लखनऊ में भी कांग्रेस ने एक अखिलेश सरकार विरोधी रैली आयोजित की थी। उस रैली में लोगों की जबर्दस्त उपस्थिति थी। सच तो यह है कि पिछले कुछ सालों से उत्तर प्रदेश की राजधानी में कांग्रेस की कोई रैली इतनी बड़ी हुई ही नहीं है।
उत्तर प्रदेश में मिल रही इस सफलता को देखने के बाद ही कांग्रेस ने केन्द्र की भाजपा सरकार के खिलाफ संसद में कठोर निर्णय लिया और वहां विरोध को तेज बनाए रखा। उसने संसद को चलने भी नहीं दिया। उसकी मांग थी कि पहले केन्द्र सरकार से सुषमा स्वराज को हटाया जाय और शिवराज सिंह चैहान व वसुंधरा राजे सिंधिया के खिलाफ भी कार्रवाई की जाय। उसके बाद ही संसद को चलने दिया जाएगा।
कांग्रेस प्रदेश में महिलाआंे पर बढ़ते अत्याचार, पत्रकारों पर हो रहे हमले, किसानों के प्रति सरकार द्वारा दिखाई जा रही उदासीनता और सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और रैलियां कर रही है। कांग्रेस 2009 की लोकसभा की जीत के बाद उत्तर प्रदेश में लगातार हारती आ रही है।
2012 के विधानसभा चुनाव में भी वह हारी। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में तो उसकी बहुत ही बुरी हार हुई थी। सिर्फ राहुल और सोनिया ही चुनाव जीत सके थे। उसके अन्य सभी उम्मीदवार चुनाव हार गए थे। उनमें से भी अधिकांश की तो जमानत तक जब्त हो गई थी। उस हार के बाद कांग्रेस को अहसास हो गया है कि यदि उसे उत्तर प्रदेश में प्रासंगिक बने रहना है, तो वहां अपनी राजनैतिक गतिविधियों को तेज करना होगा। उसके बाद उसने अखिलेश सरकार के कुशासन के खिलाफ लड़ने का फैसला किया।
उसे यह पता है कि उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी और उसकी सरकार के खिलाफ टकराव की नीति अपनाकर ही कांग्रेस वहां अपने आपको पुनर्जीवित कर सकती है। इसके अलावा उसे भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से भी टकराव लेना होगा। अब एक रणनीति के तहत कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी सरकार के खिलाफ आंदोलन का रुख अपना लिया है। आंदोलन की सफलता का इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि उत्साहित होकर 80 साल से भी ज्यादा उम्र की मोहसिना किदवई ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
पहली बार कांग्रेस के नेताओं और कार्यकत्र्ताओं को लाठी चार्ज का सामना करना पड़ा। उसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल कुमार खत्री, सांसद राज बब्बर और पूर्व मंत्री प्रदीप आदित्य जैन सहित करीब 500 कांग्रेसी कार्यकत्र्ता घायल हुए और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ा। उस लाठी चार्ज का विरोध करने के लिए कांग्रेस ने 19 अगस्त को प्रदेश भर में विरोध दिवस मनाने का फैसला किया था।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता सत्यदेव त्रिपाठी ने कहा कि पार्टी कार्यकत्र्ताओं पर हुआ वह लाठी चार्ज लोकतंत्र पर किया गया हमला था। उसके खिलाफ हुए प्रदेश व्यापी विरोध प्रदर्शन में लोगों ने भारी संख्या में हिस्सा लिया।
कांग्रेस नेताओं को लगता है कि मुलायम सिंह यादव केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ नरम रवैया अपना रही है। उसने कांग्रेस के संसद में विरोध से अपने को अलग कर लिया था और उसके लिए नरेन्द्र मोदी ने मुलायम सिंह यादव की प्रशंसा भी की थी। इस सबसे कांग्रेस को लगता है कि मुस्लिम समुदाय का मुलायम से मोह भंग हो रहा है और वे कांग्रेस की ओर वापस लौट सकते हैं। कांग्रेस नेताओं ने दलितों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए दलित बस्तियों का दौरा भी तेज कर दिया है। (संवाद)
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के हौसले बुलंद
उसकी अखिलेश विरोधी सभाओं में जुट रही है भीड़
प्रदीप कपूर - 2015-08-26 16:51
लखनऊः कांग्रेस पिछले कुछ दिनों से अखिलेश सरकार के कुशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और सभाएं कर रही है। उन प्रदर्शनों और सभाओं में लोगों की अच्छी भीड़ जुट रही है। उसके कारण प्रदेश में कांग्रेसियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।