय करते थंे। पार्टी के लिए चंदा उगाहने का महत्वपूर्ण काम भी वे ही किया करते थे।े वे पार्टी का टिकट बांटा करते थे। वे नेताजी मुलायम सिंह यादव के साथ फिल्मी हस्तियों को जोड़ने का काम भी किया करते थे। नेताजी कहा करते थे कि बमर सिंह के बिना उनका काम चलेगा ही नहीं। यदि नेताजी के वश में होता तो वे अमर सिंह का इस्तीफा कभी भी स्वीकार नहीं करते।
मुलायम सिंह की आंखों के तारा होने के बावजूद अमर सिंह अनेक लोगों की आंखों में खटकते भी थे। नेताजी का पूरा परिवार उन्हें नापसंद करता था। उनके कारण राज बब्बर, बेनी प्रसाद वर्मा और आजम खान जैसे नेता सपा से बाहर चले गए। उनके कारण जनेश्वर मिश्र जैसे वरिष्ठ नेता पार्टी में अपने आपको उपेक्षित महसूस करते रहे। मुलायम के बेटे अखिलेश उत्तर प्रदेश की इकाई के अध्यक्ष बन गए। इसे अमर सिंह पचा नहीं पा रहे थे। इसी बीच अखिलेश की पत्नी फिरोजाबाद लोकसभा का उपचुनाव हार गईं। उसके बाद तो मुलायम सिंह बौखला गए और पार्टी में अमर विरोधियों की ताकत बढ़ गई। उसके बाद तो मुलायम सिंह ने भी अमर की उपेक्षा शुरू कर दी। फिर तो अमर सिंह का पार्टी से मोह ही भंग हो गया।
सवाल उठता है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का भविष्य क्या है? पार्टी की दृष्टि से अमर सिंह का इस्तीफा बहुत ही खराब समय में आया है। उत्तर प्रदेश में पार्टी का दिन प्रतिदिन पतन हो रहा है। बहुजन समाज पार्टी प्रदेश की राजनीति पर अपनी पकड़ मजबूत कर रही है और कांग्रेस का फिर से उभार हो रहा है। वैसी हालत में समाजवादी पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश की राजनीति में जगह लगातार कम होती जा रही है। इस पतनकाल में मुलायम सिंह यादव पार्टी की कमान अपने बेटे अखिलेश यादव के हाथों में थमा रहे हैं। जब खुद मुलायम सिंह यादव स्थितियों को संभाल पाने में यफल नहीं हो रहे हैं, तो फिर उनका बेटा मायावती और राहुल गांधी द्वारा पैदा की जा रही चुनौतियों के सामने कैसे टिक पाएंगे?
मुलायम सिंह यादव अब खुद वह मुलायम सिंह नहीं रहे जो वे 18 साल पहले थे। राज्य की राजनीति भी अब वह नहीं रही, जो 18 साल पहले थी। उनमें अब पुराना करिश्मा नहीं रहा। उनकी राजनीति का सामाजिक आधार अब सिर्फ अपनी जाति के लोगों तक ही सीमित रह गया है। अमर सिंह के जाने के बाद उनकी पार्टी से जुड़ा राजपूत आधार भी खिसक जाएगा। अमर सिंह ने जयप्रदाए जया बच्चन और संजय दत्त जैसी सिने हस्तियों को पार्टी से जोड़ रखा है। श्री सिंह के सपा से जाने के बाद वे भी पार्टी से बाहर चले जाएंगे।
पार्टी का मुस्लिम आधार कांग्रेस की ओर खिसक गया है। दो सालों के बाद वहां चुनाव होने हैं और पार्टी अकेले कुछ हासिल कर पाने की स्थिति में नहीं हैं। उसे किसी पार्टी से चुनावी गठबंधन करने की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन वैसी कोई पार्टी भी फिलहाल दिखाई नहीं पड़ रही है, जिससे सपा उत्तर प्रदेश में गठबंधन कर सके। अमर सिंह के सभी पदों से इस्तीफा देने के बाद पार्टी के सभी पदों पर मुलायम के परिवार के लोग ही बैठे दिखाई दे रहे हैं। यह पार्टी के लिए एक अतिरिक्त समस्या है।
दूसरी तरफ अमर सिंह का काम भी आसान नहीं है। उनके बारे में तरह तरह की बाते की जा रही हैं। कुछ लोग कह रहे हैं कि वे एक अलग पार्टी बनाएंगे और कल्याण सिंह के साथ मिलकर राजनीति करेंगे। कुछ लोग कह रहे हैं कि उनकी पहली प्राथमिकता कांग्रेस पार्टी में २ाामिल होने की है। कुछ लोग कह रहे हैं कि वे राष्ट्रवादी पार्टी में २शामिल होंगे। अमर सिंह जहां जाएं, अतना तो तय है कि उन्हें कहीे दूसरी मुलायम सिंह मिलने वाला नहीं है। (संवाद)
भारत: राजनीति
अमर सिंह अब क्या करेंगे
समाजवादी पार्टी के लिए भी मुश्किलों भरे दिन
कल्याणी शंकर - 2010-01-22 11:14
अमर सिंह का इस्तीफा मुलायम सिंह यादव द्वारा भारी मन से स्वीकार कर लिए जाने के बाद यह सवाल किया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी का क्या होगा। यह सच है कि किसी एक व्यक्ति के पार्टी में २शामिल होने अथवा बाहर चले जाने के बाद पार्टी पर कुछ खास असर नहीं पड़ता, लेकिन यह भी सच है कि मुलायम सिंह यादव के अपने पुरानी समाजवादी जड़ों की ओर वापस लौटने के बावजूद भी समाजवादी पार्टी का वह पुराना गौरव वापस नहीं आएगा।