गौरतलब हो कि वित्त मंत्री के एम मणि पर बार मालिकों के संगठन ने घूसखोरी का आरोप लगाया है और इस आरोप में उनपर मुकदमा भी दर्ज हो गया है। विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है और उनकी मांग को नजरअंदाज करना सरकार के लिए मुश्किल हो रहा है। बजट पेश करना वित्त मंत्री की ही जिम्मेदारी है और विपक्ष में बजट पेश करने के रास्ते में अभूतपूर्व अड़चने पैदा की और सदन में अभूतपूर्व स्थिति पैदा हो गई थी।
सत्तारूढ़ मोर्चे और खासकर कांग्रेस की ओर से मिल रहे समर्थन के कारण मणि विपक्षी चुनौती का सामना कर रहे थे और इसके कारण ही वे अपने पद पर बने हुए भी हैं, लेकिन अब कांग्रेस के अंदर से भी उनके खिलाफ आवाज उठने लगी है। जाहिर है, इसके कारण उनकी स्थिति लगातार पतली होती जा रही है।
कुछ कांग्रेसी नेती तो पहले से ही उनके खिलाफ थे, लेकिन अब उनमें कांग्रेस के आधिकारिक प्रवक्ता अजय थरायील और पी सुधाकरन भी शामिल हो गए हैं। सुधाकर ने मांग की है कि मणि को कुछ समय के लिए आराम करना चाहिए और इस बीच वित्त मंत्रालय मुख्यमंत्री चांडी को सौंप देनी चाहिए। कुछ समय के आराम के बाद तरोताजा होकर उन्हें फिर वित्त मंत्रालय सभाल लेना चाहिए।
यह मांग सुधाकरन ने फेसबुक पर डाले गए अपने एक पोस्ट के द्वारा की थी। वित्त मंत्री मणि ने उस पोस्ट पर आपत्ति की। आपत्ति के बाद मुख्यमंत्री चांडी और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुधीरन ने सुधाकरण को उस पोस्ट को हटाने का निर्देश दिया और निर्देश का पालन करते हुए सुधाकरन ने वह पोस्ट हटा भी दिया।
दूसरी तरफ अजय थरायल अपनी बात पर शुरू से ही कायम हैं। वे पहले भी कह रहे थे कि मणि को बजट पेश नहीं करना चाहिए। उनका कहना है कि मणि के वित्त मंत्री के पद पर बने रहने से कांग्रेस नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार की विश्वसनीयता गिर गई है। मुख्यमंत्री उन्हें भी अपनी मांग वापस लेने के लिए कह रहे हैं, लेकिन श्री थरायल ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले पर अपना विचार बदलने वाले नहीं हैं और अपनी मांग वापस लेने वाले भी नहीं हैं।
मणि के खिलाफ आवाज तेज करने वाले एक अन्य कांग्रेसी नेता हैं तोमी कल्लानी। वे कोट्टायम जिला के कांग्रेस अध्यक्ष हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुधीरन के नजदीकी लोगों में उनकी गिनती होती है।
मणि के समर्थक कहते हैं कि कांग्रेस के ये नेता अपने आप इस तरह से बयानबाजी नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन्हें प्रदेश के बड़े नेताओं की ओर से उस तरह का बयान जारी करने का इशारा मिल रहा है। ऐसा मानने के बावजूद वे मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा उन बयानों के खिलाफ जाहिर की जा रही सार्वजनिक असहमति से संतुष्ट हैं।
दिलचस्प बात यह है कि चेनिंथाला गुट के कांग्रेसी नेता मणि के खिलाफ सबसे ज्यादा सक्रिय हैं। उनका कहना है कि किसी तरह बजट पेश करने के बाद अब मणि अपनी उपयोगिता खो चुके हैं। इसके बाद कांग्रेस को अब उनका समर्थन नहीं करना चाहिए, इस तरह की मांग उनके गुट द्वारा की जा रही है।
लेकिन मुख्यमंत्री का गुट इससे असहमत है। उसका मानना है कि यदि मणि पर दबाव बनाया गया, तो उनकी पार्टी सरकार से बाहर हो सकती है और अपना समर्थन भी खींच सकती है। फिर उसके बाद तो प्रदेश सरकार ही अल्पमत में आ जाएगी। उन्हें लगता है कि यदि सरकार गिरने के बाद चुनाव हुए तो चांडी के नेतृत्व में कांग्रेस का सरकार में आना असंभव है।
दूसरी तरफ मणि के खिलाफ उनकी अपनी पार्टी से भ विरोध के स्वर उठने लगे हैं। उनकी पार्टी के उपाध्यक्ष पी सी जार्ज का कहना है कि मणि को पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था। जाहिर है मणि की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। (संवाद)
भारत: केरल
मणि के खिलाफ कांग्रेस में विरोध बढ़ा
केरल कांग्रेस (मणि) के अंदर भी फूट
पी श्रीकुमारन - 2015-03-24 10:22
तिरुअनंतपुरमः केरल के वित्त मंत्री के एम मणि की चुनौती बढ़ती जा रही है। विपक्ष तो उनकी जान के पीछे पड़ा हुआ ही है, अब कांग्रेस में भी उनके खिलाफ विरोध के स्वर तेज होते जा रहे हैं। उनके खिलाफ बोलने वाले कांग्रेस नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है। कांग्रेस ही नहीं, उनकी अपनी पार्टी, केरल कांग्रेस(मणि) में भी उनको लेकर विभाजन पैदा हो गया है।