आतंकवाद से ग्रस्त प्रदेश के लिए पीडीपी और भाजपा की गठबंघन सरकार का गठन एक अच्छा संकेत माना गया था। लेकिन शपथ ग्रहण के तुरंत बाद से ही इस सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। हालांकि इस समय मुफ्ती सरकार के अस्तित्व पर कोई खतरा नहीं है। आने वाले समय में भी शायद इस पर कोई खतरा नहीं है, लेकिन गठबंधन के घटकों मंे वैचारिक मतभेद के कारण हमेशा यह सरकार अपने को अस्थिरता का शिकार पाएगी। एक बड़ी समस्या जम्मू क्षेत्र और कश्मीर घाटी के बीच हितों का टकराव भी है। इस टकराव के कारण न केवल प्रदेश की मुफ्ती सरकार, बल्कि केन्द्र की मोदी सरकार को भी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

जम्मू क्षेत्र और कश्मीर घाटी के लोगों के बीच आपसी तनाव का सबसे बड़ा मसला इस समय अखिल भारतीय आयुविज्र्ञान संस्थान के निर्माण का स्थल है। उसका निर्माण कश्मीर घाटी में हो रहा है और जम्मू के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि इसका निर्माण जम्मू में ही होना चाहिए, क्योंकि वहां की आबादी ज्यादा है और वहां इस संस्थान की ज्यादा आवश्यकता है।

हुर्रियत कान्फ्रेंस ने शिक्षा के इस्लामीकरण को अलग से एक मुद्दा बना दिया है। हुर्रियत नेता गिलानी चाहते हैं कि निजी तथा सरकारी स्कूलों मे इस्लामियत की शिक्षा दी जाय। इन दोनों घटनाओं से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े संगठन प्रभावित हो रहे हैं। खासकर अमित शाह की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। पीडीपी से गठबंधन के लिए सबसे ज्यादा उत्सुकता उन्होंने ही दिखाई थी। वे भारतीय जनता पार्टी को देश भर मे फैलाने की इच्छा रखते हैं, लेकिन उनकी इस इच्छा को एक बड़ा झटका पश्चिम बंगाल के नगर निगमों के चुनाव में लग चुका है, जहां भारतीय जनता पार्टी की भारी पराजय हुई और किसी भी नगर निगम या नगरपालिका पर उसका कब्जा नहीं हो सका।

पीडीपी और भाजपा का गठबंधन एक बेमेल गठबंधन है। भारतीय जनता पार्टी धारा 370 को समाप्त करना चाहती है और इस धारा के तहत जम्मू और कश्मीर की विशेष स्वायत्तता को समाप्त करना चाहती है। दूसरी तरफ पीडीपी न केवल धारा 370 के पक्ष में है, बल्कि वह प्रदेश के लिए और भी स्वायत्तता की मांग करती है। फिलहाल गठबंधन करते हुए दोनों ने अपनी अपनी विरोधाभासी मांगों को स्थगित रखने पर सहमति कर ली है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान का विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसके कारण घाटी और जम्मू क्षेत्र के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। घाटी में इस संस्थान के निर्माण के विरोध में जम्मू के लोगों ने बंद का भी आयोजन किया। वह बंदर 24 अप्रैल को आयोजित किया गया था और वह पूरी तरह सफल भी रहा। अब भाजपा के नेता कह रहे हैं कि कश्मीर में तो संस्थान बनेगा ही और जम्मू में भी उसके निर्माण के लिए केन्द्र सरकार से मांग की जाएगी।

सत्ता में बने रहने की लालसा दोनों पार्टियो को एक दूसरे से समझौता करते रहने के लिए बाध्य करती रहेगी और दोनों के बीच विवाद भी समय समय पर उठते रहेंगे। राजनीति दिशाहीन बनी रहेगी और उसके कारण लोगों में असंतोष भी बना ही रहेगा। (संवाद)