भोपाल में कांग्रेस के 4 प्रमुख नेताओं ने एक प्रेस कान्फ्रेंस किया। उस संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस में कांग्रेस के नेताओं ने दावा किया कि चौहान के खिलाफ भ्रष्टाचार के लगाए जा रहे आरोपो से संबंधित पुख्ता सबूत उनके पास है। जिन कांग्रेस नेताओ ने संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित किया, वे हैं दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, सुरेश पचौरी और ज्योतिरादित्या सिंधिया।

प्रेस कान्फ्रेंस संबोधित करने के पहले दिग्विजय सिंह स्पेशल इनवेस्टिगेटिंग टीम के कार्यालय में गए थे और वहां उन्होंने शिवराज सिंह चैहान के खिलाफ कुछ दस्तावेजी सबूत टीम को उपलब्ध कराए। दिग्विजय सिह अपने साथ वहां दिल्ली के दो प्रख्यात वकील के टी एस तुलसी और विवेक तन्खा को भी ले गए थे। व्यापम घोटाले में शिवराज सिंह चैहान के शामिल होने के सबूत उन्होंने वहां जाकर दिए। उन्होंने वहां वे सबूत अपने हलफनामे के साथ दिए।

गौरतलब हो कि व्यापक घोटाले की जांच एक स्पेशल टास्क फोर्स कर रही है। उस टास्क फोर्स की मोनिटरिंग के लिए उच्च न्यायालय ने एक स्पेशल इनवेस्टिेगेशन टीम का गठन किया है। उस टीम के दफ्तर में जाकर ही दिग्विजय सिंह ने सारे दस्तावेज जमा कराए थे।

एसआइटी के प्रमुख जस्टिस चन्द्रेश भूषण हैं। दिग्विजय सिंह ने उनके सामने सबूत पेश करते हुए हलफनामे में कहा कि व्यापम घोटाले की जांच को पहले से गलत दिशा दी जा रही है और जांचकर्ता सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का उल्लेख 48 स्थानों पर आया था, लेकिन बाद में उसे वहां से हटाया गया। उसमें मंत्री1, मंत्री 2, मंत्री 3 और मंत्री 4 का भी उल्लेख था। पर उन सबकी जगह मंत्री लिखकर छोड़ दिया गया और इस तरह सिर्फ लक्ष्मीकांत शर्मा को ही फंसाया गया और शेष को छोड़ दिया गया।

गौरतलब हो कि लक्ष्मीकांत शर्मा अभी भी जेल में हैं। वे चैहान के सबसे विश्वस्त मंत्री हुआ करते थे। जनसंपर्क मंत्री के रूप में लक्ष्मीकांत शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की छवि ठीक करने के लिए सारी सीमाएं तोड़ दी थी।

दिग्विजय सिंह ने कहा मूल दस्तावेज मे उमा भारती के नाम 10 जगह आए थे, लेकिन बाद में बदले हुए दस्तावेज में उनके नाम 17 जगह आ गए। इस तरह से जांचकत्र्ताओं ने उमा भारती की भूमिका को घोटाले में बढ़ाचढ़ाकर पेश किया।

प्रेस कान्फ्रेंस में दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि एसटीफ मुख्यमंत्री के आदेश के तहत काम करता है, इसलिए वह शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए सही ढंग से काम नहीं कर सकता। जांच के सही ढंग से आगे बढ़ने के लिए दिग्विजय सिंह ने शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटना जरूरी बताया और उनके इस्तीफे की मांग की।

व्यापम घोटाला मध्यप्रदेश का अबतक का सबसे बड़ा घोटाला है। शिक्षा और नियुक्ति के क्षेत्र में यह भारत का अबतक सबसे बड़ा घोटाला है। व्यापक व्यावसायिक शिक्षा कोर्स के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है और उन कोर्सेज में नामांकन की सूची तैयार करता है। व्यापम सरकारी नियुक्तियों की परीक्षाएं भी आयोजित करता है। घोटाले उन नियुक्तियों और नामांकन में ही हुए।

उसकी जांच चल रही है और अब तक सैकड़ों गिरफ्तारियां भी हुई हैं। विपक्ष उस घोटाले में शिवराज सिंह चौहान के शामिल होने का आरोप लगा रहा है, लेकिन जांच की आंच अभी तक उनतक नहीं पहुंच पाई है। दिग्विजय सिंह ने दावा किया है कि उनके हाथ में चैहान के उस घोटाले में शामिल होने के अकाट्य सबूत हैं। (संवाद)