इसका सबसे पहला असर पी विजयन के नेतृत्व वाली कन्नूर लाॅबी की ताकत पर पड़ेगा। यह लाॅबी इस समय प्रदेश में सीपीएम के अंदर सबसे मजबूत लाॅबी है और पार्टी की गतिविधियो को निर्धारित करने में इसका सबसे ज्यादा असर होता है।

इसके कारण अच्युतानंदन के नेतृत्व वाली लाॅबी अब राहत की सांस ले सकती है। दोनों नेताओं के चेहरे का रंग सीताराम येचुरी के पार्टी महासचिव बनने पर बदल गया है।

एक तरफ पी विजयन के चेहरे का रंग उड़ा देखा जा सकता है, तो दूसरी तरफ अच्युतानंदन के चेहरे पर रौनक आ गई है।

लेकिन इसके साथ यह भी सच है कि सीताराम येचुरी कन्नूर लाॅबी के साथ टकराव मोल नहीं लेना चाहेंगे। वे एक बहुत ही व्यावहारिक नेता हैं और अपनी समझ का इस्तेमाल कर वे दोनों लाॅबी के बीच मे तालमेल बैठाने की कोशिश करना चाहेंगे।

लेकिन विजयन गुट को अब इस बात का अहसास हो चुका है कि वे दिन समाप्त हो गए हैं, जब वे अपनी ताकत का इस्तेमाल कर केन्द्रीय नेतृत्व को अपने तरीके से अपने पक्ष में कर लिया करते थे। जिस तरह से प्रकाश करात विजयन के दबाव में आ जाते थे, उस तरीके से सीताराम येचुरी को वे अपने दबाव में नहीं ला सकते।

अच्युतांनद के साथ जब भी विजयन का टकराव होता था, तो ज्यादातर मामलों में प्रकाश करात विजयन के साथ ही खड़े दिखाई देते थे। इसके कारण विजयन गुट अपने आपको मजबूत के साथ केरल यूनिट मे पेश करता था और अच्युतानंदन हमेशा रक्षात्मक मुद्रा में ही दिखाई देते थे।

2016 में केरल विधानसभा का आम चुनाव होने वाला है। अच्युतानंदन इस समय केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। उन्हें इस पद से हटाने की कोशिश विजयन गुट करता रहता था। सीताराम येचुरी के महासचिव बनने के बाद इतना तो निश्चित हो गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव तक विधानसभा मे विपक्ष के नेता के पद पर अच्युतानंदन बने रहेंगे। उन्हें इस पद से हटने या हटाए जाने का खतरा समाप्त हो गया है।

महासचिव चुने जाने के बाद सीताराम येचुरी से एक अंग्रेजी अखबार ने पूछा कि अच्युतानंदन को लेकर उनकी क्या रणनीति होगी, तो उन्होंने साफ साफ कहा कि उनको लेकर क्या किया जाना है। वे पार्टी से सबसे वरिष्ठ नेता हैं। वे सीपआई की राष्ट्रीय परिषद से वाॅकआउट करने वाले उन 32 नेताओ में से एक हैं, जिन्होंने बाद में सीपीएम का गठन किया। येचुरी ने कहा कि अच्युतानंदन पार्टी के एक बड़े और वरिष्ठ नेता हैं और उनके प्रति पार्टी का रवैया हमेशा से सम्मान का रहा है और वह रवैया आगे भी बना रहेगा।

अच्युतांनद के खिफाफ पार्टी विरोधी काम करने का आरोप विजयन कैंप ने लगाया था। पोलित ब्यूरो का आयोग उसकी जांच कर रहा है। सीताराम के महासचिव बनने के बाद इस बात की संभावना बहुत कम है कि आयोग वी एस के खिलाफ कोई तल्ख टिप्पणी करेगा।

वैसे यह देखना दिलचस्प होगा कि श्री येचुरी विजयन के खिलाफ अच्युतानंदन द्वारा की गई शिकायत पर क्या कार्रवाई करते हैं। (संवाद)