एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स का विलय सरकार द्वारा 9 मार्च, 2007 को स्वीकृत किया गया था और एक नई कम्पनी अर्थात भारत राष्ट्रीय विमानन कम्पनी लिमिटेड (एनएसीआईएल) एयर इंडिया ट्रेड मार्क नाम के साथ 30 मार्च, 2007 को संस्थापित की गई। दोनों एयरलाइनों के विलय का निर्णय निम्नलिखत फायदों के लिए किया गया-
· एक एकीकृत अन्तर्राष्ट्रीयघरेलू सेवा प्रदान करने के लिए जो ग्राहकों के संतोष को विशिष्ट रूप से बढा़येगा और इसे तीन वैश्विक एयरलाइन के संघों में से किसी एक में आसान से प्रविष्टि की अनुमति होगी।
· वैकल्पिक मार्गों पर मुक्त विमानों की तैनाती के साथ-साथ सामान्य सेवा मार्गों पर लाभ कमाने और अधिक उपयोग के जरिए वर्तमान संसाधनों को अधिकाधिक इस्तेमाल के योग्य बनाना।
· मजबूत परिसम्पत्ति, क्षमताओं और अवसंरचना के पूर्ण उपयोग का अवसर उपलब्ध कराना।
· उच्च विकास और लाभदायी व्यवसाय (भूमि पर निपटान सेवाओं (जीएचएस) को शुरू करने की संभावना
· रख-रखाव, मरम्मत और मरम्मत के लिए जांच (एमआरओ) आदि।
· बेहतर मूल्यांकन की संभावना को साकार बनाना।
· एक संयुक्त उड़ान शक्ति का संचालन जो भारत में सबसे बड़ी होगी और एशियाक्षेत्र में अन्य एयरलाइनों से बेहतर होगी।
· वित्तीय और पूंजीगत पुनर्निर्माण करने का अधिकतम लचीलापन अवसर उपलब्ध कराना। कम्पनी की संभावनाओं में सुधार के साथ उपर्युक्त लाभों का सभी कर्मचारियों के लिए बेहतर संभावनओं में बदलने की अपेक्षा है।#
एयर इंडिया का विघटन नहीं होगा
विशेष संवाददाता - 2010-01-27 17:14
नई दिल्ली: नागरिक विमानन मंत्रालय का एयर इंडिया-इंडियन एयरलाइन्स के विलयन को निरस्त करने का कोई इरादा नहीं है। विलयन सावधानीपूर्वक सोची समझी प्रक्रिया थी और यह भारत सरकार के सभी अभिकरणों का सामूहिक निर्णय था।