हालांकि उसे आत्महत्या करार दिया गया था, लेकिन अनेक लोगों का मानना था कि सरला माहेश्वरी ने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि उनका खून हुआ था। उस समय आरोप लगाया गया था कि सरला की हत्या में दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह का हाथ था। गौरतलब हो कि उस समय दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे।

सरला माहेश्वरी की मौत की सीबीआई जांच कराने की मांग भी शुरू हो गई है। दिग्विजय सिह का कहना है कि जब सरला की मौत हुई थी, तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की हैसियत से उन्होंने खुद चाहा था कि उस मौत की सीबीआई जाच हो। लेकिन तब अटल बिहारी वाजपेयी की केन्द्र में सरकार थी और उस सरकार ने सीबीआई जांच कराने से मना कर दिया था।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान और उनकी भारतीय जनता पार्टी दिग्विजय सिंह के खिलाफ अन्य पुराने मामले को खोलने और उठाने की कोशिशों मंे लगे हुए हैं। दिग्वििजय सिंह सरकार द्वारा की गई नियुक्तियों में अनियमितताएं खोजी जा रही हैं। विधानसभा में हुई नियुक्त्यिों में की गई घपलेबाजी की जांच पहले ही शुरू कर दी गई है और उसमें तब के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्री निवास तिवारी पर अनियिमितता के आरोप लगाए जा रहे हैं। तिवारी ने तो गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए अंटिसिपेटरी जमानत भी ले ली है।

दिग्विजय के खिलाफ एक और मामला सामने आ रहा है। वह मामला हाई कोर्ट मंे आया है। यह भी नियुक्ति से ही संबंधित है। यह मामला उस समय का है जब दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश मंे मुख्यमंत्री थे।

व्यापम घोटाले के शोरशराबे के बीच जबलपुरा उच्च न्यायालय ने दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में एक सब इंजीनियर की हुई नियुक्ति को रद्द कर दिया है और सरकार से कहा है कि उस तरह की सभी अनियमित नियुक्तियों को रद्द कर दिया जाय और कोर्ट के सामने की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश की जाय।

रीवा निवासी मनसुखलाल ने 1999 में ही उस नियुक्ति के खिलाफ हाई कोर्ट मंे याचिका दायर कर रखी थी। उन्होनें अरुण कुमार तिवारी की सब इंजीनियर के रूप में की गई नियुक्ति को चुनौती दी थी। उनकी नियुक्ति जल संसाधन विभाग में की गई थी।

मनसुखलाल का दावा है कि वह नियुक्ति दिग्विजय सिंह के नोट के आधार पर की गई थी और श्री सिंह ने वह नियुक्ति इसलिए की थी, क्योंकि श्री तिवारी एक कांग्रेसी नेता के रिश्तेदार थे। उनकी पत्नी मंजुलता तिवारी एक कांग्रेसी नेता हुआ करती थीं। उन्होंने उस समय के विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी से पैरवी करवाई थी और उस पैरवी के कारण दिग्विजय सिंह ने उनकी नियुक्ति में भूमिका निभाई थी।

इस बीच मध्यप्रदेश सरकार उन सबके खिलाफ सख्त हो रही है, जिन लोगों ने व्यापम घोटाले को उजागर करने का काम किया है। (संवाद)