पहले योगी आदित्यनाथ ’’घर वापसी’’ अभियान चला रहे थे। उनका यह अभियान चुनाव जीतने के काम नहीं आया, तो वे नेपथ्य में चले गए और उनकी जगह सामने साक्षी महाराज आ गए, जिन्होंने बयान देना शुरू कर दिया कि मदरसों में आतंकवादी पलते हैं। उनके बाद साध्वी निरंजन ज्योति ने देश के लोगों को रामजादों और हरामजादों में विभाजित करना शुरू कर दिया। वह शांत हो गईं, तो उनके बाद संस्कृति मंत्री महेश शर्मा आ गए हैं।
संघ परिवार के लोग हिंदी को स्कूलों में अनिवार्य करने की मांग कर रहे हैं और सिलेबस में महाभारत और रामायण को शामिल करने की भी बात कर रहे हैं। अब संस्कृति मंत्री महेश शर्मा कह रहे हैं कि कुरान और बाइबिल को सिलेबस में शामिल नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे भारतीय संस्कृति का प्रतिबिम्बित नहीं करते। ज्यादा से ज्यादा उनके कुछ हिस्से सिलेबस में शामिल किए जा सकते हैं।
इस तरह के बयानों से पता चलता है कि सावरकर और गोलवलकर के विचार अभी भी भगवा ब्रिगेड का मार्गदर्शन का काम कर रहे हैं। सावरकर ने यह परिभाषित किया था कि हिन्दू कौन है और हिन्दू कौन नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि जो भारत को अपना पितृभूमि और पुण्यभूमि मानता हो, वह हिन्दू और जो ऐसा इन दोनों में से कोई एक भी नहीं मानता हो, वह हिन्दू नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि जो हिन्दू है, वही भारत का असली नागरिक है और जो हिन्दू नहीं है, वह भारत का असली नागरिक नहीं हो सकता।
सावरकर की इस परिभाषा से मुस्लिम और ईसाई हिन्दू नहीं हो सकते, क्योंकि उनकी पुण्यभूमि मक्का और रोम में है, जो भारत से बाहर हैं। सावरकर से भी आगे जाते हुए गोलवलकर ने मुसलमानों को हिन्दुओं का दुश्मन नंबर एक और ईसाइयों को दूश्मन नंबर दो कहा था।
इसलिए जब महेश शर्मा कहते हैं कि दुश्मनों की धार्मिक पुस्तकों को सिलेबस में शामिल नहीं किया जा सकता, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होता है, क्योंकि उनके अनुसार ये धार्मिक पुस्तकें भारत की आत्मा को प्रतिबिम्बित नहीं करतीं।
लेकिन महेश शर्मा ने सावरकर और गोलवलकर के दर्शन मंे थोड़ा बदलाव किया है। वे कम से कम मुसलमानों के एक हिस्से को भारत का सही नागरिक मानते हैं। उनका कहना है कि एपीजे अब्दुल कलाम जैसे कुछ लोग मुसलमान होते हुए भी राष्ट्रवादी हैं।
संघ प्रमुख मोहन भागवत कह रहे हैं कि हिन्दुओं को उन बातों को नहीं मानना चाहिए, जो वैज्ञानिक नहीं है। इस तरह वे भी कुछ सुधार की बात कर रहे हैं। अन्यथा एक समय था कि संघ के लोग यह मान रहे थे कि गणेश जी की मूर्ति दूध पी सकती है। अभी भी संघ परिवार में ऐसे लोगो की संख्या काफी है, जो मानते हैं कि रामायण में वर्णित पुष्पक विमान आज का हवाई जहाज ही था और इस तरह हवाई जहाज का आविष्कार भारत मंे हजारों साल वर्षों तक हो चुका था।
भागवत से उत्साहित होकर संघ की अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना ने महिलाओं से अपील की है कि वे वेदकालीन भारत की तरह की मुक्त जीवन व्यतीत करें। उनका मानना है कि वेद काल मंे भारतीय महिलाएं मुक्त जीवन व्यतीत करती थीं। लेकिन इस तरह की अपील साक्षी महाराज जैसे लोगों के पल्ले नहीं पड़ने वाली है, जो चाहते हैं कि महिलाएं ज्यादा से ज्यादा बच्चा पैदा करें, ताकि हिन्दुओं का प्रतिशत भारत में न गिरे। यह महेश शर्मा के उस बयान से भी मेल नहीं खाता, जिसमें कहा गया था कि रात को महिलाओं का घर से निकलना हमारे देश की संस्कृति में नहीं है। (संवाद)
भारत
गोलवलकर के दर्शन पर काम रही है भाजपा
भगवा ब्रिगेड में चल रहा है मंथन
अमूल्य गांगुली - 2015-09-22 10:37
भगवा परिवार में एक के बाद एक नये नये योद्धा सामने आते रहते हैं। लोगों को अपने दर्शन से अवगत कराते रहने के लिए वह किसी एक व्यक्ति पर निर्भर नहीं रहता।