पहली घटना है कांग्रेस द्वारा खट्टर सरकार के खिलाफ चलाया जा रहा आंदोलन। कांग्रेस राज्य सरकार पर राजनैतिक बदले की भावना के साथ काम करने का आरोप लगा रही है और वह इसकी चैतरफा विफलता को भी अपने आंदोलन का हिस्सा बना रही है। दूसरी घटना शिक्षा का भगवाकरण करना है।
अपने छह महीने के कार्यकाल में खट्टर सरकार ने एक भी ऐसा काम नहीं किया है, जिस पर मुख्यमंत्री खुद अपनी पीठ थपथपा सकें। उपलब्धि की बात तो दूर उनकी नाकामियों की सूची बनाई जा सकती है। इसके बीच खट्टर सरकार के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदेह घटना मोदी के करिश्मे का लगातार कमजोर होते जाना है।
खट्टर की एक और समस्या यह है कि सरकार पर उनका पूर्ण नियंत्रण नहीं है। उनके मंत्री स्वायत्त रूप में निर्णय ले रहे हैं और अपने अपने मंत्रालयों के मालिक बने हुए हैं। हां, सरकार इस बात से संतोष कर सकती है कि अभी भी उसके खिलाफ लोगों का मूड बनना शुरू नहीं हुआ है।
राज्य सरकार अब विपक्षी हमले का सामना भी कर रही है। उसके लिए संतोष की बात है कि मुख्य विपक्षी इंडियन नेशनल लोकदल अभी अच्छी स्थिति में नहीं है। उसके दो सबसे बड़े नेता- ओमप्रकाश चैटाला और अजय चैटाला जेल में हैं। शिक्षक नियुक्ति घोटाले में उन्हें दस दस साल की सजा मिली है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अजय चैटाला की जमानत की अपील ठुकरा दी थी।
जेल में बंद दोनों चैटाला के लिए बुरी खबर यह है कि आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के मामले में भी बहुत जल्द फैसला आने वाला है, क्योंकि सीबीआई की विशेष अदालत नौ साल पुराने उस मामले पर प्रतिदिन सुनवाई करने जा रही है।
इंडियन नेशनल लोकदल की वर्तमान दशा से खट्टर सरकार खुश हो सकती है, लेकिन प्रदेश की दूसरी बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपींदर सिंह हुड्डा खट्टर सरकार के खिलाफ आंदोलनकारी तेवर अपना चुके हैं।
कांग्रेस के अंदर गुटबाजी है। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता, लेकिन भूपींदर सिंह हुड्डा खुद इतने ताकतवर हैं कि वे कांग्रेस के अंदर अपने विरोधियों की सहायत के बिना भी बड़ा आंदोलन खड़ा कर सकते हैं। प्रदेश में कांग्रेस के 15 विधायक हैं और उनमे से 14 हुड्डा के समर्थक हैं।
खट्टर सरकार के लिए दूसरा सिरदर्द शिक्षा का भगवाकरन हो सकता है। शिक्षामंत्री रामविलास शर्मा इस रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश में बहुमत मिलने के बाद वे मुख्यमंत्री बनने की लालसा पाल रहे थे, लेकिन अंत समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उस काम के लिए पहली बार विधायक बने मनोहर लाल खट्टर को चुन लिया।
पर शिक्षा मंत्री बनने के बाद श्री शर्मा संघ के एजेंडे को लागू करने के लिए सक्रिय हो गए हैं। सबसे पहले तो उन्होंने गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करवा दिया। इसमें दो मत नहीं कि गीता में बताए गए मूल्यों का बहुत ही महत्व है, लेकिन देश का अल्पसंख्यक उसे एक हिंदू ग्रंथ मानता है।
गीता की पढ़ाई करवाने के बाद अब खट्टर सरकार अब योग का भी भारी पैमाने पर प्रचार करने में लगी हुई है। इसके लिए बाबा रामदेव को ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है। उसकी प्रतिक्रिया होना अवश्यंभावी है और इस प्रतिक्रिया से खट्टर सरकार की मुश्किलें बढेंगी ही। (संवाद)
भारत: हरियाणा
खट्टर सरकार की बढ़ रही है चुनौतियां
कांग्रेस की आक्रामकता बढ़ी
बी के चम - 2015-05-20 16:01
चंडीगढ़ः हरियाणा की खट्टर सरकार के 6 महीने हो रहे हैं। इसके साथ ही उसका हनीमून समय भी समाप्त होता दिखाई पड़ रहा है। पिछले सप्ताह घटी दो घटनाओ से तो यही निष्कर्ष निकाला जा सकता है।