पूरा विपक्ष प्रस्तावित उत्तर प्रदेश नगर निगम (संशोधन) विधेयक के खिलाफ है। यह विधेयक भ्रष्ट मेयरों को उनके पदों से हटाने की शक्ति राज्य सरकार को देती है।

उस विधेयक को विपक्ष काला विधेयक कह रहा है और घोषणा कर रहा है कि विधानसभा के अंदर ही नहीं, र्बिल्क सड़कों पर भी उस काले विधेयक का विरोध किया जाएगा।

गौरतलब है कि राज्य मंत्रिमंडल ने एक ऐसे विधेयक को पारित किय है, जो उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 और संयुक्त प्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1916 को मिला देता है।

इस कानून में सरकार के पास नगर निकायों के प्रमुखों को सरकार द्वारा बर्खास्त किए जाने का प्रावधान होगा। भ्रष्ट मेयर को बर्खास्त करने की ताकत राज्य सरकार के पास आ जाएगी। अन्य नगर निकायों के प्रमुखों को बर्खास्त करने की ताकत राज्य सरकार के पास पहले से ही है।
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का कहना है कि इस कानून के कारण नगर निकायों मंे लोकतंत्र का खात्मा हो जाएगा। दूसरी तरफ संसदीय कार्यों के मंत्री आजम खान का कहना है कि इस कानून के बनने के बाद लोकतंत्र और भी मजबूत होगा, क्योंकि उससे नगर निकायों के भ्रष्टाचार पर नियंत्रण लग सकेगा।

लखनऊ के मेयर डाॅक्टर दिनेश शर्मा का कहना है कि प्रस्तावित कानून पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है और इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। उन्होंने विधेयक लाने के समय पर भी सवाल खड़ा किया है।

भारतीय जनता पार्टी ने इस प्रस्तावित कानून के खिलाफ आंदोलन के कार्यक्रम भी तय कर डाले हैं, ताकि वह सरकार को इस विधेयक को वापस लेने के लिए बाध्य कर सके।

पूर्व मेयर दाउजी गुप्ता ने कहा है कि मेयरों की ताकत तो पहले ही छीन ली गई है। पहले मेयर निगम आयुक्त का सीआर लिखा करते थे। इसके कारण निगम आयुक्त मेयरों के अंदर रहकर काम किया करते थे। बाद में सीआर लिखने के उनके अधिकार को समाप्त कर दिया गया। उसके बाद निगम आयुक्त अब मेयर की परवाह नहीं करते और इस तरह मेयरों की ताकत समाप्त हो गई है। दाउजी गुप्ता तीन बार मेयर रह चुके हैं।

दाउजी का कहना है मायावती सरकार के दौरान भी मेयरों को हटाने की ताकत प्रदेश सरकार हासिल करना चाह रही थी। तक समाजवादी पार्टी ने उसका जबर्दस्त विरोध किया था। आज वही समाजवादी पार्टी सत्ता में आकर वही काम करना चाह रही है, जिसका वह विपक्ष में रहते हुए विरोध किया करती थी।

दाउजी ने बताया कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने तब मेयरों को बर्खास्त करने का अधिकार प्रदेश सरकार द्वारा प्राप्त किए जाने की कोशिश को लोकतंत्र पर हमला बताया था और मायवती के उस कदम के खिलाफ आंदोलन चलाया था।

कांग्रेस विधायक इलाहाबाद की पूर्व मेयर रीता बहुगुणा जोशी ने प्रस्तावित कानून को अलोकतांत्रिक करार दिया है। उन्होंने वर्तमान और पूर्व मेयरों से अपील की है कि इस विधेयक के खिलाफ वे एकजुट होकर राज्यपाल भवन की ओर मार्च करें।

राजनैतिक विश्लेषक सुरेन्द्र राजपूत का कहना है कि समाजवादी पार्टी ने एक सोची समझी रणनीति के तहत इस विधेयक को पास कराने का फैसला किया है। दरअसल वह इसके द्वारा भारतीय जनता पार्टी की चुनौतियों का सामना करना चाहती है। अधिकांश नगर निगमों के मेयर भाजपा के हैं और भाजपा शहरों में ही सबसे ज्यादा मजबूत है। भाजपा को वहां कमजोर करने के लिए समाजवादी पार्टी उसके मेयरों को हटाएगी और नगर निगमों को अपने नियंत्रण में लेकर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश करेगी। (संवाद)