यह अपने आप में विशेष मायने रखता है कि प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद रानिल ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना। इससे पता चलता है कि वे भारत से अपने संबंधों को कितना महत्व देते हैं। सच कहा जाय तो वे शुरू से ही भारत प्रेमी राजनेता रहे हैं। यह बात किसी से कभी छिपी नही रही। अनेक विवादित मसलों पर उन्होंने भारत के प्रति नरम रवैया अपनाया है, चाहे वे मसले भारती मछुआरों से जुड़ा हुआ हो या श्रीलंका की तमिल समस्या का या भारत के साथ व्यापार व आर्थिक सहयोग का।
भारत की मोदी सरकार श्रीलंका के साथ सुरक्षा सहयोग में खास दिलचस्पी रखती है। इसके अलावा, बातचीत में हिंद महासागर और श्रीलंका में तमिलों का मसला आया। श्रीलंका में तमिल का मसला भारत के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उसके कारण भारत का तमिलनाडु प्रभावित होता है। श्रीलंका की तमिल समस्या भारत के तमिलनाडु के लोगों को उद्वेलित करती है। यही कारण है कि भारत और श्रीलंका के द्विपक्षीय संबंधों मंे वह मसला महत्वपूर्ण हो जाता है।
यह सच है कि मोदी सरकार को अपनी पार्टी के बूते ही पूर्ण बहुमत प्राप्त है और उसके सहयोगी दलों में भी तमिलनाडु से कोई नहीं है, इसलिए तमिलनाडु की क्षेत्रीय राजनीति से यह सरकार प्रभावित नहीं होती। यही कारण है कि तमिलनाडु की पार्टियों के दबाव से मुक्त होकर नरेन्द्र मोदी सरकार श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को पारिभाषित करने में लगे हुए हैं। लेकिन यह भी सच है कि भारतीय जनता पार्टी खुद भी तमिलनाडु में अपने प्रभाव का विस्तार करना चाह रही है और नरेन्द्र मोदी तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के साथ दोस्ताना संबंध बनाए रखना चाहते हैं, इसलिए वे श्रीलंका की तमिल समस्या को लेकर भारत के तमिलाडु के लोगों की चिंताओं को पूरी तरह खारिज भी नहीं कर सकते।
श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने नरेन्द्र मोदी को आश्वासन दिया है कि वहां के तमिल अल्पसंख्यकों कंे लिए बनाई गई योजना पर अमल किया जा रहा है और उनके पुनर्वास को सुनिश्चित किया जा रहा है। वहां की तमिल समस्या बहुत ही जटिल है और उसके समाधान पर पैदा हुए गतिरोध को तोड़ने की कोशिश श्रीलंका की सरकार कर रही है। उनके साथ संवाद स्थापित किए जा रहे हैं। पिछले दिनों हुए संसदीय चुनाव में श्रीलंका के तमिलों ने विक्रमसिंघे के गठबंधन का साथ दिया था और उसके पहले हुए राष्ट्रपति चुनाव में भी वे विक्रमसिंघे की गठबंधन के साथ ही थे। इसके कारण सरकार के साथ उनका संवाद स्थापित हो गया है।
दूसरा महत्वपूर्ण मसला जो भारत ओर श्रीलंका के बीच बातचीत का केन्द्र बनी वह है संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग वह रिपोर्ट जिसमें तमिलों के नरसंहार की बात की गई थी। उस रिपोर्ट में तत्कालीन राजपक्षे सरकार को दोषी ठहराया गया था। इस समय श्रीलंका के राष्ट्रपति श्रीसेना हैं और वे भी उस राजपक्षे सरकार में शामिल थे। विक्रमसिंघे ने बातचीत के बाद बताया कि वे उस रिपोर्ट पर राहत महसूस कर रहे हैं।
इन दोनों के अलावा मछुआरे की समस्या पर भी चर्चा की गई। यह दोनों देशों के बीच बहुत ही संवेदनशील मसला है। दोनो देशों ने इसे हल करने के अनेक प्रयास किए हैं, लेकिन इसका अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। भारत के मछुआरों को श्रीलंका के सुरक्षा गार्ड परेशान करते हैं, तो श्रीलंका के मछुआरों को भारत के सुरक्षा गार्ड। इसका समाधान निकालने की गंभीर कोशिश करने पर भ सहमति बनी है।(संवाद)
भारत और श्रीलंका के संबंध सुधार की ओर
मोदी और रानिल ने तमिल मसेल पर बात की
कल्याणी शंकर - 2015-09-18 16:32
श्रीलंका के प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे भारत के लिए कोई अजनबी नहीं हैं। पिछले दिनों उनकी भारत की यात्रा हुई। वे तीन दिन यहां रुके। इस बीच उनकी भारत से जो बातचीत हुई है, उससे दोनों देशों के संबंधों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। उनकी यात्रा के पहले न तो भारत की श्रीलंका से और न ही श्रीलंका की भारत से कोई विशेष उम्मीदें थीं, इसलिए बातचीत बहुत ही सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई।