प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बांग्लादेश की यात्रा उस समय कर रहे हैं, जब भारतीय संसद ने 41 साल पुराने भारत और बांग्लादेश के सीमा समझौते पर सहमति दे दी है। बांग्लादेश यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और शेख हसीना वाजेद भूमि सीमा समझौते पर अंतिम रूप से दस्तखत करेंगे और वह सीमा विवाद समाप्त हो जाएगा। सबसे बड़ी बात यह होगी की उस वक्त पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वहां मौजूद होंगी। यह इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ममता बनर्जी ने पहले उस समझौते का विरोध किया था। नरेन्द्र मोदी ममता बनर्जी को उस समझौते के लिए तैयार कर पाए हैं, यह निश्चय ही एक उपलब्धि है। ममता ने मोदी की बात मानने के पहले अपनी कुछ शर्तें भी मनवाई। उन्होंने केन्द्र सरकार से अपने प्रदेश के लिए आर्थिक पैकेज पान में सफलता पाई।

पिछले 4 दशकों में भारत और बांग्लादेश के संबंधों में बहुत ही उतार और चढ़ाव देखने को मिले हैं। भारत ने उसके साथ संबंध बेहतर बनाए रखने की बहुत कोशिश की है, उसके बावजूद कुछ मसलों पर अभी भी जिच बनी हुई है। 2008 के पहले खालिदा जिया की वहां सरकार थी। उस समय दोनों देशों के रिश्ते खराब थे, लेकिन हसीना वाजेद के सत्ता में आने के बाद संबंध कुछ बेहतर हुए, लेकिन अनेक मसलो पर दोनो देशो के बीच सहमति होना अभी भी बाकी है।

भारत और बांग्लादेश दोनों को इस बात का अहसास है कि प्रगति और समृद्धि के लिए दोनों का एक दूसरे की जरूरत है। क्षेत्र में शांति बनी रहे, इसके लिए भी दोनों का आपस में सहयोग जरूरी है।

बांग्लादेश में अपनी विरोधी पार्टी का सामना करने और अपने आधार को मजबूत करने के लिए शेख हसीना को भारत के समर्थन की जरूरत है और भारत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संबंध बनाना चाहते हैं। बांग्लादेश को नरेन्द्र मोदी के उन चुनावी भाषणों को सुनकर कुछ संदेह हो रहा था, जिनमें वे बांग्लादेशी शरणार्थियों की चर्चा किया करते थे, लेकिन पिछले एक साल में वे संदेह समाप्त हो चुके हैं।

अपने दो दिनों की यात्रा के दौरान नरेन्द्र मोदी की मुख्य चिंता बांग्लादेश से होकर भारत के लिए परिवहन व्यवस्था को सुनिश्चित करना होगा, ताकि पूर्वाेत्तर के साथ भारत की मुख्य भूमि का जुड़ाव बढ़े। पूर्वाेत्तर राज्यों में करीब दो लाख सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है। उनके आने जाने में भी इस व्यवस्था से काफी लाभ होगा और पूर्वोत्तर में उग्रवाद की समस्या को आसानी से हल किया जा सकेगा।

चीन को लेकर भी भारत की कुछ शंकाएं हैं। बांग्लादेश के ऊपर चीन का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनों देशों के बीच सामरिक सहयोग भी बढ़ रहे हैं। भारत के अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी चीन अपना सहयोग बढ़ाता जा रहा है। नरेन्द्र मोदी चीन के इस बढ़ते प्रभाव की भी बराबरी करना चाहेंगे।

भूमि सीमा विवाद निबटाकर नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश के और और सहयोग का रास्ता साफ कर दिया है। वह मोदी सरकार का पहला कदम है। इसके कारण हसीना की बांग्लादेश में अपने लोगों के बीच प्रतिष्ठा और भी बढ़ गई है। यदि तीस्ता जल बंटवारे का भी हल निकल गया, तो शेख हसीना अपने देश में अपने आपको और भी मजबूत महसूस करेंगी।

दोनों देशों के बीच व्यापार का मामला भी सामने आएगा। व्यापार संतुलन अभी बांग्लादेश के खिलाफ है। यानी बांग्लादेश जितना भारत निर्यात करता है, उससे बहुत ज्यादा वह भारत से आयात करता है। आयात निर्यात की इस दरार को पाटने के तरीके इस यात्रा के दौरान खोजे जा सकते हैं। (संवाद)