गौरतलब है कि इन घोटालों की जांच विशेष जांच टीम (एसआइटी) द्वारा की जा रही है और एसआइटी के प्रमुख जैकब थामस हैं। थामस खुद अपनी जान पर खतरे की बात करने लगे हैं।
श्री थामस ने यह जानकारी एक समाचार टीवी चैनल से हुई बातचीत में दी। उन्होंने कहा कि उन पर भारी दबाव पड़ रहा है। यही नहीं, उन्हें उस जांच से हटाकर कहीं और भेज दिए जाने की कोशिशें भी चल रही हैं।
जैकब थामस का वह आरोप प्रदेश सरकार के उस दावे की खिल्ली उड़ा रहा है, जिसके तहत कहा गया था कि थामस को जांच की खुली छूट दे दी गई हैं और उनके काम में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहा है।
प्रदेश के गृह मंत्री ने निष्पक्ष जांच पर बल देते हुए कहा था कि अपराधी चाहे जितना भी ताकतवर हो, उसे सजा मिलेगी।
थामस पर दबाव क्यों पड़ रहा है इसके बारे में अनुमान लगाना कठिन नहीं है। थामस एक ईमानदार अधिकारी की छवि रखते हैं। उन्हें भ्रष्ट नहीं किया जा सकता। उनके आदेश पर ही वित्त मंत्री के एम मणि के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया गया था। अधिकारी थामस प्रदेश के ताकतवर नेताओं के नाजुक नसों को दबाने में लगे हुए हैं। जाहिर है, वे ताकतवर नेता अपने तरीके से उनपर दबाव बनाने में लगे हुए हैं। यही कारण है कि उनको जांच अधिकारी के पद से हटाने की कोशिशें भी शुरू हो गई हैं।
गौरतलब है कि केरल के लोक आयुक्त ने जैकब थामस द्वारा जारी की गई दूसरी रिपोर्ट को अनावश्यक बताया था। वह रिपोर्ट पहली रिपोर्ट पर पैदा किए गए संदेह पर सफाई देने के लिए जारी की गई थी। पर लोक आयुक्त का कहना है कि उसकी कोई जरूरत नहीं थी, क्योंकि शिकायत पहले ही दर्ज कर ली गई है।
लोक आयुक्त इस बात से भी नाराज है कि उस रिपोर्ट पर वे विचार करते, उसके पहले ही उसे मीडिया में लीक कर दिया गया। कहा जा रहा है कि उस रिपोर्ट में मुख्यमंत्री चांडी को भी पटूर केस में घेरे में लिया गया है। लेकिन लोक आयुक्त ने स्पष्ट किया है कि उसमें किसी और व्यक्ति के घोटाले में शामिल होने की बात नहीं की गई है। अदालत ने भी रिपोर्ट लीक होने पर आपत्ति जताई है। उसने रिपोर्ट को गुप्त रखने के लिए कहा है।
कानूनी विशेषज्ञ अदालत के रवैये को लेकर आश्चर्यचकित हैं। उनका कहना है कि रिपोर्ट लीक होने के मामले पर अदालत का चिंतित होना स्वाभाविक है, लेकिन उसके द्वारा रिपोर्ट को गुप्त रखने की सलाह देना अटपटा लगता है।
इस बीच पटूर केस के वादी ने मांग की है कि मुख्यमंत्री चांडी के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज की जाय। उनके साथ उस समय के मुख्य सचिव के खिलाफ भी मुकदमा करने की मांग की गई है। इसके पहले उस मांग को मानने से इनकार कर दिया गया था और कहा गया था कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के खिलाफ इस मामले में मुकदमा नहीं किया जा सकता।
थामस को जांच से हटाए जाने की कोशिश और उनकी जान पर खतरे को देखते हुए अदालत को अब हस्तक्षेप करना चाहिए। उनके जांच से हटाए जाने की कोशिश पर अदालती हस्तक्षेप ही विराम लगा सकता है। (संवाद)
भारत: केरल
बार रिश्वतखोरी में नया मोड़, अदालत का हस्तक्षेप जरूरी
पी श्रीकुमारन - 2015-02-17 12:56
तिरुअनंतपुरमः बार रिश्वतखोरी और पटोर भूमि घोटाले में हो रही जांच अब एक विस्फोटक मोड़ पर पहुंच गई है। जांच अधिकारी को ही अब जान से मार दिए जाने की धमकी मिल रही है और जांच अधिकारी जैकब थामस अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।