दिग्विजय सिंह ने अनेक बड़े बड़े वकीलों को लगा रखा था। सच तो यह है कि जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने सीबीआई जांच के लिए हामी भरी थी, तो वही क्षण दिग्विजय सिंह की नैतिक जीत का क्षण था। अब कांग्रेस ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए 16 जुलाई को मध्यप्रदेश बंद कराने का आवाहन किया है।
बंद के लिए यह दिन पहले से ही तय किया गया था और मूल रूप से यह बंद व्यापम घोटाले की सीबीआई जांच के लिए बुलाया गया था। लेकिन सीबीआई जांच की मांग तो स्वीकार कर ही ली गई है, इसलिए अब कांग्रेस ने इसमें कुछ नये मुद्दे जोड़ दिए हैं। पहला मुद्दा यह है कि सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में होनी चाहिए। दूसरा मुद्दा है कि सीबीआई व्यापम घोटाले की जांच कर रहे एसटीफ और एसआईटी के अधिकारियों की कारगुजारियों की भी जांच करे। तीसरा मुद्दा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के इस्तीफे की मांग करना है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांग्रेस का हौसला बढ़ा है और दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी का हौसला इसके कारण पस्त हो रहा है। भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान भी इसके कारण परेशानी का सामना कर सकते हैं। व्यापम घोटाले के कारण आरएसएस की विश्वसनीयता भी कम हुई है। अनेक आरएसएस नेता भी घोटाले के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
संघ की परेशानी के अनेक कारण हैं। अनेक स्थानीय अखबार ऐसी खबरें छाप रहे हैं, जिनके कारण संघ की छवि खराब हो रही है और उसकी अंदरूनी कलह भी सामने आ रही है। हिंदुस्तान टाइम्स ने एक खबर छापी की संघ के एक व्यक्ति ने इसके पूर्व प्रमुख को इस घोटाले में लपेटा।
व्यापम घोटाले के एक लाभार्थी मिहिर कुमार ने एसटीएफ को बताया था कि संघ के पूर्व प्रमुख के एस सुदर्शन और उसके एक नेता सुरेश सोनी ने वह टेस्ट डिस्टिंक्शन के साथ पास करने में उसकी मदद की थी।
सुरेश सोनी ने कुमार के बयान को गलत बताया। जब एसटीएफ ने एक मुकदमे की चार्जशीट में मिहिर कुमार के उस बयान को शामिल किया, तो सुरेश सोनी को उसका खंडन करना पड़ा था।
मिहिर ने जांच कत्र्ताओं को बताया कि व्यापम भर्ती परीक्षा में आवेदन करने के बाद उसने आवेदन पत्र की फोटो काॅपी सुदर्शन को दी थी और उनसे अनुरोध किया था नौकरी पाने में वे उसकी सहायता करें। उसका कहना है कि सुदर्शन ने उसके बाद सुरेश सोनी और फिर मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा से संपर्क किया, जिन्होंने सहायता करने का आश्वासन दिया। शर्मा इस घोटाले मे पहले से ही जेल में हैं। कुमार को कहा गया कि वह जो सवाल जानता है उसका जवाब दे दे और जो नही जानता है, उसके जवाब की जगह खाली छोड़ दे। जब नतीजा निकला तो मिहिर योग्यता सूची में 7वें स्थान पर था। जब कुछ व्यापम अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई तो यह मामला सामने आ गया।
संघ की विश्वसनीयता गिरने का एक कारण शिवराज सिह का संघ का बहुत प्यारा होना भी है। शिवराज संघ में बचपन से ही हैं। मुख्यमंत्री संघ से किस कदर जुड़े हुए थे, इसका अनुमान इसीसे लगाया जा सकता है कि जब आपातकाल में वे एक स्कूली छात्र थे, उसी समय गिरफ्तार कर लिए गए थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने एक के बाद एक ऐसे निर्णय लिए, जिसने उन्हें संघ का लाड़ला बना दिया।
मुख्यमंत्री के साथ साथ राज्यपाल रामनरेश यादव के लिए भी आने वाले दिन मुश्किलों भरे होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत लौटने के बाद दोनों से संबंधित निर्णय लिए जा सकते हैं। (संवाद)
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कांग्रेस ने किया मध्यप्रदेश बंद का आह्वान
मुख्यमंत्री सहित संघ नेताओं पर निशाना
एल एस हरदेनिया - 2015-07-13 15:31
भोपालः सुप्रीम कोर्ट द्वारा व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई जांच के आदेश देने से कांग्रेस और खासकर इसके नेता दिग्विजय सिंह का मनोबल बढ़ा है। इससे दोनों की प्रतिष्ठा भी बढ़ी है। कांग्रेस और खासकर इसके नेता दिग्विजय सिंह इसकी सीबीआई जांच की मांग लगातार कर रहे थे। उन्होंने इसके लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।