1984 में जब आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ने वहां की एनटीआर सरकार को बर्खास्त किया था, तो उससे दिल्ली गरमा गई थी। फिर इन्दिरा गांधी को एनटीआर सरकार को फिर से वापस लाना पड़ा था और राज्यपाल रामलाल को बर्खास्त कर दिया गया था। एक बार तमिलनाडु में उस समय के राज्यपाल चेन्ना रेड्डी और मुख्यमंत्री जयललिता के के बीच इतनी तनातनी थी कि प्रधानमंत्री के चेन्नई आगमन पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने अलग अलग आगवानी की थी। मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच तनाव के अनेक उदाहरण हमारे देश में हैं।
दिल्ली में वर्तमान समस्या कोई एक दिन में पैदा नहीं हुई है। पिछले दो सालों में अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच लगातार तनाव बढ़ते रहे हैं। जब पहली बार अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने थे, तो नजीब जंग ने स्पीकर को कहा था कि लोकपाल विधेयक उनकी अनुमति के बिना विधानसभा में पेश नहीं किया जाय। लेकिन उपराज्यपाल के मना के करने के बावजूद उसे विधानसभा में पेश किया गया था।
जब नजीब जंग विधानसभा को भंग नहीं कर रहे थे, तो केजरीवाल उन्हें भाजपा का एजेंट कह रहे थे। अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में अपने मंत्रियों और अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे भूमि, पुलिस और कानून व व्यवस्था से संबंधित फाइलो को उपराज्यपाल के पास नहीं भेजें। दूसरी तरफ उपराज्यपाल ने आदेश दिया है कि सभी फाइलों को उनके पास भेजा जाय, क्योंकि संविधान के अनुसार यही उचित है। अब अधिकारियों की हालत खराब हो रही है।
अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि सुमित्रा गैमलीन को कार्यकारी मुख्यसचिव नियुक्त कर उपराज्यपाल ने गलत काम किया, क्योंकि वैसा उन्होंने उनकी सरकार की सलाह के बिना ही किया। मुख्य सचिव अपने निजी काम से विदेश गए हुए थे और उनकी अवकाश की अवधि के लिए उनकी जगह प्रभारी मुख्य सचिव की नियुक्ति होनी थी।
दोनों के बीच आरोपों और प्रत्यारोपों का सिलसिला चल रहा है। उसका एक बड़ा कारण यह है कि दिल्ली एक केन्द्र शासित प्रदेश है। लेकिन दिल्ली की अपनी एक विधानसभा भी है और अपना मुख्यमंत्री भी। इसलिए अन्य केन्द्र शासित प्रदेशों से इसकी स्थिति अलग हो गई है।
दिल्ली में पैदा हुआ संवैधानिक संकट अभूतपूर्व है। अन्य किसी राज्य में भी इस तरह का संकट पैदा नहीं हुआ था। संकट के कारण अधिकारियों को पता नहीं चल पा रहा है कि वे क्या करें और क्या न करें। बेहतर हो, उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री आपस में मिलकर इस संकट का समाधान निकालें। वैसे अब मामला राष्ट्रपति के पास आ गया है। दोनों राष्ट्रपति से मिल भी चुके हैं। राष्ट्रपति ने दोनो से जरूर कहा होगा कि वे आपस में तालमेल बनाकर काम करें। (संवाद)
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दिल्ली में संवैधानिक संकट पैदा हो गया है
उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री को मिलकर इसका हल निकालना होगा
कल्याणी शंकर - 2015-05-22 15:36
उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच हो रहे टकराव के कारण दिल्ली प्रदेश में संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है। राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों के बीच पहले भी तनाव होते रहे हैं। इन्दिरा गांधी के कार्यकाल मे जब कोई राज्यपाल संविधान का अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल कर राष्ट्रपति शासन लगवाया करते थे, तो उन्हें केन्द्र का एजेंट कहा जाता था।