जद(यू) के नेता एमपी वीरेन्द्र कुमार पलक्कड लोकससभा क्षेत्र से पिछले लोकसभा आम चुनाव के दौरान यूडीएफ के प्रत्याशी थे। उस चुनाव में उनकी हार हो गई थी और उसके लिए उन्होने वहां के स्थानीय कांग्रेसियो को जिम्मेदार ठहराया था। उनक आरोप की जांच क लिए यूडीएफ ने जांच कमिटी बनाई थी। उस जांच कमिटी की रिपोर्ट सामने आ गई है। रिपोर्ट में पाया गया है कि स्थानीय कांग्रेसी नेताओं ने सचमुच में वीरेन्द्र कुमार को हराने में भूमिका निभाई थी। रिपोर्ट में तीन स्थानीय कांग्रेस नेताओं के नाम का उल्लेख भी किया गया है।
अब प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी बनती है कि वे जिम्मेदार कांग्रेस नेताओ के खिलाफ कार्रवाई करें। जनता दल(यू) की मांग है कि रिपोर्ट में जिन कांग्रेसी नेताओं के नाम हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाय और यदि ऐसा नहीं किया गया, तो दल यूडीएफ का साथ छोड़कर विपक्षी एलडीएफ खेमे में चला जाएगा। गौरतलब हो कि विपक्षी एलडीएफ का नेतृत्व सीपीएम के हाथ में है।
कमिटी ने उस हार के लिए पलक्कड़ जिला अध्यक्ष सी वी बालाचन्द्रन, जिला सचिव पी बालगोपाल और प्रदेश सचिव सी चन्द्रन को सीधे तौर से जिम्मेदार बताया है। गौरतलब हो कि उस कमिटी की जांच रिपार्ट भी तभी सार्वजनिक की गई थी, जद जद(यू) ने अपना रुख काफी कड़ा कर दिया था।
यह सच है कि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि उन तीनों नेताओं के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई की जाय। लेकिन यदि उन्हें दोषी पाया गया है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद तो की ही जाएगी। सिर्फ उन्हें चेतावनी देकर कांग्रेस एम पी वीरेन्द्र कुमार को संतुष्ट नहीं कर सकती।
उन तीनों कांग्रेस नेताओ के खिलाफ कार्रवाई करना भी कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व के लिए आसान काम नहीं है। केरल कांग्रेस (बी) के नेता बालाकृष्ण पिल्लै द्वारा तैयार की गई उस रिपोर्ट का पलक्कड जिला के कांग्रेसियों द्वारा काफी विरोध किया जा रहा है।
उनका कहना है कि रिपोर्ट बहुत ही जल्दबाजी में तैयार की गई थी और वैसा करने के पहले जमीनी हकीकतों को नजरअंदाज कर दिया गया। उनका आरोप है कि पिल्लै ने उन्हें अपनी बात कहने का मौका तक नहीं दिया।
यही कारण है कि कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व के लिए रिपोर्ट में उल्लिखित नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन यदि उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है, तो जनता दल(यू) सत्तारूढ़ यूडीएफ से बाहर जा सकता है।
जद(यू) का बहिर्गमन प्रदेश सरकार के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। उसक पास तीन विधायक हैं, जिनके समर्थन की वापसी प्रदेश सरकार को तलवार की धार पर ला सकती है। इसके अलावा आगामी सितंबर महीने में स्थानीय निकायों के चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों के नतीजे अगले साल मई महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए माहौल बनाएंगे।
इस बीच एमपी वीरेन्द्र कुमार ने सीपीएम व विधानसभा में विपक्ष के नेता वी एस अच्युतानंदन से मुलाकात कर चांडी की छाती की धड़कन बढ़ा दी है। कहा जा रहा है कि अच्युतानंदन ने श्री कुमार से कहा है कि वे यूडीएफ को अविलंब छोड़ दें और एलडीएफ में शामिल हो जायं। (संवाद)
भारत: केरल
जद(यू) ने कांग्रेस पर दबाव बनाया
प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की कुशलता कसौटी पर
पी श्रीकुमारन - 2015-05-13 15:29
तिरुअनंतपुरमः जनता दल(यू) के मसले पर केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष वी एम सुधीरन और मुख्यमंत्री ओमन चांडी पशोपेश में हैं। उनके लिए यह परीक्षा क घड़ी है।