यह मामला 2002 का है। सलमान खान शराब पीकर एक गाड़ी चला रहे थे। आधी रात का समय था। नशे मे वे गाड़ी को संभाल नहीं सके और फुटपाथ पर सोए कुछ लोगों के ऊपर उनकी गाडी चढ़ गई। उस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई और चार बुरी तरह घायल हो गए। वे चारों घायल होकर विकलांग भी हो गए। बाद में पता चला कि सलमान के पास गाड़ी चलाने का लाइसेंस भी नहीं था। इसका मतलब हुआ कि शायद सलमान को गाड़ी चलाने भी नहीं आती हो। एक ऐसा व्यक्ति गाड़ी चला रहा हो, जिसे गाड़ी चलाने भी नहीं आती हो और उसने शराब भी पी रखी हो, तो फिर दुर्घटना तो होना ही था।
लेकिन सलमान खान बड़े रुतबे के आदमी हैं। उनके इस रुतबे को देखकर भारतीय न्याय व्यवस्था में संदेह करने वाले लोगों को लग रहा था कि सलमान किसी तरह बच जाएंगे। यह शक फैसला आने के कुछ ही दिन पूर्व याचिकाकर्ता आभा सिंह भी व्यक्त कर रही थी। उन्हें लग रहा था कि अभियोजन के केस को काफी खराब कर दिया है और बचाव पक्ष को मुकदमा जीतने का मौका दे डाला है। चूुकि जज फैसला अदालत में हुई बहस और उनके सामने पेश किए गए सबूतों के आधार पर ही देते हैं और आभा सिंह को लग रहा था कि सबूत कमजोर कर दिए गए हैं और दलीलें हल्की कर दी गई हैं, इसलिए सलमान के बच जाने की संभावना ही ज्यादा है।
पर जो फैसला आया है, उससे तमाम तरह की शंकाएं गलत साबित हो गई हैं और इससे देश के लोागें के मन में अदलत के प्रति सम्मान और भी बढ़ गया है। दुख है, तो सिर्फ एक बात की कि फैसला आने में इतनी देर क्यों हुई। एक कहावत है कि विलंबित न्याय का मतलब न्याय का नही किया जाना है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं कहा जा सकता। इसमें तो यही कहा जा सकता है कि देर आयद, दुरुस्त आयद।
सलमान खान फिल्मी हीरों हैं। उनका पूरा परिवार ही फिल्म से जुड़ा हुआ है। उनके पिता फिल्म में कहानियां और संवाद लिखा करते थे। अबतक की सबसे ज्यादा सफल भारतीय फिल्म शोले का संवाद सलमान के पिता सलीम खान का ही लिखा हुआ है। उनकी सौतेली मां हेलन भी हिन्दी फिल्मों की एक बहुत बड़ी हस्ती रह चुकी हैं। उनके दो भाई भी फिल्मों में काम करते हैं। उनके एक भाई की पत्नी भी अभिनेत्री है। सलमान आज खुद फिल्मी दुनिया का सबसे बड़ी सख्सियत हैं। उनका फिल्मों में रोल करना ही फिल्मों के हिट होने की गारंटी है, भले उसमें कुछ भी उलूल जुलूल दिखाया जाय। अनेक बकवास फिल्मो को सलमान अपनी उपस्थिति से सुपरहिट फिल्म का दर्जा दिखा चुके हैं।
