राष्ट्रीय परिषद की बैठक में निशाने पर लिए जा रहे दोनों नेताओं के पक्ष में और भी ज्यादा समर्थन की उम्मीद की जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि दिल्ली के बाहर के आम आदमी पार्टी नेताओ और कार्यकत्र्ताओं में प्रशांत भूषण का समर्थन बहुत ज्यादा है। यह अनायास भी नहीं है। दरअसल भूषण और केजरीवाल में मतभेद का एक बड़ा कारण दिल्ली के बाहर अगले पांच साल तक चुनाव न लड़ने की केजरीवाल की घोषणा है।
मुख्यमंत्री के रूप में दोबारा शपथग्रहण के दिन भूषण ने कहा था कि वे अगले 5 सालों तक दिल्ली पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहेंगे और अन्य राज्यों में चुनाव नहीं लड़ेगे। उनकी इस घोषणा का दिल्ली के बाहर के आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकत्र्ताओं के बीच स्वागत नहीं हुआ है। भूषण भी इससे सहमत नहीं हैं। दिल्ली चुनाव के पहले हुए विधानसभा चुनावो में भी आम आदमी पार्टी ने हिस्सा नहीं लिया था। योगेन्द्र यादव और केजरीवाल के बीच बढ़ते मतभेद का एक कारण हरियाणा के चुनाव में आम आदमी पार्टी का हिस्सा नहीं लेना था।
पहले हुए चुनावों में भाग न लेने के निर्णय को देश के बाहर के आम आदमी पार्टी कार्यकत्र्ताओ ने मन मार कर स्वीकार कर लिया, क्योंकि लोकसभा चुनाव में पार्टी को भारी निराशा हाथ लगी थी और कार्यकत्र्ताओं के हौसले पस्त थे, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में रिकार्ड जीत और मादी के घटते करिश्मे के कारण देश भर के पार्टी कार्यकत्र्ताओं के हौसले जबर्दस्त तरीके से बुलंद हुए हैं और वे अब अन्य राज्यों में भी चुनाव लड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं। वैसी स्थिति मे केजरीवाल द्वारा चुनाव न लड़ने की घोषणा करना उनको नागवार गुजर रहा है।
चूंकि प्रशांत भूषण अन्य राज्यों में भी पार्टी के चुनाव में भाग लेने की इच्छा रखते हैं, इसलिए स्वाभाविक रूप से दिल्ली के बाहर के पार्टी कार्यकत्र्ताओं का समर्थन उनके साथ है। भूषण मांग कर रहे हैं सभी राज्यों की ईकाइयों को निर्णय करने की आजादी दी जाय। इसका मतलब है कि राज्य ईकाइयां यह तय करें कि उन्हें चुनाव लड़ना है या नहीं। उनकी इस मांग का देश भर के पार्टी कार्यकर्ता और नेता समर्थन कर रहे हैं।
यही कारण है कि जबकि राष्ट्रीय परिषद की बैठक होगी, तो उसमें माहौल भूषण के पक्ष में हो सकता है। भूषण विरोधी खेमा इस तथ्य से अवगत है। खेमा इस तथ्य से भी अवगत है कि भूषण के पक्ष में माहौल होने का एकमात्र कारण होगा केजरीवाल की दिल्ली से बाहर चुनाव न लड़ने की घोषणा। इसलिए उस घोषणा को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि पार्टी अरविंद केजरीवाल अपनी राय को पलट भी सकते हैं।
इस तरह का संकेत देते हुए पिछले दिनों राजनैतिक मामलों की समिति में फैसला लिया गया कि देश भर में पार्टी को मजबूत किया जाएगा। चुनाव लड़ने का साफ साफ फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन पार्टी को मजबूत करने के फैसले में यह अंतर्निहित है कि अन्य राज्यों में राजनैतिक गतिविधियां तेज होगीं और राजनैतिक गतिविधियों को तेज करने के लिए चुनाव से ज्यादा बेहतर मौका नहीं होता है। (संवाद)
आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक
भूषण विरोधी गुट की असली परीक्षा इसी में होगी
उपेन्द्र प्रसाद - 2015-03-19 09:57
नई दिल्लीः मार्च के अंतिम सप्ताह में आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक होगी। इसमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा पिछले दिनों प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को राजनैतिक मामलों की समिति से बाहर निकाले जाने का मसला छाया रहेगा। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दोनों को के पक्ष में 8 मत, जबकि विपक्ष में 11 मत मिले थे। अरविंद केजरीवाल खुद बैठक में शामिल नहीं थे और कुमार विश्वास ने बैठक की अध्यक्षता करने के कारण किसी को मत नही दिया था। जाहिर है भूषण और यादव के पक्ष में कार्यकारिणी में भी उठने वाले हाथों की कमी नहीं थी।