प्रदेश सरकार के गृहमंत्री रमेश चेनिंथाला भी कह रहे थे कि बार रिश्वतखोरी की जांच निष्पक्षता के साथ हो रही है। लेकिन उनके इस दावे की खिल्ली जांच टीम में शामिल एक अधिकारी ने ही उड़ा डाली है।

निगरानी पुलिस अधीक्षक आर सुकेशन ने हस्तक्षेप का खुलाशा करते हुए कहा है कि उन्हें वित्तमंत्री मणि के खिलाफ नरम रवैया अपनाने के लिए बार बार कहा जाता था। उन पर दबाव इस किस्म का था कि एक बार तो उन्होंने आत्महत्या करने की भी सोच ली थी।

अपने एक दोस्त के साथ हुई एक टेलीफोन बातचीत में सुकेशन ने कहा है कि बार मालिकों के संगठन के पास इस बात का सबूत है कि मणि ने उनसे रिश्वत की मांग की थी। उन्होंने कहा कि मणि के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत जांच एजेंसी के पास मौजूद है। एक टीवी चैनल ने उन दोनों दोस्तों की बातचीत का टेप एक समाचार बुलेटिन में चला दिया है।

सुकेशन अपने दोस्त से टेप की गई बातचीत में कह रहे हैं कि बार मालिकों ने मणि के साथ हुई बातचीत को उस समय टेप कर लिया था, जब मणि रिश्वत की मांग कर रहे थे। बार मालिकों से घूस मांगते हुए मणि को साफ सुना जा सकता है, लेकिन जांच एजेंसी ने अभी तक उस टेप को जब्त नहीं किया है।

सुकेशन ने यह भी बताया कि चर्च के नेताओं के दबाव में आकर निगरानी के कानूनी सलाहकार सी सी अगस्तीन ने मणि पर मुकदमा नहीं चलाने की सलाह दे डाली थी।

कुछ कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार जांच एजेंसी के पास मणि के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद है। लेकिन सरकार के दबाव के कारण मुकदमा अब तक शुरू नहीं किया गया है। सुकेशन के खुलासे के बाद इस बात की पुष्टि हो जाती है कि प्रदेश सरकार मुकदमे में अड़ंगा लगा रही है।

सुकेशन के खुलासे के बाद सीपीएम ने प्रदेश सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। उसके प्रदेश सचिव के बालकृष्णन ने कहा है कि खुलासे से साबित हो जाता है कि प्रदेश सरकार ने मणि को बचाने में सफलता हासिल कर ली है, क्योंकि मणि की पार्टी के 8 विधायकों के समर्थन पर ही यह सरकार टिकी हुई है।

सरकारी ह्रस्तक्षेप का एक उदाहरण यह भी है कि निगरानी निदेशक ने इस मामले में भारत के एटोर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से सलाह लेने का फैसला किया है। यह प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त कानूनी सलाहकारों की सलाह से बचने के लिए किया गया है। इस तरह का आरोप सीपीएम सचिव के बालाकृष्णन लगा रहे हैं।

जांच रिपोर्ट की खामियों के लिए के बालाकृष्णन ने जांच एजेंसी द्वारा वित्त मंत्री की गिरफ्तारी नहीं किए जाने को जिम्मेदार ठहराया। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि मणि वित्त मंत्री के अपने पद पर बने हुए हैं।

दूसरी तरफ बार मालिकों के संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष बीजू रमेश ने कहा है कि यदि मणि के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं किया जाता है, तो वे हाई कोर्ट में जाएंगे। (संवाद)