फिल्मी पृष्ठभूमि वाले सलमान खान के इस केस ने उस समय एक फिल्मी मोड़ ले लिया, जब उनके ड्राइवर अशोक सिंह ने उनका गुनाह अपने सिर पर ले लिया। ऐसा कई फिल्मों में हुआ कि किसी का गुनाह कोई और अपने सिर पर ले लेता है। मुकदमा किसी और पर चलता है और सजा किसी और को मिल जाती है। वहीं फिल्मीं अंदाज इस केस मे देखने को मिला और उसके बाद से ही इसमें सलमान की सजा मिलने पर संदेह पैदा हो गया, जबकि अन्य सारे सबूत सलमान के खिलाफ ही थे। उनके खून की जांच से पता चला था कि उन्होंने शराब पी रखी थी। घटना के दिन उनका एक बाॅडी गार्ड उनके साथ था। संयोग से उनका वह बाॅडी गार्ड पुलिस का हवलदार था। उसने मजिस्ट्रेट के सामने 164 के तहत बयान देकर कहा था कि सलमान ही गाड़ी चला रहे थे और उसके (गार्ड) के मना करने के बावजूद वे गैरजिम्मेदार तरीके से कार चला रहे थे। उस गवाह की मौत हो चुकी है, लेकिन मजिस्टेªट के सामने उसका दिया गया बयान अभियोजन पक्ष के काम आ गया।
ड्राइवर अशोक सिंह को आगे लाकर बचाव पक्ष ने पूरे मुकदमे को ही नया मोड़ दे डाला। यह बिल्कुल फिल्मी अंदाज में हुआ। 12 साल के बाद एकाएक वह आया और कहने लगा कि दुर्घटना उसके कारण हुई थी और सजा उसे ही दी जाय। लेकिन उसके पास इस बात को कोई विश्वसनीय जवाब नहीं था कि वह 12 साल के बाद ऐसा क्यों कह रहा है। इस मामले में सलमान खान को जब पुलिस थाने में बुलाया गया था और उन्हें 17 दिनों तक उस समय जेल में भी रखा गया था, उस समय तो वह यह कहते हुए नहीं आया कि गाड़ी वह चला जा रहा था। जाहिर है, उसकी बात विश्वसनीय नहीं थी और वह या तो स्वामीभक्ति दिखा रहा था, यह पैसे लेकर गवाही दे रहा था।
इस फैसले ने एक बार फिर मुकदमे में होने वाले विलंब को गहराई से रेखांकित किया है। एक आम आदमी का सहज सवाल यह है कि क्या मुकदमा जल्दी निबटाया नहीं जा सकता है? सजा इसलिए भी दी जाती है, ताकि दूसरे लोग गुनाह करने से डरें, लेकिन जब मुकदमा का फैसला देरी से आता है, तो फैसला इस संदेश को प्रभावी तरीके से लोगों तक नहीं पहुंचा पाता। अच्छा हो कि देश की विधायिका और न्यायपालिका न्याय की गति को बढ़ाने की आवश्यकता को गंभीरता से महसूस करे। बहरहाल, सलमान के खिलाफ आए इस फैसले से सभ्य समाज राहत की सांस ले रहा है। (संवाद)
भारत
सलमान खान को 5 साल की सजा
देर आयद, दुरुस्त आयद
उपेन्द्र प्रसाद - 2015-05-06 16:37
हिट एंड रन केस में सलमान खान को आखिरकार सजा हो ही गई। देश के अन्य लाखों मुकदमों की तरह इस मुकदमे में भी काफी विलंब हो रहा था। चूंकि यह केस सलमान खान से संबंधित था, जो आज फिल्म उद्योग के सबसे सफल अभिनेता हैं और देश के सत्ता प्रतिष्ठान में जिनके अनेक समर्थक और सहयोगी हैं, इसलिए अनेक लोगों को यह शक लग रहा था कि कहीं सलमान छूट न जायं। उनके खिलाफ जो पीड़ित पक्ष था, वह बहुत ही कमजोर और संसाधनों से हीन था। वह किसी भी स्तर पर सलमान से अदालती मुकदमा में बराबरी करने में सक्षम नहीं था। इस मुकदमे में विलंब एक कारण यह भी था। सलमान का पक्ष ने अपने तरीके से मामले को लंबा लटकवाया। पुलिस के लोग भी मामले में बहुत चुस्ती नहीं दिखा रहे थे। एक वकील आभा सिंह के प्रयासों के कारण इस मुकदमे की कार्रवाई आगे बढ़ी और तमाम बाधाओं को पार करते हुए अंत में फैसले का दिन आ ही गया।