चर्चा की शुरुआत करते हुए आॅल इंडिया सेकुलर फोरम के संयोजक वरिष्ठ पत्रकार एल एस हरदेनिया ने कहा कि केन्द्र वैसे समय में तीस्ता और जावेद के मुह को बंद करने की कोशिश कर रहा है, जब गुजरात दंगों से संबंधित कुछ मुकदमो की सुनवाई होने जा रही है। केन्द्र की कोशिश उन मुकदमों की पैरवी करने से तीस्ता और उनके पति को दूर रखने की है। इसके लिए सीबीआई का इस्तेमाल किया जा रहा है। गौरतलब हो कि तीस्ता शीतलवाड़ वकील भी हैं और वे दंगा पीड़ितो के मुकदमे लड़ रही हैं।
शीतलवाड़ दंपति के खिलाफ सीबीआई का आरोप है कि उन्होंने राजनैतिक पार्टियों से लाॅबिइंग की और अखबारों पर पत्रिकाओं में लेख लिखे। उनकी इन गतिविधियों को सीबीआई फाॅरेन रेगुलेशन कंट्रब्यूशन एक्ट का उल्लंघन मान रहा है। इसके अलावा उनके ऊपर विदेशी फंड के लिए सही खाता नहीं रखने का आरोप भी लगाया गया है। हरदेनिया ने बताया कि उन पर लगाए गए सारे आरोप गलत हैं।
उन्होंने कहा कि अपनी किसी संस्था को फाॅरेन रेगुलेशन कंट्रीब्यूशन एक्ट मे पंजीकरण करवाने से किसी की अभिव्यक्ति की आजादी नहीं छिन जाती। उसके लेख लिखने की आजादी भी स्थगित नहीं हो जाती। उस कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत किसी की अभिव्यक्ति की आजादी पर किसी तरह का अंकुश लगता हो। इसके बावजूद उस कानून का हवाला देकर दोनों के ऊपर मुकदमा दायर किया गया है, जो बिल्कुल गलत है।
हरदेनिया ने कहा कि मुकदमा लड़ रहे अनेक दंगा पीडित अनपढ़ और गरीब हैं और तीस्ता उनका मुकदमा लड़ने के लिए दिन और रात एक कर रही हैं।
तीस्ता पर एक आरोप यह भी है कि गुलबर्ग सोसायटी के मारे गए लोगों का स्मारक बनाने के लिए उन्होंने चंदा इकट्ठा किया था, लेकिन स्मारक नहीं बनाया और उस चंदे का गबन कर लिया। लेकिन सच्चाई यह है कि उस काम के लिए 4 लाख 60 हजार रुपये इकट्ठा किए गए थे और वे पैसे अभी भी खाते में अलग से पड़े हुए हैं और उनका किसी तरह से गबन नहीं हुआ है। लेकिन सीबाआई ने उस राशि को अन्य कामों के लिए जुटाई गई राशि के साथ घालमेल कर एक झूठा आारोप उनके ऊपर मढ़ डाला है।
हरदेनिया ने बताया कि एक सामूहिक कब्र से गुजरात दंगों के शव मिले है। इस बात की पुष्टि प्राप्त शव से डीएनए से उनके रिश्तेदार के डीएनए को मैच करके कर दी गई है। हाई कोर्ट से उसकी जांच कराने के लिए की गई थी, लेकिन उसे हाईकार्ट ने मना कर दिया।
उस बैठक में जिन लोगों ने तीस्ता शीलतवाड़ और उनके पति जावेद आनंद के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया, उनमें पूर्व मंत्री सविता वाजपेयी, शिक्षाशास्त्री प्रोफेसर विजय बहादुर, प्रोफेसर रमेश दवे, पूर्व उपकुलपति उदय जैन, स्थानीय स्कूल की प्रार्चाया अरुणा, वकील जे पी धनोपिया और सिद्धार्थ गुप्ता व अन्य अनेक लोग शामिल थे। (संवाद)
भारत
भोपाल की बैठक में तीस्ता पर मुकदमे की निंदा
दंगा प्रभावितों के लिए लड़ना गैर कानूनी नहीं
एल एस हरदेनिया - 2015-08-07 10:50
भोपालः पिछले दिनों प्रदेश की राजधानी में सामाजिक कार्यकत्र्ता तीस्ता शीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद के खिलाफ चलाए जा रहे मुकदमों पर चर्चा के लिए एक बैठक हुई। बैठक में, बुद्धिजीवियों, राजनीतिज्ञों, सामाजिक कार्यकत्र्ताओं, शिक्षाशास्त्रियों, साहित्यकारों और पत्रकारों ने हिस्सा लिया। उस बैठक में सीबीआई द्वारा तीस्ता और जावेद के खिलाफ चलाए जा रहे मुकदमों की निंदा की गई और फैसला किया गया कि इसी तरह की बैठक देश के अन्य शहरों में भी आयोजित की जाएगी।