अन्य नीतियों के बीच राष्ट्रीय पर्यावरण नीति (एनईपी, 2006) देश मे शिखर पर्यावरण अनुकूल प्रणाली से सम्बंधित विशिष्ट पर्यावरणीय मुद्दों के लिए स्वीकृत है और शुरू किये जाने वाली कार्ययोजना के तत्त्वों को प्रतिपादित करती है । जलवायु परिवर्तन पर हाल ही में जारी राष्ट्रीय कार्ययोजना के अधीन भारत सरकार 8 राष्ट्रीय मिशनों में एक के रूप में हिमालयी पर्यावरणानुकूल प्रणाली को सतत जारी रखने पर विचार कर रही है । मिशन का उद्देश्य हिमालयी पर्यावरणानुकूल प्रणाली को सतत जारी रखने और सुरक्षा के लिए प्रबंधन उपायों को विकसित करना है ।

पूरे हिमालयी क्षेत्र में स्थित अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड और श्रीनगर (गढव़ाल, उत्तराखण्ड), इटानगर (अरुणाचल प्रदेश), गंगटोक (सिक्किम) तथा कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) में स्थित मुख्यालयों के साथ मंत्रालय के स्वायत्तशासी संस्थान हिमालयी पर्यावरण और विकास के जी बी पंत संस्थान (जीबीपीआईएचईडी) के माध्यम से हिमालयी राज्यों के साथ परामर्श आयोजित किये गये थे । हाल ही में भारत सरकार ने 29-30 अक्तूबर, 2009 को शिमला में आयोजित हिमालयी राज्य के मुख्यमंत्रियों की बैठक में भाग लिया था, जिसमें क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और सतत विकास की चुनौतियों का संयुक्त रूप से सामना करने का संकल्प लिया गया था ।

इस संबंध में हिमालय से लगे हुए पड़ोसी देशों से भी परामर्श किया गया है । भारत हिमालयी क्षेत्र के आठ क्षेत्रीय सदस्य देशों के एक स्वतंत्र गैर-राजनीतिक अन्तर-सरकारी संगठन एकीकृत पर्वत विकास हेतु अन्तरराष्ट्रीय केन्द्र (आईसीआईएमओडी) का भी सदस्य है । जीबीपीआईएचईडी और आईसीआईएमओडी के बीच 25 सितम्बर, 2008 को हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन, भारत सरकार को हिमालय में सतत जीविका सुधार करने के लिए संसाधनों को क्रियाशील करने के लिए आईसीआईएमओडी के माध्यम से सक्षम बनाता है । क्षेत्र में पर्यावरणानुकूल और आर्थिक रूप से मजबूत पर्वतीय पर्यावरण प्राप्त करने के लिए एकीकृत और नवपरिवर्तित समाधान उपलब्ध कराने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने के लिए यह क्षेत्रीय सहयोग संगठन प्रयास कर रहा है । #