सच यह भी है कि म्यान्मार भारत द्वारा उसके क्षेत्र में आतंकवादियों के खिलाफ सैनिक कार्रवाई करने से दुखी नहीं है। भारतीय सेना पर आतंकवादियों द्वारा हमले किए जाने के बाद भारतीय सेना ने उन आतंकियों का पीछा करते हुए उनके म्यान्मार स्थित ठिकाने पर हमला किया था। जिन क्षेत्रों में आतंकवादियों ने अपने ठिकाने बना रखे थे, वहां म्यान्मार सेना का नियंत्रण बहुत ही कमजोर है। साल के अधिकांश महीनों में तो उनका नियंत्रण होता ही नहीं है। उन क्षेत्रों में म्यान्मार के चिन और कचिन समुदाय के लोग काबिज रहते हैं। भारत के आतंकवादी इस क्षेत्र की स्थानीय जनजातियों की सहायता से यहां से आपरेट करते हैं। भारत द्वारा बदले की कार्रवाई करने से वहां ठिकाना बनाए आतंकवादी गुटों को सीधा संदेश गया है कि उनसे मजबूत भारतीय अर्धसैनिक और सैनिक बल उनके ठिकानों पर हमला करके उनकी कमर तोड़कर रख देंगे। संदेश स्पष्ट है। भारत ने आतंकवाद को अबतक बहुत बर्दाश्त किया है और इससे काफी नुकसाना भी उठाया है, लेकिन अब वह आतंकवाद को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है।

इस बात से शायद ही कोई असहमत होगा कि भारत ने अपने शांतिप्रिय रवैये से कश्मीरी का विभाजन करा दिया है और उसके इस रवैये का लाभ उठाकर इसका पड़ोसी देश इसकी भूमि में आतंक का जहर घोल रहा है। उन लोगों ने कश्मीर में नहीं, बल्कि उसके बाहर भी अनेक बार आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया है। ढाका में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो टूक शब्दों मंे कहा था कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने भारत के एक विमान का अपहरण इसलिए कर लिया था, क्योंकि वे भारत में गिरफ्तार एक आतंकवादी सरगना की रिहाई चाहते थे। उन्होंने विमान को रिहा करने के बदले अपने सरगना की रिहाई भी करवाई थी। यह अच्छी बात है कि भारत अब सतर्क हो गया है और अपनी शर्तो पर आतंकवाद के खिलाफ लड रहा है। (संवाद)