पिछले दिनों प्रदेश पार्टी कमिटी का गठन हुआ। उस गठन के बाद यही निष्कर्ष निकाला जा सकता है।

सचिवालय में पी विजयन के समर्थकों का ही बोलबाला रहेगा, इसकी तो पहले से ही उम्मीद की जा रही थी, लेकिन सचिवालय के सदस्यों का जिस तरह से चयन हुआ, उस पर पार्टी के अंदर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है।

सचिवालय के सदस्यों की संख्या 15 है और उनमें से अकेले मालाबार क्षेत्र से 10 सदस्य हैं। सिर्फ कन्नूर जिले से ही 5 सदस्य हैं। पी विजयन के समर्थक इसे न्यायसंगत ठहरा रहे हैं और कह रहे हैं कि मालाबार क्षेत्र सीपीएम का सबसे मजबूत प्रभाव वाला इलाका है, इसलिए वहां से ज्यादा सदस्यों की संख्या होना स्वाभाविक है।

सचिवालय में कोल्लम और इर्नाकुलम जिले को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। गौरतलब है कि ये दोनों जिले अच्युतानंदन के समर्थकों के प्रभाव वाले हैं।

चयन की इस प्रक्रिया के खिलाफ उस समय विरोध उभरकर सामने आया, जब प्रदेश कमिटी के 8 सदस्यों ने प्रदेश सचिव द्वारा तैयार किए गए पैनल पर आपत्ति जताई। विरोध करने वाले लोग अच्युतानंदन के समर्थक हैं।

कोल्लम जिले के पी के गुरदासन और वैकम विस्वान को सचिवालय से बाहर रखे जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। गुरदासन का स्वास्थ्य खराब चल रहा है। इसके बावजूद उन्हें केन्द्रीय समिति में रखा गया है, इसके बावजूद उन्हें प्रदेश सचिवालय में नहीं रखा जाना हैरत करने वाला निर्णय है।

वैकम विस्वान लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के संयोजक है, पर उन्हें भी सीपीएम के प्रदेश सचिवालय में जगह नहीं दी गई है। इससे इस अटकलबाजी को बल मिला है कि पी विजयन उनको हटाकर खुद ही एलडीएफ का संयोजक बनना चाहते हैं।

वैकम ने पिछले दिनों एक बयान दिया था, जिसके कारण वे पी विजयन की नजरों के कांटा बन गए। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि यदि आगामी विधानसभा चुनाव में एलडीएफ को बहुमत प्राप्त होता है, तो पी विजयन मुख्यमंत्री पद के लिए अकेले उम्मीदवार नहीं हैं, बल्कि अनेक उम्मीदवारों मे से एक हैं। विजयन को उनका वह बयान रास नहीं आया थां

प्रदेश सचिवालय में तीने नये चेहरे हैं एम एम मणि, टीपी रामकृष्णन और के जे थाॅमस। ये तीनों पी विजयन के समर्थक हैं।

वीएस अच्युतानंदन को सचिवालय से बाहर रखा जाएगा, इसमें किसी को संदेह नहीं था। पी विजयन ने कह रखा था कि अच्युतानंदन को तब तक सचिवालय में नहीं रखा जाएगा, जबतक कि पोलित ब्यूरो आयोग की जांच रिपोर्ट में वे पाक साफ साबित नहीं हो जाते। गौरतलब है कि विजयन ने अच्युतानंदन पर एक से एक गंभीर अनुशासनहीनता के आरोप लगाए हैं और पोलित ब्यूरो आयोग उन आरोपों की जांच कर रहा है।

इसमें कोई शक नहीं कि सचिवालय के गठन के लिए की गई चयन प्रक्रिया को लेकर पार्टी के अंदर गहरे असंतोष पैदा हो गए हैं। पार्टी के अंदर क्षेत्रीय आधार पर विभाजन भी हो गया है। कोल्लम जिले के नेताओं ने प्रदेश नेतृत्व की पहली बार खुलकर आलोचना की। पार्टी के अंदर पनप रहे इस असंतोष ने पार्टी नेताओं के उस बयान की धज्जियां उड़ा दी हैं, जिसमें कहा गया था कि प्रदेश पार्टी के अंदर गुटबाजी अब बीते दिनों की दास्तान बन कर गई है। (संवाद)