साथ ही इस संबंध में उन्हें एक ज्ञापन भी दिया तथा निवेदन किया कि देशवासियों की आस्था की प्रतीक गोमाता तथा सम्पूर्ण गोवंश की हत्या पर प्रतिबंध लगे। प्रतिनिधिमंडल में योगगुरु स्वामी रामदेव भी उपस्थित थे। उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति से गो आधारित स्वास्थ्य नीति बनाने के विशय में आग्रह किया तथा गोमूत्र तथा गोमय से तैयार औषधियों के बारे में जानकारी दी।
ज्ञात हो कि गो हत्या पर पांबदी के पक्ष में इसके पहले दो बार राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को हस्ताक्षरों का संग्रह सौंपा जा चुका है।
राष्ट्रपति को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया कि कामधेनु स्वरूप भारतीय गोधन द्वारा प्रदत्त वनौषधि, गुणवत्तायुक्त पंचामृत सदृष पंचगव्यों- गोदुग्ध, गोघृत, गोमय, गोमूत्र में सृष्टि संरक्षक पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति जैसे आधारभूत तत्वों के पोषण एवं शोधन की विलक्षण क्षमता है। यह कामधेनु प्रदूषणमुक्त प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने वाली वात्सल्यमयी मां है। आदिकाल से ही हमारी प्राकृतिक संपदाओं से परिपूर्ण आध्यात्म प्रधान संस्कृति और समृद्धि का आधार रही है। इसके संरक्षण और संवर्धन की समुचित व्यवस्था करना आज भी हमारा प्राथमिक दायित्व है।
राष्ट्रपति महोदया को ज्ञापन देने से पूर्व नई दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में हस्ताक्षर समर्पण के लिए समिति द्वारा एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर से आए हुए संत-महात्माओं सहित राजधानी दिल्ली के हजारों गोभक्तों ने भाग लिया तथा गोमाता की रक्षा करने का अपना संकल्प दोहराया।
सभा का शुभारम्भ यात्रा के प्रेरणास्रोत गोकर्णपीठ, कर्नाटक के षंकराचार्य स्वामी राघवेष्वर भारती द्वारा ध्वजारोहण तथा गोमाता का पूजन कर किया गया। तत्पश्चात् संतों तथा गोसंरक्षण के विद्वानों ने गोरक्षा तथा सम्पूर्ण गोवंश के उपयोग पर गोभक्तों का मार्गदर्शन किया।
रा.स्व.संघ के पूर्व सरसंघचालक के्.सी.सुदर्शन ने कहा कि संविधान में गोरक्षा का उल्लेख होने के बावजूद आज गोहत्या तेजी से हो रही है। उन्होंने गोमाता को विकास का आधार बताते हुए कहा कि गाय का दूध बहुपयोगी होने के साथ-साथ उसका गोबर तथा मूत्र भी उपयोगी हैं। उन्होंने शिशु के लिए मां के दूध के बाद गाय के दूध को सर्वोत्तम बताया। इसके अलावा उन्होंने गोमूत्र तथा गोबर से बनने वाले अनेक उत्पादों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। ।
विष्व हिन्दू परिषद् के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल ने कहा कि 1952 और 1954 में भी हमने गोरक्षा के समर्थन में तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद को 1.75 करोड़ हस्ताक्षर सौंपे थे। आज 2010 में भी गोरक्षा के लिए संघर्ष किया जा रहा है। लेकिन गोरक्षा का कोई कानून नहीं बन सका। #
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गौ हत्या पर प्रतिबंघ के पक्ष में करोड़ों हस्ताक्षरों का संग्रह राष्ट्रपति को सौंपा गया
रामदेव ने की गौ आधारित स्वास्थ्य नीति बनाने की मांग
एस एन वर्मा - 2010-02-01 10:50
नई दिल्ली। गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने, गाय को देश की सांस्कृतिक धरोहर घोषित करने, भारतीय नस्ल की गायों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए अलग से गोसंवर्धन मंत्रालय बनाने, गो सेवा आयोग गठित किए जाने तथा प्रत्येक राज्य में कामधेनु विश्वविद्यालयों की स्थापना किए जाने की मांगों को लेकर विश्व मंगल गो-ग्राम यात्रा समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने गोकर्णपीठ, कर्नाटक के शंकराचार्य स्वामी राघवेष्वर भारती के नेतृत्व में देश भर से कराए 8 करोड़ 35 लाख 67 हजार 41 हस्ताक्षरों के संग्रह को राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को सौंपा।