रामलीला मैदान में उन्होंने जो भाषण किया, उससे तो यही लगता है। कुछ लोग कहते हैं कि वे बैंकाक में छुट्टियां मना रहे थे और कुछ लोग कहते हैं कि वे म्यान्मार में ध्यान लगा रहे थे। लेकिन म्यान्मार के उस ध्यान सेशन ने भी उन्हें भारत की जटिल सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक व्यवस्था को समझने में मदद नहीं की।

उनके भाषण से यही लग रहा था कि कांग्रेस पार्टी गरीबों की पार्टी है और भारतीय जनता पार्टी अमीरों की पार्टी है। राहुल और उनकी मां सोनिया- दोनें सही समझते हैं कि इस बात का ढिंढोरा पीटने मात्र से उनकी पार्टी फिर मजबूत होने लगेगी और ऐसा करते समय वह इससे जुड़े मसलों पर किसी तरह की बात नहीं करना चाहते।

कांग्रेस को यह विश्वास हो गया है कि देश के मतदाताओं ने पिछले चुनाव में गलती कर दी है। वे कांग्रेस के गरीब समर्थक नीतियों को समझ नहीं पाए। उन्हें लगता है कि भूमि अधिग्रहण कानून, खाद्य सुरक्षा कानून और ग्रामीण योजना कार्यक्रमों के फायदों को वे समझ नहीं पाए और गलती से भाजपा को वोट दे दिया।

पंजाब के कांग्रेस नेता अमरींदर सिंह से जब कांग्रेस की हार का कारण पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि उसके लिए मीडिया जिम्मेदार है। अमरींदर सिंह ही नहीं, बल्कि दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेस के अन्य नेता भी यही मानते हैं। दिग्विजय सिंह ने चुनावी हार के बाद कहा था कि कांग्रेस की हार भाजपा के साथ समझ की लड़ाई की हार है। यानी उन्हें लगता है कि नरेन्द्र मोदी लोगों मंे गलत समझ पैदा करने में सफल हुए और कांग्रेस हार गई।

यानी कांग्रेस का मानना है कि उसने अपने कार्यकाल मंे बहुत अच्छे काम किए, लेकिन उन कामों के लाभ के बारे में लोगों को समझा नहीं सके। अब उन्हें लगता है कि जैसे ही वे लोगों को पिछली कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों से अवगत करा देंगे, कांग्रेस का सितारा फिर चमक उठेगा।

रामलीला मैदान में राहुल गांधी ने जो कहा वह कांग्रेस के इसी विश्वास पर आधारित है। वह लोगों को बताना चाह रहे थे कि उनकी पार्टी आर्थिक सुधार कार्यक्रमों के खिलाफ काम करती रहेगी। मां और बेटे को यह भ्रम बना हुआ है कि वे पहले भी सही थे और उन्हीं रास्ते पर वे चलते रहेंगे।

अपने भाषण के अंत में राहुल गांधी ने निजी सेक्टर और बिजनेस घरानों की भी चर्चा की। और वैसा कहकर उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की कि वे पुराने नेहरूवादी समाजवाद के रास्ते पर देश को वापस लाना चाहेंगे।

इकनाॅमिक टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू मंे दिग्विजय सिंह ने कहा था कि यूपीए सरकार के 10 साल के कार्यकाल में लोगों का जीवन स्तर सुधरा और जो गरीब थे, वे मध्यमवर्ग में शामिल हो गए। पर उन्होंने यह नहीं बताया कि किन नीतियों के कारण वैसा संभव हो सका। क्या वह मनमोहन सिंह की नीतियों के कारण हुआ यह सोनिया गांधी की नीतियों के कारण?

यदि राहुल गांधी के उस भाषण पर ध्यान दें, तो उन्हें लगता है कि यह सोनिया गांधी की नीतियों के कारण हुआ। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून से सिर्फ उद्योगपतियों को ही फायदा होगा और मोदी उन्हें फायदा पहुंचाना चाहते हैं, क्योंकि उन्होंने मोदी और उनकी पार्टी को चुनाव के पहले बहुत सारा धन उपलब्ध कराया था।

राहुल की एकतरफा समझ में देश के औद्योगिकरण को कोई स्थान नहीं मिल रहा है। वे इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं कि देश के औद्योगिकरण से ही लोगों को रोजगार मिल सकता ळें (संवाद)