पिछले दिनों राज्य सभा चुनाव के लिए पार्टी में उम्मीदवार का जिस तरह से चयन हुआ, उससे तो यही निष्कर्ष निकाला जा सकता है।

अब्दुल वहाब को पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया। वे पार्टी के सेक्रेटरी हैं। इसलिए उनको उम्मीदवार बनाना अपने आप में गलत नहीं था, लेकिन जिस तरीके से उनको उम्मीदवार बनाया गया, वह संदेह पैदा करने वाला है। पार्टी के महासचिव केपीए माजिद का दावा भी उम्मीदवारी पर था। उनका दावा ज्यादा मजबूत था, क्योंकि पार्टी के 14 जिला ईकाइयों में से 12 ईकाइयों का समर्थन उन्हें ही मिल रहा था। पर उनके दावे को नकार कर श्री वहाब को पार्टी का उम्मीदवार बना दिया गया।

पार्टी के दोनों गुटों मंे जमकर संघर्ष हुआ। उद्योग मंत्री पी के कुल्हालकुट्टी माजिद का समर्थन कर रहे थे, जबकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई अहमद का समर्थन वहाब को मिल रहा था। दोनों में से किसी एक पर आमराय बनाने में पार्टी विफल रही। उसके बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैदर अली शाहिब थंगल को उम्मीदवार की घोषणा करने के लिए अधिकृत कर दिया गया। थंगल ने सबको अचरज मे डालते हुए वहाब को उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर डाली। उन्होंने न तो कुल्हालकुट्टी की परवाह की और न ही इस तथ्य की परवाह की कि पार्टी की 12 जिला कमिटियां माजिद को उम्मीदवार के रूप में देखना चाहती थी।

पार्टी के लिए सबसे ज्यादा चिंता की बात थंगल परिवार में पैदा हुआ मतभेद है। यह मतभेद अब सार्वजनिक हो चुका है। लीग के राजनैतिक और आध्यात्मिक प्रमुख पी थंगल हैं। उनका कहा हुआ सबके लिए कानून माना जाता है। उनके कहे पर कोई सवाल नहीं खड़ा करता। लेकिन इस बार थंगल परिवार का ही एक सदस्य पी थंगल के निर्णय पर सवाल खड़ा कर रहा है।

सैयद मुनव्वर अली थंगल ने अपने एक फेसबुक पोस्ट में अपने विरोध का इजहार किया। बाद में उस पोस्ट को उन्होंने हटा भी लिया, लेकिल तबतक लीग और पी थंगल का काफी नुकसान हो चुका था। मुनव्वर अली थंगल परिवार के एक युवा नेता हैं। मुनव्वर अली के खिलाफ खड़े हैं शाकिब अली थंगल। वे अब्दुल वहाब का खुलेआम समर्थन कर रहे हैं।

वहाब के पक्ष में फैसला होने का एक बड़ा कारण था मालापुरम जिला कमिटी का उन्हें मिल रहा समर्थन। यह कमिटी सबसे ताकतवर जिला कमिटी है। लेकिन इससे भी बड़ा कारण था श्री वहाब द्वारा समय समय पर पार्टी को धन उपलब्ध कराना।

वहाब को राज्यसभा उम्मीदवार के लिए चुनना पार्टी के लिए एक सदमे की तरह आया है। माजिद इस पद के लिए सबसे ज्यादा योग्य थे। वे बहुत नीचे से उठकर र्पाअी के महासचिव के पद तक पहुंचे हैं। लेकिन धनशक्ति ने आखिरकार उनको पराजित कर डाला। और यह घटना पार्टी पर आने वाले दिनों में बड़ा प्रभाव डाल सकती है। मुस्लिम लीग अपने को गरीबों की पार्टी होने का दावा करती है। उसकी इस छवि पर इससे खतरा पैदा हुआ है।

यही कारण है कि विपक्ष के नेता वीएस अच्युतानंदन ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेतृत्व पर हमला करते हुए कहा है कि वह भ्रष्ट और धनपशुओं के आगे नतमस्तक हो गया है और अपने असली पार्टी कार्यकत्र्ताओं की अनदेखी कर रहा है। वे आगे कहते हैं कि चूंकि यूडीएफ खुद धनपशुओं का चारागाह बन गया है, इसलिए उसके एक घटक इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का भी वैसा हो जाना आश्चर्यजनक नहीं है।

वहाब का चयन उद्योगमंत्री कुल्हालीकुट्टी के लिए भी एक बड़े सदमे से कम नहीं है। इस घटना के बाद पार्टी के अंदर का सत्ता समीकरण प्रभावित हो सकता है और इसके कारण कुन्हालकुट्टी की स्थिति पार्टी के अंदर कमजोर हो सकती है। (संवाद)