इसका कारण पश्चिम बंगाल में आर्थिक पिछड़ापन का लगातार बने रहना है। लोग, खासकर युवा किसी न किसी प्रकार का रोजगार पाने के लिए बेचैन रहते हैं। प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी लगातार विस्तार पा रही है। इसका एक कारण केन्द्र में इसकी सरकार का होना है और अनेक लोगों को लगता है कि प्रदेश में भी यह एक बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही है। इसके कारण बहुत सारे महत्वाकांक्षी और बेरोजगार युवा अपने अच्छे भविष्य की खातिर इस पार्टी केी ओर आकर्षित हो रहे हैं।
वाम दल और कांग्रेस भी चुनाव में उम्मीदवार उतारने वाले हैं, लेकिन नये लोगों का उनकी ओर ज्यादा झुकाव नहीं है। उम्मीदवारी पाने के लिए ज्यादा मारामारी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में ही हो रही है। मारामारी की स्थिति किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके दायरे में पूरा प्रदेश आ गया है।
इस समय जो राजनैतिक माहौल है, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि नगर निकायों के चुनाव मंे तृणमूल कांग्रेस की ही तूती बोलेगी, लेकिन यह माहौल आगामी विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा, इसके बारे में दावे से केाई कुछ नहीं कह सकता।
ग्रेटर कोलकाता क्षेत्र में 141 वार्ड हैं। इनमें से 60 वार्ड में जीत के लिए तृणमूल को चिंता का सामना करना पड़ रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में पड़े मतों को देखा जाय, तो इन 60 में से 37 पर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों को ज्यादा मत मिले थे। 20 अन्य वार्ड में असंतोष और कमजोर संगठन का खामियाजा तृणमूल को उठाना पड़ा था।
शारदा चिटफंड घोटाला, कानून की बिगड़ती दशा, बढ़ती आर्थिक बदहाली और खराब प्रशासन का लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन उसने उम्मीदवारों के चयन में गलती कर अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार ली है।
अब साफ लग रहा है कि आगामी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी कोई बेहतर प्रदर्शन करने नहीं जा रही है। पहले पार्टी को लग रहा था कि वह 40 से 45 सीटों तक जीत हासिल कर सकती है, लेकिन अब पार्टी के कट्टर समर्थक और प्रबल हितैषी भी मानते हैं कि कोई चमत्कार ही पार्टी को जीत के इस आंकड़े तक पहुंचा सकता है।
जिस तरह से पार्टी ने उम्मीदवारों का चयन किया, उसके कारण एक तरह से भानुमती का पिटारा ही खुल गया। कार्यकत्र्ता और समर्थक टिकट चयन के तौर तरीकों के खिलाफ पूरे प्रदेश मंे आक्रोश जाहिर कर रहे हैं।
प्रदेश पार्टी नेताओं ने भारी संख्या में सीपीएम, कांग्रेस और तृणमूल से दल बदल कराया और दलबदलुओं को भारी संख्या में टिकट भी दिए गए, जिसके कारण उसके अपने कार्यकत्र्ता नाराज हो गए। नाराजगी उसके समर्थकों को भी हुई है, जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी की स्थिति कमजोर हो गई है।
राहुल सिन्हा प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हैं। सबसे ज्यादा गुस्से का सामना उन्हीं को करना पड़ रहा है। भाजपा कार्यकत्र्ता प्रदेश भर में धरना व प्रदर्शनों द्वारा अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं और पार्टी दफ्तरों में तोड़ फोड़ भी कर रहे हैं। वे प्रदेश मुख्यालय पर भी हिंसक प्रदर्शन कर चुके हैं और उनके गुस्से से प्रदेश पार्टी अध्यक्ष श्री सिन्हा को पुलिस लाठी चार्ज की सहायता से दो बार बचाया गया।
पार्टी नेताओं पर आरोप लगाया जा रहा है कि वे पैसे लेकर पार्टी टिकट बेच रहे हैं। जबकि सिन्हा का कहना है कि एक एक वार्ड से 10 से 20 लोगों ने टिकट के लिए आवेदन किया था और टिकट तो एक वार्ड में एक को ही दिया जा सकता है। उनका कहना है कि टिकट न पाने वाले इस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त कर गलत कर रहे हैं।
टिकट बंटवारे पर उभरे मतभेद के कारण भारतीय जनता पार्टी के अनेक स्थानीय नेताओं ने न केवल अपने पदों से बल्कि पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया है।
भाजपा के इस इस झगड़े पर यदि कोई पार्टी सबसे ज्यादा खुश है, तो वह है तृणमूल कांग्रेस। अब चुनाव जीतने के लिए उसके सामने कोई चुनौती ही नहीं दिखाई दे रही है। (संवाद)
भारत: पश्चिम बंगाल
नगर निकायों के चुनाव में तृणमूल बेहतर स्थिति में
भारतीय जनता पार्टी में असंतोष के स्वर
आशीष बिश्वास - 2015-04-02 12:00
कोलकाताः नगर निकायों के चुनावों का पहला दौर नजदीका आ गया है। तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में उम्मीदवारी का टिकट पाने के लिए कार्यकत्र्ताओं मंे भारी होड़ लगी हुई है। टिकट पाने में विफल लोग असंतोष के स्वर प्रकट कर रहे हैं। असंतोष दोनों पार्टियों में है।