अब नई दिल्ली ने संकेत दिया है कि वह पाकिस्तान के साथ बातचीत चलाने के हक में है। इसके कारण आशा की नई किरण जगी है। प्रधानमंत्री के निर्देश पर विदेश सचिव जयशंकर ने सार्क की यात्रा की और उसके दौरान इस्लामाबाद में पाकिस्तान के विदेश मंत्री ऐजाज अहमद से मुलाकात की। अब तक की खबरों के अनुसार दोनों के बीच हुई शुरुआती बातचीत उत्साहजनक रही है।
पिछले साल भी दोनों के बीच बातचीत होने जा रही थी, लेकिन एकाएक वह शुरू होने के पहले ही समाप्त हो गई। उसका कारण पाकिस्तानी उच्चायुक्त का कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से मिलना था। भारत ने उस मुलाकात पर आपत्ति की और पाकिस्तान के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया।
पाकिस्तान पिछले कई सालों से ऐसा ही करता रहा है। भारत से बातचीत के पहले वह कश्मीर के हुर्रियत नेताआंे से मिलता है। बातचीत के बाद भी वह हुर्रियत के नेताओं से मिलता है और बातचीत के बारे में उन्हें सबकुछ बताता है। भारत हमेशा इस पर आपत्ति करता है, लेकिन मोदी सरकार ने पाकिस्तान की उस हरकत पर आपत्ति करते हुए बातचीत करने से ही इनकार कर दिया था।
भारत का कहना है कि शिमला समझौते में स्पष्ट है कि कश्मीर के मसले को भारत और पाकिस्तान द्विपक्षीय बातचीत के द्वारा हल करेगा। हुर्रियत को बीच में लाकर पाकिस्तान उस द्विपक्षीयता के सिद्धांत का खंडन कर देता है, जो भारत को मंजूर नहीं है। यदि हुर्रियत को किसी से बात करनी है, तो वह भारत सरकार से बात कर सकती है अथवा कश्मीर की सरकार से बात कर सकती है। पाकिस्तान से वह बात करे और पाकिस्तान उसके लिए तत्परता दिखाए, यह भारत को मंजूर नहीं।
पिछले साल बातचीत के पटरी पर उतरने के कुछ समय के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि पाकिस्तान के साथ बातचीत फिर शुरू हो सकती है। उनका कहना था कि राजनय में फुलस्टाॅप नहीं होता, उसमें काॅमा होता है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी क्रिकेट मैच का इस्तेमाल राजनय में करना शुरू किया है।
भारत पाकिस्तान के बीच बेहतर बातचीत माहौल बनाते हुए जम्मू और कश्मीर के चुनाव ने एक ऐसी विधानसभा खड़ी कर दी, जिसमें दो विरोधी विचारों वाली पार्टी को एक साथ मिलकर सरकार बनाना पड़ा। 1987 के बाद पहली बार 2015 के विधानसभा चुनाव में वहां के लोगों ने भारी पैमाने पर मतदान किया।
पीडीपी और भाजपा की गठबंधन सरकार बनने के बाद पाकिस्तान के अखबार ने एक सर्वेक्षण करवाया, तो उसमें पाया गया कि घाटी के 60 फीसदी से भी ज्यादा लोग इस गठबंधन सरकार के पक्ष में हैं। इसलिए पाकिस्तान के लिए यह साफ साफ संदेश है कि घाटी में वह अपने आपको नहीं उलझाए और वहां की सरकार को शांति से काम करने दे।
आलोचक कहते हैं कि भाजपा और पीडीपी की सरकार नाजायज है, लेकिन सच्चाई यह है कि जिस तरह का राजनैतिक माहौल जम्मू और कश्मीर में है, उसमें इसी तरह की सरकार बन सकती थी। इसलिए इस सरकार को बना रहना चाहिए और भारत व पाकिस्तान के बीच भी बातचीत होती रहनी चाहिए। (संवाद)
भारत
भारत पाक बातचीत होती रहनी चाहिए
भाजपा और पीडीपी का गठबंधन भी बना रहना चाहिए
अशोक बी शर्मा - 2015-03-14 15:19
भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंध का ग्राफ ऊपर नीचे होते रहता है। दोनों के बीच कभी बातचीत का माहौल बनता है और कभी संवादहीनता पैदा हो जाती है। कभी दोनों के बीच में दोस्ती के गाने गाने की होड़ लगती है, तो कभी दोनों एक दूसरे को आंखें तरेरने लगते हैं। इन दोनों के अनिश्चित संबंधों का असर दक्षिण एशिया के विकास पर पड़ा है। उसके कारण विकास की प्रक्रिया बाधित होती है।