व्यापम घोटाले में राजभवन का नाम काफी दिनों से आ रहा था। उनके विशेषाधिकारी और बेटे तो काफी पहले से आरोपों का सामना कर रहे थे और जब उनका नाम सीधे तौर पर इसमें आ गया और उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो गया, तो उनका अपने पद पर बने रहना असंभव हो गया।

उनके साथ साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान पर भी व्यापम घोटाले में शामिल होने के आरोप लग रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जांच करे रहे लोगों को हलफनामे के साथ कुछ दस्तावेज दिए हैं, जिनमें श्री सिंह के दावे के अनुसार, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के उस भ्रष्टाचार में शामिल होने के अकाट्य प्रमाण हैं।

हलफनामे के साथ सबूत के दस्तावेजों को देने का खास महत्व होता है। यदि हलफनामा देते हुए कोई दस्तावेज पेश करता है और वह दस्तावेज सबूत के तौर पर नाकाफी साबित होता है, तो हलफनामा देने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। जाहिर है मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने ऊपर मुकदमा करने की चुनौती और खतरे के साथ वे दस्तावेजी सबूत जांच अधिकारियों को सौंपे हैं। उसके कारण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान भी संकट में पड़ते दिखाई पड़ रहे हैं।

दिग्विजय सिंह का दावा है कि जांचकर्मियों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के व्यापम घोटाले में शामिल होने के सबूत मिल गए थे, लेकिन चूंकि शिवराज सिंह चैहान ही उनके बाॅस हैं, इसलिए उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई करना तो दूर, जांच कर्मियों ने मूल दस्तावेजों के साथ छेडछाड भी कर दी। दस्तावेज में जहां सीएम लिखा हुए था, वहां यूएम कर दिया गया। यानी शिवराज सिंह चैहान को बचाने के लिए उस स्थान पर उमा भारती का नाम डाल दिया गया।

गौरतलब है कि उमा भारती भी मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। एक मुकदमे का सामना करने के कारण उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और उनकी जगह बाबूलाल गौर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। मुकदमा जीत जाने के बाद भी उमा भारती को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया और बाबूलाल गौर की जगह शिवराज सिंह चैहान को मुख्यमंत्री बना दिया गया। तब से ही उमा भारती के साथ चैहान का 36 का आंकड़ा है।

पूरे देश के इतिहास की यह पहली घटना है जब एक ही घोटाले में प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल दोनों के शामिल होने के आरोप लग रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि रामनरेश यादव को मध्यप्रदेश का राज्यपाल कांग्रेसी प्रधानमंत्री नरसिंहराव ने ही बनाया था, पर प्रदेश के कांग्रेसी नेता ही अब उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे। उनका इस्तीफा तो आ गया और उसके पहले उन पर मुकदमा भी दायर हो गया, लेकिन शिवराज सिंह चैहान को लेकर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है।

व्यापम घोटाला एक बहुत ही व्यापक घोटाला है, जिसमें अबतक हजारों लोगों के खिलाफ मुकदमे दायर हो चुके हैं और सैकडों गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं। सैकड़ों लोग अभी भी जेल में हैं। जेल में पड़े लोगों मंे लक्ष्मीकांत शर्मा भी शामिल हैं, जो प्रदेश के मंत्री हुआ करते थे और उस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के सबसे ज्यादा करीब माने जाते थे।

व्यापम व्यावसायिक परीक्षा मंडल को छोटा रूप है। यह परीक्षा मंडल प्रदेश के इंजीनियरिंगए मेडिकल और नसिंग काॅलेजों वा प्रबंधन के संस्थानों मंे प्रवेश के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है। इसके अलावा प्रदेश के कर्मचारियों की चयन परीक्षाएं भी यह आयोजित करता है। कई वर्षों तक इसके द्वारा आयोजित प्रवेश और नियुक्ति परीक्षाओ और उनके जारी नतीजों मे भ्रष्टाचार होता रहा और हजारों लोगों को गलत तरीके से सफल घोषित किया गया। इस घोटाले में हजारों लोगों की संलिप्तता सामने आई है। राज्यपाल के इस्तीफे के बाद सबकी नजर शिवराज सिंह के भविष्य पर लगी हुई हैं। (संवाद)