सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन के दौरान ममता बनर्जी और माओवादी मिलकर राज्य सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे। लेकिन हाल के दिनों में माओवादी ममता बनर्जी के खिलाफ बयानबाजी करने लगे थे। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के कुछ कार्यकत्र्ताओं की हत्या भी कर दी थी।

इस माहौल में ममता बनजीै ने माओवादियों के गढ़ में अपनी पार्टी की रैली कर उनका सामना करने की हिम्मत जुटाई। उन्होंने माओवादियों और राज्य सरकार दोनों का चुनौती देते हुए कहा कि उनमें दम है तो वे उनकी रैली रोककर दिखा दें।

झारग्राम में माओवदियों की गतिविधियों के कारण धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा जारी थी। राज्य सरकार ने 144 हटाकर ममता बनर्जी की रैली में सामने आ रही प्रशासनिक अड़चनों को दूर कर दिया। ममता बनर्जी पर राज्य सरकार की यह मेहरबानी इसलिए हुई, क्योंकि वामपंथी सरकार भी यही चाहती थी कि हिंसाग्रस्त उस इलाके में संसदीय राजनैतिक प्रक्रिया बहाल हो। सीपीएम खुद तो वैया करने में वहां सफल नहीं हो रही थी, इसलिए उसने ममता बनर्जी को ही वैसा कर लेने दिया।

दूसरी तरफ माओवादियों ने उस सभा के खिलाफ माहौल बनाना शुरू किया। उन्होंने लोगों को उस रैली से दूर रहने के लिए कहा। इतना ही नहीं, उसे विफल बनाने के लिए उन्होंने ममता की रैला की जगह से थोड़ा हटकर अपनी रैली भी उसी रोज और उसी समय आयोजित करने की घोषणा कर दी। लेकिन उसका ममता की योजना पर कोई असर नहीं हुआ। ममता ने अपनी रैलीतस समय और तय जगह पर ही की। माओवादियों की सभा में जितने लोग थे, उनसे तीन गुना ज्यादा लोग ममता की रैली में शिरकत कर रहे थे।

इस तरह ममता बनर्जी ने माओवादियों के भारी विरोध के बावजूद उनके गढ़ में रैती करके दिखा दिया कि वे किसी से नहीं डरती। उन्होंने माओवादियों के डर से अपनी पार्टी के कार्यकत्र्ताओं को मुक्त करने के उद्देश्य से ही यह रैली की थी। उन्होने यह भी साबित कर दिया कि माओवादियांे से अलग उनकी अपनी तृणमूल कांग्रेस का जनधार है।

ममता बनर्जी ने माओवादियों का हिंया का रास्ता छोड़कर बातचीत का रास्ता अपनाने के लिए कहा। उन्होंने साफ साफ लहजे में कहा कि उन्होंने यदि हिंसा के रास्ते को नहीं त्यागा तो यहां के लोग ही उन्हें यहां से खदेड़ देंगे। उन्होंने माओवादियों के गढ़ में पदयात्रा करने की भी घोषणा की।

ममता बनर्जी की रैली पर सीपीएम नेता विचित्र बयान दे रहे हैं। वे कह रहे हैं कि ममता की रैली इसलिए सफल हो गई, कयोंकि माओवादी उनसे मिले हुए हैं। इस तरह की अनर्गल बयानबाजी को बंद कर सीपीएम के स्थानीय नेताओं को रैली के बाद पैदा हुई स्थिति से फायदा उठाना चाहिए और अपने दड़बे से निकलकर वहां अपनी राजनैतिक सक्रियता बढ़ानही चाहिए। (संवाद)