इसका एक सीधा परिणाम सरकार के प्रत्यक्ष कर में भारी गिरावट के रूप में देखने को मिलेगा। अगले साल की शुरुआत से ही यह असर दिखाई पड़ने लगेगा।
प्रस्तावित कानून के तहत भारत में अपना टैक्स रिटर्न दाखिल करने वाले अनिवासी भारतीयो के लिए अपने रिटर्न में विदेशों में जमा उनके धन को घोषित करना अनिवार्य कर दिया गया है।
इसके कारण अनिवासी भारतीयों ने अब अपने निवेश को भारत से वापस करना शुरू भी कर दिया है और उनकी दिलचस्पी भारत में निवेश करने में समाप्त हो रही है।
हांगकांग में 30 साल से रह रहे अनिवासी भारतीय शेखर पुष्करण ने इस संवाददाता को बताया कि अब अनिवासी भारत में किए गए अपने निवेश को समाप्त करने में लग गए हैं, ताकि वे भारत के टैक्स नेट में नहीं आ सकें। इसका कारण यह है कि यदि भारत से उन्हें कोई आमदनी नहीं हो रही है, तो फिर भारतीय सरकार के सामने उन्हें अपनी संपत्ति के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
कुछ लोगों ने भारत की अपनी संपत्ति को कम कीमत पर ही बेच डाला है और कुछ अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेकर अपनी संपत्ति को अपने रिश्तेदारों के नाम करने में व्यस्त हो गए हैं।
पुष्करण ने बताया कि अनिवासी भारतीय इस बात से बहुत निराश हैं कि भारत की सरकार उन्हें विदेशों में जमा अपनी संपत्ति का खुलासा करने के लिए बाध्य कर रही है।
सकलेचा का भी कुछ ऐसा ही अनुभव है। उनका कहना है कि भारतीय टैक्स कर्मचारियों ने उनकी जिंदगी नर्क बना रखी है और वे उनकी संपत्ति का डिटेल्स जानना चाह रहे हैं। उनका कहना है कि यदि उन्होने भारत से अपने निवेश को वापस नहीं किया, तो वहां रह रहे उनके रिश्तेदारों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
सरकार की इस नीति से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वालों में विदेशों में रह रहे गुजराती और मारवाड़ी हैं। गौरतलब है कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक बड़ा समर्थक वर्ग हैं।
लंदन स्थित एक हीरा व्यापारी का श्री शाह का कहना है कि ये समुदाय सोना और हीरे के व्यापार में भारत और भारत से बाहर बहुत कुछ दांव पर लगा चुके हैं।
एस नटराजन का कहना है कि हमने इस सरकार से बहुत उम्मीद लगा रखी थी और हमें लग रहा था कि यह सरकार समझदार है।
उनका कहना है कि मोदी ने अपना ग्लोबल ब्रांड मजबूत करने के लिए अनिवासी भारतीयो का इस्तेमाल किया और वापस भारत जाकर उन्हें भूल गए, क्योकि अपने देश में उनपर अलग तरह का दबाव पड़ रहा था।
अमेरिका स्थित एक अन्य अनिवासी भारतीय अरविंद महल का कहना है कि मोदी ने यह वायदा किया था कि वे उनके हितों की रक्षा करेंगे, लेकिन घर जाकर वे अपना वायदा भूल गए और अब अनिवासी भारतीयों को कह रहे हैं कि वे अपनी सारी संपत्ति का खुलासा करें।
वे कहते हैं कि यह तो ऐसा ही हुआ कि जो हाथ आपको खाना खिला रहा हो, आप उसी को काट खाएं।
25 साल से इंग्लैंड में रहने वाले एस सोबती ने कहा कि वे भारत मे ईमानदारी से अपना टैक्स चुकाते रहते हैं, लेकिन अब उन्हें हमारी सारी संपत्ति का ब्यौरा चाहिए। क्या मेरे मरने के बाद मेरी बीवी और बच्चे को परेशान करने के लिए ऐसा कर रहे हैं? (संवाद)
भारत
काले धन के विधेयक से अनिवासी भारतीय परेशान
भारत में उनके निवेश को लग सकता है झटका
विशेष संवाददाता - 2015-05-17 04:20
हांगकांगः काले धन पर रोक लगाने के लिए बनाए जा रहे कानून से न केवल देश से पूंजी के पलायन का खतरा पैदा हो गया है, बल्कि इसके कारण दूसरे देशों में रह रहे भारतीय मूल के लोगों द्वारा किए जा रहे भारत में निवेश भी प्रभावित हो सकते हैं।