चिंता की बात इसलिए भी है, क्योंकि 1980 के दशक में पंजाब आतंकवाद से ग्रस्त रहा है। वहां फिर उस तरह का माहौल बनने का खतरा बना हुआ है। पंजाब में उस तरह का हमला 8 साल के बाद हुआ। अब तक आतंकवादी जम्मू और कश्मीर को ही अपना निशाना बना रहे थे, लेकिन लगता है कि अब उनका इरादा भारत के अन्य प्रदेशों में भी अपने निशाने का विस्तार करने का है।

आतंकी हमले का घरेलू माहौल तथा विदेशी नीतियों पर असर पड़ता है। विदेशी मोर्च पर इससे स्थितियो को सामान्य करने की प्रक्रिया को धक्का पहुंचता है। भारत और पाकिस्तान की सरकारें कोशिश रही है कि बातचीत का एक बेहतर माहौल बने। उन कोशिशों को इस तरह के हमले यकीनन कमजोर करते हैं।

जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र की सत्ता संभाली है, तभी से वे पाकिस्तान के साथ रिश्तों को सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोशिशों को जबतक झटका लगता रहता है। अपने शपथग्रहण समारोह में उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था। वह भी एक दिन था और पिछले सोमवार को जो गुरदासपुर में आतंकी हमला हुआ वह एक अलग किस्म का दिन थां

सवाल उठता है कि क्या यह आतंकी हमला भारत की पाकिस्तान नीति को पटरी से उतार देगा? अभी तक जो संकेत मिल रहे हैं, उनसे तो यही लगता है कि भड़काने वाली इस तरह की घटना के बावजूद पाकिस्तान के साथ हमारी बातचीत अपनी तय दिशा में आगे बढ़ेगी।

बातचीत के लिए आगे बढ़ने के बावजूद भारत ने इस तरह के हमलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के अपने अधिकार को नहीं छोडा है। भारत के विदेश सचिव जयशंकर ने 16 जुलाई को इस संकल्प को दुहराया था। उस दिन पाकिस्तानी सेना ने सीमापार से भारत पर गोलीबारी की थी और भारतीय सेना ने उसका करारा जवाब दिया था।

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की बातचीत पाकिस्तान के सुरक्षा सलाहकार से होने वाली है। इसकी कोई तिथि अभीतक तय नहीं की गई है, लेकिन उम्मीद है कि गुरदासपुर में हुए आतंकी हमले के बाद बातचीत की तारीख कुछ आगे खिसक जाएगी।

गुरदासपुर हमले के बाद भारत सरकार की ओर से कोई तीखी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, हालांकि कुछ टीवी चैनलों पर भारत को सबक सिखाने की चीख सुनाई पड़ रही है। पर भारत सरकार सबूतों को इकट्ठा करने में लगी हुई है और वह इस मसले पर कोई बयानबाजी करने की हड़बड़ी में नहीं है।

भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने को बल अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दिल्ली में हुई चाय पर चर्चा के बाद ही मिला था। उस समय ओबामा भारत में गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनकर आए हुए थे। उस समय से चीजंे आगे बढ़ने लगी थीं। रूस के ऊफा में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच मुलाकात उसी कड़ी मु हुई थी।

इसके अलावे मोदी की विदेश नीति वाणिज्य और व्यापार से भी प्रभावित हो रही है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में वे दूसरे देशों से संपर्क मंे रहा करते थे। उन्होंने चीन की यात्रा भी की थी। कराची से आए व्यापारियों के शिष्टमंडल से भी उन्होंने बातचीत की थी।

पंजाब के मुख्यमंत्री इस हमले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन वे एक बहुत ही अनुभवी और समझदार मुख्यमंत्री हैं और केन्द्र की सरकार में उनकी पार्टी की भागीदारी भी है। वे पाकिस्तान के साथ भारत के वाणिज्य पथ खोले जाने के पक्ष में हैं। उनके पूर्ववत्र्ती मुख्यमंत्री अमरींदर सिंह भी यही चाहते थे। इसलिए इस आतंकी हमले से उनका रवैया बदलने वाला नहीं लें। (संवाद)