वह फैसला चाहे जो भी हो, उसका तमिलनाडु की राजनीति पर बहुत बड़ा असर पड़ने वाला है। इस मुकदमे की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक समय सीमा तय कर रखी थी और इसके लिए एक विशेष बेंच गठित किया गया था। विशेष बेंच ने तय समय में मुकदमे की सुनवाई पूरी भी ली है। उस पर फैसला क्या होगा, इसको लेकर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

सेसन कोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद जयललिता को न केवल अपना मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था, बल्कि वे जेल भी चली गई थीं। उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी शर्तों के साथ जमानत दी थी।

सजा पाने के पहले हुए लोकसभा चुनाव में जयललिता की पार्टी को भारी सफलता मिली थी। तमिलनाडु में लोकसभा की 39 सीटें हैं। उनमें से 37 पर उनकी पार्टी के उम्मीदवार ही जीते थे। उसके पहले पहले 2011 में हुए विधानसभा चुनाव में भी जयललिता की पार्टी को शानदार सफलता मिली थी। दूसरी तरफ उनके प्रतिद्वंद्वी करुणानिधि की हालत बहुत ही पतली होती जा रही है। उनकी उम्र बढ़ती जा रही है। उनके परिवार में झगड़े बहुत ज्यादा आगे बढ़ गए हैं और उनकी बेटी कनिमोरी पर 2 जी स्पेस्ट्रम घोटाले का मुकदमा चल रहा है।

सजा पाने के बाद भी जयललिता की लोकप्रियता कम नहीं हुई है। इसका पता इसीसे चलता है कि इस साल के जनवरी में हुए एक विधानसभा उपचुनाव में उनकी पार्टी के उम्मीदवार की 96 हजार मतों से भी ज्यादा की जीत हुई। करूणानिधि के उम्मीदवार को 55 हजार मत मिले और उन मतों मंे वे अपनी पार्टी डीएमके के फिर से उभार की संभावना देखते हैं।

ए राजा और कनिमोरी पर चल रहे भ्रष्टाचार के मुकदमे की परवाह किए बिन करुणानिधि राजनैतिक शतरंज की गोटियां बैठाने में मशगूल हैं। वे केन्द्र की मोदी सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं। भूमि अधिग्रहण कानून को वे मुद्दा बना रहे हैं और इसके लिए उन्होंने अन्ना हजारे के आंदोलन का समर्थन किया है। जयललिता की पार्टी ने पहले इस विधेयक का विरोध किया था और बाद में लोकसभा में हुए मतदान में उसका समर्थन कर डाला। वे इसे भी मुद्दा बना रहे हैं। आएसएस के धार्मिक उन्माद की राजनीति का भी वे विरोध कर रहे हैं।

उधर जयललिता जमानत की शर्तो के तहत अपने घर में ही रहती हैं और सार्वजनिक तौर पर राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। उनकी तरफ से उनकी पार्टी के लोग ही राजनैतिक सक्रियता दिखा रहे हैं। पर करुणानिधि के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने लोकसभा में मतदान के दौरान विधेयक के समर्थन का फैसला उनकी मांगों को स्वीकार किए जाने के बाद ही किया।

एआइएडीएमके और भाजपा के अलावा तमिलनाडु की सभी अन्य पार्टियां भूमि अधिग्रहण विधेयक के मसले पर एक साथ हैं। वे सभी इसका विरोध कर रही हैं। कर्नाटक सरकार कावेरी नदी पर चेक डैम बनवा रही हैं। इसके खिलाफ करूणानिधि ने तमिलनाडु बंद करवाने का फैसला किया।
करुणानिधि ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी के भविष्य के नेता उनके छोटे बेटे स्टालिन ही हैं। इसकी अभी तक औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन इसके भरपूर संकेत उन्होंने दे दिए हैं। (संवाद)