अगले दिन सुबह कांग्रेस कार्यकत्र्ता चाय लेकर वहां पहुंचे। उसके साथ उन्होंने विधायकों को ब्रेकफास्ट भी कराया। विधानसभा के अध्यक्ष डाॅक्टर सीता शरण शर्मा और मंत्री नरोत्तम शर्मा व भूपेन्द्र सिंह ने कांग्रेसे विधायकों को विधानसभा भवन छोड़ने के लिए बहुत समझाया, लेकिन वे उनका धरना समाप्त करवाने में सफल नहीं हुए। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी अपनी पार्टी के विधायकों को धरना समाप्त करने को कहा, लेकिन उन्होंने दिग्विजय की भी नहीं सुनी।
उनकी मांगों में एक मांग किसानों की समस्या पर विधानसभा में बहस कराना है। उनका कहना है कि बेमौसम की बरसात के कारण किसानों को जो नुकसान हुआ है, उस पर और उसकी भरपाई के सरकार के प्रयासों पर बहस कराई जानी चाहिए। दूसरी मांग है कि किसानों को हुए नुकसान की पूरी तौर पर भरपाई की जानी चाहिए।
पिछले 24 मार्च को एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया, जिसका उद्देश्य कुछ विधेयकों को पारित करवाना था। उसके अलावा पूरक बजट को भी उस दिन पास कराया जाना था। विपक्ष के विरोध को देखते हुए उसी दिन किसानों के मामले पर बहस कराना भी तय किया गया। लेकिन कांग्रेसी विधायकों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के जवाब से नाखुशी जाहिर की और मांग की कि सत्र का तीन और दिनों के लिए विस्तार कर दिया जाय, ताकि किसानों की हालत पर पूरी तरह से चर्चा हो सके।
लेकिन विपक्ष की मांग नहीं मानी गई। निर्धारित 5 बजे के समय के बाद भी सत्र चला, पर जैसे ही सत्र समाप्त हुआ, कांग्रेसी विधायकों ने विधानसभा से बाहर निकलने से इनकार कर दिया। यह एक अभूतपूर्व घटना थी।
उन्होंने कहा कि चूंकि सरकार ने किसानों को तत्काल राहत दिलाने से इनकार कर दिया है, इसलिए उनके पास विधानसभा के अंदर ही धरना देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। कांग्रेसी विधायको की मांग है कि किसानों को उचित मुआवजे के साथ साथ उनको दिए गए लोन को भी माफ किया जाय। वे चाहते हैं कि किसानो से की जा रही सभी प्रकार की उगाही को स्थगित किया जाय। मीडिया के लोगों को विधानसभा भवन से जाने के लिए कहा गया और सभी दरवाजो को बंद कर दिया गया।
कांग्रेस के महासचिव विधानसभा परिसर मे प्रेस कान्फ्रेंस करना चाहते थे, लेकिन उन्हें उसकी इजाजत नहीं दी गई। वे शाम को विधानसभा से बाहर निकले और सत्तारूढ़ पार्टी के लोगों पर उन्होंने तानाशाह होने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता कटारे ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक मांगे मान नहीं ली जाती, विधायक धरने पर बने रहेंगे।
कटारे ने कहा कि उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री से मांग की थी कि किसानों के मसले पर गंभीर बहस कराई जाए, लेकिन उन दोनो ने उनकी बात नहीं मानी और उसके कारण धरना करने का यह निर्णय लेना पड़ा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वे किसानों की सहायता करने के अनेक विकल्पों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खराब मौसम के कारण 4 लाख किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है। उसका पूरा पूरा आकलन किया जा रहा है और आकलन का यह काम 31 मार्च तक पूरा हो जाएगा।
विपक्ष व्यापम घोटाले के मुद्दे पर भी सरकार को लगातार घेर रहा है। कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि उनके द्वारा पुख्ता सबूत उपलब्ध कराने के बावजूद व्यापम घोटाले में उच्च पदस्थ लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर जा रही है। गौरतलब है कि श्री सिंह ने सीधे मुख्यमंत्री चैहान को व्यापम घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया है और आरोप से संबंधित सबूत जांच एजेंसी को उपलब्ध कराए हैं। (संवाद)
भारत: मध्य प्रदेश
विधानसभा परिसर में कांग्रेस विधायकों का धरना
व्यापम घोटाले पर विपक्ष का सरकार के साथ टकराव बढ़ा
एल एस हरदेनिया - 2015-03-28 10:56
भोपालः विधानसभा भवन के अंदर कांग्रेस विधायकों का अनिश्चिितकालीन धरना एक अभूतपूर्व घटना है और इस समस्या को हल करने में प्रदेश सरकार अपने आपको विफल पा रही है। कांग्रेस विधायक अपनी रात भी विधानसभा के अंदर ही बिता रहे हैं। टेंट हाउस से उनके लिए गद्दे और तकिए मंगाए गए, ताकि वे रात को वहीं सो सकें। उन विधायकों के भोजन का प्रबंध विधानसभा ने कर दिया।