राष्ट्रीय विद्युत नीति में सभी ग्रामीण क्षेत्रों को चौबीसों घंटे गुणवत्तापूर्ण बिजली की आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है। ग्रामीण विद्युतीकरण की परिभाषा को इस सोच के साथ कठोर बना दिया गया है कि किसी भी गांव को विद्युतीकृत गांव घोषित करने से पहले वहां पर्याप्त विद्युत अवसंरचना की उपलब्धता सुनिश्चित हो। नई परिभाषा के मुताबिक किसी भी गांव को तभी विद्युतीकृत घोषित किया जाएगा जब वहां रिहायशी और दलित बस्ती दोनों क्षेत्रों में वितरण ट्रांसफार्मर और लार्इंस की उपलब्धता, स्कूलों, पंचायत कार्यालयों और सामुदायिक केंद्रों में बिजली की सुविधा, और गांव के कम से 10 फीसदी परिवारों में बिजली की आपूर्ति जैसी मूलभूत व्यवस्था हो जाए।

राज्यों द्वारा ग्रामीण विद्युतीकरण की धीमी गति को देखते हुए सरकार ने एक लाख गैरविद्युतीकृत गांवों में बिजली पहुंचाने और 2 करोड़ 34 लाख ग्रामीण बीपीएल परिवारों को मुपऊत बिजली कनेक्शन प्रदान करने के उद्देश्य से मार्च 2005 में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के रूप में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीआई) शुरू की थी। सरकार इस परियोजना लागत की 90 फीसदी राशि सब्सिडी के तौर पर प्रदान करती है और उसने अबतक 33000 करोड़ रूपये की सब्सिडी मंजूर की है जिसमें से 17900 करोड़ रूपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं।

इस योजना में ग्रामीण विद्युत वितरण मेरूदंड (आरईडीबी), ग्रामीण विद्युतीकरण अवसंरचना सृजन (वीईआई), विकेंद्रीकृत वितरण सृजन (डीडीजी), बीपीएल ग्रामीण परिवार विद्युत आपूर्ति एवं विद्युतीकरण जैसी महत्वूपर्ण बातें शामिल हैं।

हालांकि ग्रिड कनेक्टिविटी के जरिए गांवों के विद्युतीकरण पर विशेष बल दिया जाता है लेकिन जहां यह व्यवस्था ज्यादा मंहगी जान पड़ती है वहां राज्य सरकार नवीन एवं नवीकरणीय रुाोतों पर आधारित डीडीजी कार्यक्रम भी चला सकती है।

असम, बिहार, झारखंड, ओड़िसा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में गैरविद्युतीकृत गांवों की संख्या बहुत अधिक है इसलिए इन राज्यों में ग्रामीण विद्युतीकरण पर ज्यादा बल दिया गया है। पूर्वोत्तर के विशेष श्रेणी के राज्यों तथा हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर एवं उत्तराखंड और अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे एवं नक्सल प्रभावित जिलों में भी ग्रामीण विद्युतीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह योजना 100 से अधिक जनसंख्या वाली बस्तियों में चलायी जा रही है।

ऊर्जा मंत्रालय ने 118499 गांवों को विद्युतीकृत बनाने एवं 2 करोड़ 46 लाख बीपीएल परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन प्रदान करने के वास्ते 540 जिलों के लिए 567 परियोजनाएं मंजूर की है। इसके अलावा पहले से ही विद्युतीकृत 3 लाख 54 हजार गांवों में बिजली आपूर्ति एवं तत्संबंधी अवसंरचना की और व्यवस्था की जा रही है

01 जनवरी, 2010 तक 67607 गांव विद्युतीकृत किए गए हैं और 97599 गांवों में बिजली आपूर्ति एवं तत्संबंधी अवसंरचना की और व्यवस्था की गयी है तथा बीपीएल परिवारों को 83 लाख 88 हजार मुफ्त बिजली कनेक्शन दिए गए हैं। मार्च 2012 तक एक लाख गांवों में बिजली पहुंचाने तथा 175 लाख बीपीएल परिवारों को मुपऊत बिजली कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है।

ग्रामीण विद्युतीकरण निगम इस योजना के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी है। इस परियोजना के तीव्र क्रियान्वयन के लिए पावरग्रिड, एनटीपीसी, एनएचपीसी, और डीवीसी जैसे बिजली क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों की सेवाएं राज्यों के विद्युत संगठनों को उपलब्ध करायी गयी हैं।

परियोजनाओं के प्रभावी एवं गुणवत्तापूर्ण क्रियान्वयन के लिए मंत्रालय ने त्रिस्तरीय निगरानी प्रणाली और महत्वपूर्ण चरण निगरानी व्यवस्था अपनाई है। राज्यों को इस योजना के तहत विद्युतीकृत गांवों में कम से कम छह से आठ घंटों तक बिजली की आपूर्ति करने को कहा गया है। आरजीजीवीआई विद्युतीकृत गांवों में प्रभावी वितरण प्रबंधन के लिए फ्रैंचाइजी की स्थापना अनिवार्य बना दी गयी है। इससे ग्रामीण युवकों के लिए रोजगार के सुअवसर पैदा हो रहे हैं। अबतक एक लाख दो हजार गांवों में फ्रैंचाइजी स्थापित की गयी है।

इस योजना के तहत मंत्रालय ने राज्यों के विद्युत संगठनों के सी और डी श्रेणी के कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किए हैं। ग्यारहवीं योजना के दौरान 75000 ऐसे कर्मचारियों एवं 40000 फ्रैचाइजियों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।#