पिछले दो तीन सालों से मध्यप्रदेश में गेहूं की रिकार्ड पैदावार हो रही थी। यह पैदावार पिछले साल के रिकार्ड को लगातार तोड़ रही थी। इससे उत्साहित होकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कहने लगे थे कि जल्द ही मध्यप्रदेश गेहूं उत्पादन में पंजाब को भी पीछे छोड़ देगा। मध्यप्रदेश को पिछले तीन साल से लगातार बेहतर फसल उगाने का प्रथम पुरस्कार मिल रहा है। यह पुरस्कार उसे भारत सरकार देती थी। बेमौसम बरसात के कुछ दिन पहले ही उसे यह पुरस्कार मिला था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश सरकार को बेहतर फसल उत्पादन का पुरस्कार दिया था।

शुरुआती आकलन के अनुसार प्रदेश के 22 जिलों के 2000 गांवों में फसलों को नुकसान पहुंचा है। राज्य सरकार किसानों को बर्बाद फसलों का मुआवजा देने के लिए तैयार है। इसके लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जा रहा है।

राजस्व मंत्री रामपाल सिंह ने कहा है कि नुकसान का सर्वे शुरू हो चुका है और महीने के अंत से मुआवजे का भुगतान करना शुरू हो जाएगा। पिछले 17 मार्च को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में नुसान पर चर्चा की गई। उसमें निर्णय किया गया कि कृषि, राजस्व और ग्रामीण मंत्रालय के अधिकारियों की संयुक्त टीमों से सर्वे का काम कराया जाएगा।

सर्वे के नतीजों को पंचायत कार्यालयों के नोटिस बोर्ड पर डाल दिया जाएगा। उसके अतिरिक्त दावे करने या उसपर आपत्ति दर्ज करने के लिए 24 घंटे का समय दिया जाएगा। आकलन सटीक और सही हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।

मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कहा कि अन्य विभागों को आबंटित की गई राशियों में कटौती करके किसानों के लिए कोष खड़ा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार से अनुरोध किया जाएगा कि वह किसानों कें लिए दी जाने वाली सहायता राशि में वृद्धि करे।

उन्होंने कहा कि वे केन्द्र सरकार से अनुरोध करेंगे कि वह खराब गुणवत्ता वाले गेहूं की खरीद के लिए भी तैयार हो जाए। मुख्यमंत्री बरसात से प्रभावित इलाकों का व्यापक दौरा कर रहे हैं। वे बहुत जगह जा भी चुके हैं। वे खुद जाकर नुकसान का आकलन कर रहे हैं और किसानों में विश्वास पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। पहले दिन मुख्यमंत्री ने 5 जिलों का दौरा किया और किसानों को आश्वस्त किया कि उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है और संकट की इस घड़ी में सरकार उनके साथ है।

चंबल और ग्वालियर इलाके में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। बरसात के दौरान बिजली गिरने से 6 से ज्यादा लोगों की मौत भी हुई है। कुछ इलाकों मंे नुकसान 80 फीसदी तक हुआ है। भिंड और मुरैना के प्रशासन का कहना है कि लोगों की मौत के अलावा जानवर भी मारे गए हैं।

इस बीच किसानों की आत्महत्याओं की खबरें भी राजधानी भोपाल में आ रही हैं। कुछ किसान फसलों के बरबाद होने के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। कांग्रेस ने मांग की है कि राज्य सरकार को किसानों की सहायता के लिए 10 हजार करोड़ का राहत पैकेज घोषित करना चाहिए। उसकी मांग है कि किसानों के बिजली बिलों को माफ कर दिया जाना चाहिए और उन्हें मिल कर्ज भी माफ होने चाहिए। (संवाद)