वह विशेष जांच टीम जिसने दिग्विजय सिंह द्वारा पेश किए गए दस्तावेज को जाली बताया खुद अदालत द्वारा गठित की गई है। इसके कारण उसकी जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाना भी जोखिम भरा काम है, क्योंकि वह जांच टीम किसी भी मायने में प्रदेश की चैहान सरकार के अधीन नहीं है। विशेष जांच टीम ने उच्च न्यायालय से सिफारिश की है कि जाली सबूत तैयार करने के आरोप में दिग्विजय सिंह पर मुकदमा किया जाय।
दिग्विजय सिंह के अलावा प्रशांत पांडेय नाम के एक वकील ने उन्हीं दस्तावेजों को दिल्ली उच्च न्यायालय में भी पेश किया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन दस्तावेजों को जबलपुर उच्च न्यायालय के पास आगे की कार्रवाई के लिए भेज दिया था। जबलपुर उच्च न्यायालय ने उसे विशेष जांच टीम के हवाले कर दिया और कहा कि उसकी जांच करें।
अब विशेष जांच टीम ने दिग्विजय सिंह और प्रशांत पांडेय द्वारा दिए गए दस्तावेजों को ही जारी करार दिया है और जबलपुर उच्च न्यायालय भी उसकी जांच से संतुष्ट है। इसके बाद दिग्विजय सिंह और उनकी पार्टी का माहौल गमगीन है, जबकि मुख्यमंत्री चैहान और उनकी पार्टी बहुत खुश है।
दिग्विजय सिंह ने विशेष जांच टीम पर सवालिया निशान खड़े किए हैं और जबलपुर उच्च न्यायालय की उसके निष्कर्षाें से सहमति पर भी आश्चर्य जताया है। श्री सिंह का कहना है कि उन्होंने जो दस्तावेज दिए थे, उसकी सत्यता का सत्यापन उन्होंने बेंगलूर स्थित ट्रूथ लैब से करवाया था और उस लैब ने उनके दस्तावेजों को सही पाया था। उनका कहना है कि उच्च न्यायालय ने उस लैब को अपने निष्कर्षों को सही साबित करने का मौका नहीं दिया। दिग्विजय सिंह ने इस बात पर भी आश्चर्य जाहिर किया है कि उच्च न्यायालय ने वकील प्रशांत पांडेय को क्राॅस इक्जाम नहीं किया।?
इधर दिग्विजय सिंह विशेष जांच टीम की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं और उच्च न्यायालय के फैसले पर आश्चर्य जाहिर कर रहे हैं, तो उधर भारतीय जनता पार्टी जांच को गुमराह करने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप में श्री सिंह पर मुकदमा दायर करने की योजना बना रही है। प्रदेश मध्य प्रदेश के अध्यक्ष ने इसकी घोषणा भी कर दी है।
दिग्विजय सिंह को अदालत में घसीटने के साथ साथ मुख्यमंत्री कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का भी मन बना चुके हैं। वे श्रीमती गांधी से मिलकर दिग्विजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करेंगे।
इस तरह व्यापक घोटाले ने मध्यप्रदेश की राजनीति को एक रोचक मुकाम पर पहुंचा दिया है और दिग्विजय सिंह व शिवराज चैहान के बीच की राजनैतिक लड़ाई को बहुत ही निचले स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है। (संवाद)
भारत: मध्य प्रदेश
व्यापम घोटाले की जांच पर गंदी राजनीति
चौहान और दिग्विजय के बीच तीखा संघर्ष
एल एस हरदेनिया - 2015-04-29 17:17
भोपालः 24 अप्रैल का दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के लिए खुशी का दिन था। लेकिन वह दिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के लिए दुख का दिन था। दिग्विजय सिंह ही नहीं, बल्कि उनकी कांग्रेस पार्टी के लिए भी वह बुरा दिन था। उसका कारण यह है कि उसी दिन विशेष जांच टीम के उस दावे पर जबलपुर उच्च न्यायालय ने स्वीकात कर लिया कि दिग्विजय सिंह द्वारा पेश किया गया कथित दस्तावेजी प्रमाण जाली था। गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह ने अदालती हलफनामे के साथ कुछ दस्तावेज विशेष जांच टीम को यह कहते हुए दिए थे कि उन दस्तावेजों से यह साबित होता है कि मुख्यमंत्री और उनका परिवार भी व्यापम घोटाले में शामिल था। अदालती हलफनामा देने का मतलब यह होता है कि यदि उनका दावा गलत होता है अथवा उनका दिया हुआ प्रमाण जाली साबित होता है, तो उनके खिलाफ अदालती कार्रवाई की जा सकती है और उन्हे सजा के तौर पर जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है।