कांग्रेस केन्द्र की यूपीए सरकार का नेतृत्व कर रही है। यह यूपीए का नेतृत्व करती हुई लगातार दूसरी बार सरकार में आई हैं। सरकार के मुखिया मनमोहन सिंह एक विख्यात अर्थशास्त्री हैं। खाद्य मंत्रालय का नेतृ़त्व शरद पवार के हाथ में है, जो एक अनुभवी प्रशासक रहे हैं। इसके बावजूद केन्द्र सरकार महंगाई को रोक नहीं पा रही है। पिछले साल को छोड़कर मानसून भी भारत पर मेहरबान रहा है। इसके बावजूद महंगाई अपने सारे पुराने रिकार्ड तोड़ रही है।

अनाजों की मुद्रस्फीति दर 20 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गई है, जो पिछले 20 साल का अधिकतम आंकड़ा है। इस बढ़ती महंगाई के बीच शरद पवार का बयान आता है कि फलां चीज महंगी होने वाली है और वह चीज वास्तव में मह्रगी हो जाती है। जब जब शरद पवार महंगाई पर अपना मुह खोलते हैं, महंगाई और बढ़ जाती है। उनके बयान के बाद जमाखोर और मुनाफाखोर हरकत में आ जाते हैं औा कीमतें बढ़ जाती हैं।

अब सवाल उठता है कि महंगाई को रोकेगा कौन? सबलोग एक दूसरे पर इसकी जिम्मदारी डाल रह हैं। कांग्रेसी खाद्य मंत्री शरद पवार पर हमले कर रहे हैं, तो शरद पवार कह रहे हैं कि महंगाई के लिए वे अकेले जिम्मेदार नहीं हैं। उनका कहना है कि नीतियां सिर्फ उनका मंत्रालय ही नहीं, बल्कि कैबिनेट तैयार करता है। जाहिर है, महंगाई के लिए वे अपरोक्ष रूप से प्रधानमंत्री को ही जिम्मेदार बता रहे हैं। और प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि राज्य सरकारों को महंगाई रोकने के लिए जमाखोरों के खिलाफ कदम उटाना होगा। यानी महंगाई के लिए वे राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

महंगाई के खिलाफ विपक्ष की प्रतिक्रिया भी कमजोर है। विपक्ष आज पूरी तरह विभाजित ही नहीं है, बल्कि पिछले लोकसभा चुनावों में मिली हार हार से हौसलापस्त भी है। अगले साढ़े चार साल के बाद ही अब लोकसभा का चुनाव होने वाला है। इसके कारण उसमें जड़ता भी आ गई है। इसलिए इस ऐतिहासिक महंगाई के दौर में भ्ज्ञी उसकी प्रतिक्रिया गस रस्म अदायगी तक सीमित हो गई है।

महंगाई के मसले पर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक होने वाली है। बैठक में महंगाई पर चिंता व्यक्त की जाएगी और केन्द्र सरकार से इसे रोकने के लिए कहा जाएगा। दूसरी तरफ मनमोहन सिंह ने महंगाई के मसले पर मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई है। देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य की मुख्यमंत्री मायावती ने कह रखा है कि वे बैठक में तभी आएंगी, जब शरद पवार का केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा हो चुका होगा। श्री पवार से इस्तीफके की मांग तो कई लोग कर रहे हैं, लेकिन मायावती ने तो इसे बहुत बड़ा मुद्दा बना डाला है।

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक और महंगाई के खिलाफ उसके द्वारा प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद शरद पवार पर भी गाज गिर सकती है। वे कृषि के साथ साथ ही खाद्य मंत्री भी हैं। इसके अलावे उपभोक्ता मामले का विभाग भी उन्हीं के पार है। खाद्य और उपभोक्ता विभाग उनसे लिया भी जा सकता है। महंगाई के मसले पर आने वाले दिनों में बहुत राजनैतिक ड्रामे होने हैं। पर सवाल उठता है कि क्या इन ड्रामों से आम आदमी को कोई राहत मिलेगी? (संवाद)