दैनिक फ्री प्रेस में पहले पन्ने पर छपी एक रिपोर्ट का शीर्षक है, ’’ शिवराज के लिए खतरे की घड़ी टिक टिक कर रही है’’। रिपोर्ट में मध्यप्रदेश के भाजपा प्रभारी सहस्त्रबुद्धे का हवाला दिया गया है। अरुण जेटली और उमा भारती ने व्यापम घोटाले के निष्पक्ष जांच की मांग की है। गौरतलब है कि शिवराज सिंह चैहान शुरू से ही व्यापम घोटाले की सीबीआई जांच का विरोध कर रहे थे, पर एकाएक वे इसके लिए तैयार हो गए।
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने सबसे ज्यादा चैंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि व्यापक घोटाले के सभी पहलुओं की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। उन्होंने यह कहकर सनसनी फैला दी कि मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाले के कारण अफरातफरी का माहौल है और केन्द्रीय मंत्री होने के बावजूद उन्हें भी मध्यप्रदेश का दौरा करने से डर लगता है।
सुश्री भारती ने यह याद दिलाया कि व्यापम घोटाले की सीबीआई जांच की मांग करने वाली वह पहली व्यक्ति थीं। हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी एक खबर में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को शिवराज सिंह चैहान के खिलाफ आखिरकार कड़े निर्णय लेने होंगे। वह अखबार चैहान के उस कथन को उद्धृत करता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि परिणाम चाहे जो भी हो, वे उसका सामना करने को तैयार हैं। अखबार कहता है कि इस तरह का बयान शिवराज सिंह चैहान ने अभीतक कभी नहीं दिया था। उनका यह बयान यह दिखाता है कि आने वाले समय उनके लिए बहुत ही मुश्किल भरे हैं।
दिल्ली के पत्रकार अक्षय सिंह की मौत के बाद व्यापम घोटाले ने विस्फोटक रूप् अख्तियार कर लिया। उनकी मृत्यु झबुआ में बहुत ही रहस्यमय तरीके से हो गई थी। पत्रकार एक जांच मिशन पर थे। झबुआ मे एक परिवार का इंटरव्यू करने के बाद एकाएक उनकी मौत हो गई थी। उस परिवार की एक लड़की की मौत कुछ समय पहले हुई थी। वह लड़की को भी उस घोटाले में सहयोगी के रूप में आरोपित किया गया था।
अक्षय सिंह की मौत के अगले दिन ही दिल्ली में जबलपुर मेडिकल काॅलेज के डीन डाॅक्टर अरुण शर्मा की संदिग्ध परिस्थिति मे मौत हो गई। डाॅ शर्मा व्यापम केस के जांचकत्र्ताओं की मदद कर रहे थे। डाॅक्टर शर्मा की मौत 4 जुलाई को हुई। आश्चर्य इस बात का है कि ठीक एक साल पहले 2014 में 4 जुलाई को ही तब के डीन को उनके घर में ही जला कर मार डाला गया था। पिछले साल डीन की हुई मौत का रहस्य अभी भी नहीं हल हुआ है। एक पत्रकार और एक डाॅक्टर की मौत की चर्चा अभी चल ही रही थी कि एक महिला सब इंस्पेक्टर प्रशिक्षु की मौत की खबर आने लगी। और उसके कुछ ही समय बाद एक हेड कंस्टेबुल भी मृत पाया गया। महिला प्रशिक्षु की नियुक्ति व्यापम के द्वारा ही की गई थी, हालांकि उस पर किसी तरह के आरोप नहीं थे। हेड कांस्टेबल से व्यापम घोटाले में जांच कत्र्ताओं द्वारा पूछताछ की गई थी। (संवाद)
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चौहान पर इस्तीफा के लिए दबाव बढ़ा
व्यापम मौतों ने भाजपा नेतृत्व को किया विभाजित
एल एस हरदेनिया - 2015-07-08 15:27
भोपालः क्या शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री के पद से हट रहे हैं? स्थानीय अखबारों में छप रही खबरें इसी तरह का संदेश जारी कर रही हैं। जो अखबार मुख्यमंत्री की चापलूसी करने के लिए कुख्यात हैं, वे भी कुछ इसी तरह की खबरें छाप रहे हैं। दैनिक भाष्कर ने अपने पहले पेज पर एक संपादकीय लिखा है। पहले पेज पर संपादकीय असामान्य परिस्थितियों में ही लिखा जाता है।